जयपुर में अब पुलिस के लाभार्थियों का सम्मेलन।
पर शिक्षकों की तरह सुविधा नहीं।
सरकार को फायदे की बजाए नुकसान।
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राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार ने पिछले दिनांे जिस तरह 50 हजार लाभार्थी शिक्षकों का जमावड़ा जयपुर के अमरूदों के बाग में किया था, ठीक उसी प्रकार 19 सितम्बर को जयपुर में ही पुलिस अकादमी के मैदान पर कांस्टेबल से हैडकांस्टेबल बने पुलिस कर्मियों का सम्मेलन कर रही है। सरकार ने हाल ही में 6 हजार कांस्टेबलों को वरिष्ठता के आधार पर हैडकांस्टेबल के पद पर पदोन्नत किया है। चूंकि यह पदोन्नति परंपरागत लिखित परीक्षा के बगैर हुई है, इसलिए सरकार इन पुलिस कर्मियों को लाभार्थी मानती है। 19 सितम्बर को सीएम वसुंधरा राजे स्वयं पुलिस के इन लाभार्थियों से संवाद करेगी, चूंकि 6 हजार हैडकांस्टेबलों की भीड़ सीएम की प्रतिष्ठा के अनुरूप नहीं है। इसलिए प्रत्येक लाभार्थी हैडकांस्टेबल को आदेश दिया गया है कि वह अपने साथ दो परिजन को भी लाए। जो कांस्टेबल पदोन्नत हुआ है उसे यह समझ में नहीं आ रहा है कि दो परिजन को साथ लाने का क्या तुक है? चूंकि संबंधित जिलों के पुलिस अधीक्षकों का आदेश है, इसलिए पदोन्नत किसी भी हैडकांस्टेबल की इतनी हिम्मत नहीं कि वह आदेश की अवहेलना कर सके, लेकिन वहीं हैडकांस्टेबल की पीड़ा है कि उन्हें अपने खर्चे पर जयपुर बुलाया गया है। सरकार की ओर से सिर्फ दोपहर का भोजन मुफ्त में दिया जाएगा, लेकिन बसों का किराया और अन्य खर्चे हैडकांस्टेबल को स्वयं करने पड़ेंगे। जबकि सरकार ने शिक्षकों को सम्मेलन में भाग लेने के लिए किराया तक उपलब करवाया था। सारे भत्ते मिलाकर एक शिक्षक को एक हजार सात सौ रुपए की राशि मिली थी। वर्ष 2014 से अब तक शिक्षकों की नौकरी हासिल करने वाले इन लाभार्थियों का सम्मेलन 5 सितम्बर को जयपुर के अमरूदों के बाग में हुआ था, शिक्षकों की तरह यात्रा भत्ता आदि न देकर सरकार लाभार्थी हैडकांस्टेबल के साथ भेदभाव कर रही हैं। इससे पदोन्नत हैडकांस्टेबलों में सरकार के प्रति नाराजगी देखी गई है। बाड़मेर, जैसलमेर जैसे दूर दराज के इलाकों से आने वाले हैडकांस्टेबलों को और भी ज्यादा खर्च करना पड़ेगा। प्रदेश के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया भी अपने विभाग के पुलिस कर्मियों की कोई मदद नहीं कर पा रहे हैं।