मानवेन्द्र सिंह ने राजस्थान में भाजपा को दी चुनौती।

मानवेन्द्र सिंह ने राजस्थान में भाजपा को दी चुनौती।
पचपदरा की स्वाभिमान रैली में एक लाख से भी ज्यादा लोग जुटे।
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22 सितम्बर को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह जब जयपुर के गंगापुर सिटी क्षेत्र में शक्ति केन्द्र के अध्यक्षों के साथ सीधा संवाद कर रहे थे, तभी प्रदेश की सीएम वसुंधरा राजे अलवर जिले में गौरव यात्रा निकाल रही थी। ऐसे चुनावी माहौल में ही 22 सितम्बर को ही पूर्व केन्द्रीय मंत्री जसवंत सिंह के पुत्र और भाजपा विधायक मानवेन्द्र सिंह ने बाड़मेर के पचपदरा में स्वाभिमान रैली कर भाजपा को खुली चुनौती दी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार इस रैली में  एक लाख से भी ज्यदा लोग जुटे। इनमें राजपूत, रावणा राजपूत और राजपुरोहित समाज के लोगों की संख्या ज्यादा थी। मंच पर मानवेन्द्र सिंह की पत्नी श्रीमती चित्रा सिंह भी घूंघट में बैठी हुई थी। फर्राटे से अंग्रेजी बोलने वाली चित्रा सिंह का कहना है कि घूंघट राजपूत समाज की संस्कृति है, जिसे वे कभी नहीं छोड़ेंगी। रैली में मानवेन्द्र सिंह और उनके समर्थकों ने साफ कर दिया कि राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने जसवंत सिंह के साथ जो बुरा व्यवहार किया है उसका बदला नवम्बर में होने वाले विधानसभा के चुनाव में लिया जाएगा, माना जाता है कि मारवाड़ की तीस विधानसभा सीटों पर मानवेन्द्र सिंह और उनके समर्थक असर डाल सकते हैं। एक ओर जहां राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह बार-बार राजस्थान का दौरा कर बूथ मैनेजमेंट को मजबूत करने में लगे हुए है, वहीं वसुंधरा राजे के विरोध में एक लाख से भी ज्यादा लोगों की स्वाभिमान रैली हो रही है। मानवेन्द्र सिंह का कहना रहा कि राजनीति में स्वाभिमान को बनाए रखा जाना चाहिए। स्वाभिमान बेचकर कोई भी कार्यकर्ता काम नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा कि भले ही उनके पिता जसवंत सिंह बीमार हो लेकिन आज भी मारवाड़ में उनके पिता का सम्मान बरकरार है। अपने पिता के आशीर्वाद से ही वे राजनीति में सफल होंगे। मानवेन्द्र सिंह की स्वाभिमान रैली को भाजपा के लिए बड़ी चुनौती माना जा रहा है। सब जानते हैं कि वर्ष 2014 में जब जसवंत सिंह को बाड़मेर से उम्मीदवार नहीं बनाया गया तो उन्होंने भाजपा के बागी उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और उस समय नरेन्द्र मोदी की लहर के बावजूद चार लाख वोट प्राप्त किए। हालांकि विधानसभा के चुनाव में उनके पुत्र मानवेन्द्र सिंह ने भाजपा उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और जीत भी हासिल की। लेकिन मानवेन्द्र सिंह को वसुंधरा राजे के शासन में अपेक्षित सम्मान नहीं मिला। मानवेन्द्र सिंह की स्वाभिमान रैली मारवाड़ में भाजपा के लिए मुसीबत खड़ी कर सकती है।
एस.पी.मित्तल) (22-09-18)
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