भाजपा नेता रोहिताश्व शर्मा और देवी सिंह शेखावत ने सीएम वसुंधरा राजे के सामने झगड़ने की हिम्मत दिखाई।

भाजपा नेता रोहिताश्व शर्मा और देवी सिंह शेखावत ने सीएम वसुंधरा राजे के सामने झगड़ने की हिम्मत दिखाई। वो गंुडाई के बल पर गौरव यात्रा की सभा बिगाड़ना चाहता था-डाॅ. शर्मा।
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माना तो यही जाता है कि राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे के सामने किसी भी भाजपा नेता की ऊंची आवाज में बोलने की हिम्मत नहीं होती है। बड़े बड़े केन्द्रीय मंत्री और दिग्गज नेता सीएम की चाकरी में लगे रहते हैं, क्योंकि वसुंधरा राजे की सिफारिश से ही मंत्री बना जाता है। यदि किसी नेता से वसुंधरा राजे नाराज हों तो उसका राजनीतिक भविष्य गर्त में ही जाएगा। पिछले पांच वर्षों में ऐसी स्थिति कई नेताओं ने भुगती है। लेकिन 23 सितम्बर को अलवर जिले के दो दिग्गज भाजपा नेता डाॅ. रोहिताश्व शर्मा और अलवर यूआईटी के अध्यक्ष देवी सिंह शेखावत ने न केवल ऊंची आवाज में बात की बल्कि गौरव यात्रा में सीएम के सामने ही आपस में झगड़ने लगे। हालात इतने बिगड़े की सीएम के सुरक्षा कर्मियों ने देवी सिंह शेखावत को घसीटते हुए मंच से ढकेल दिया। बाद में सीएम ने शेखावत को फिर से मंच पर बुलाया। मंच पर ही जिस तरह दो बड़े नेताओं में झगड़ा हुआ, उससे सीएम भी अवाक रह गई। सीएम के भी एक बार तो यह समझ में ही नहीं आया कि नेताओं पर कैसे नियंत्रण पाया जाए, क्योंकि सीएम को कभी भी उम्मीद नहीं थी कि उनकी उपस्थिति में इस तरह झगड़ा होगा। यह झगड़ा 23 सितम्बर को अलवर जिले के बानसूर में हुआ। विधानसभा चुनाव में शेखावत और शर्मा दोनों ही दावेदार हैं, इसलिए दोनों अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रहे थे। डाॅ. रोहिताश्व शर्मा की एप्रोच सीएम के पास सीधी है, जबकि शेखावत की एप्रोच भाजपा के पूर्व अध्यक्ष अशोक परनामी के जरिए हैं। परनामी के प्रभाव से ही शेखावत की पत्नी श्रीमती प्रतिभा शेखावत को जिला प्रमुख का उम्मीदवार बनाया गया, लेकिन वे एक वोट से हार गई। बाद में परनामी के दखल से ही शेखावत को यूआईटी का अध्यक्ष बनाना पड़ा। चूंकि बानसूर में करीब 20 हजार राजपूत वोट हैं, इसलिए शेखावत अपनी दावेदारी जता रहे हैं, जबकि रोहिताश्व शर्मा अपने बानसूर में किसी को देखना नहीं चाहते हैं। इसलिए झगड़े के लिए उन्होंने शेखावत को जिम्मेदार ठहराया है। डाॅ. शर्मा का आरोप है कि शेखावत अपने गुंडों के बल पर सीएम की सभा को बिगाड़ना चाहते थे, ताकि सीएम काॅलेज आदि की घोषणा नहीं कर सकें। शेखावत की गतिविधियों के बारे में सीएम को सब पता है। बानसूर का राजपूत समाज भी बाहरी व्यक्तियों की गुंडागर्दी को बर्दाश्त नहीं करेगा। वहीं शेखावत का कहना है कि बानसूर में मेरी उपस्थिति से ही डाॅ. शर्मा असहज हो जाते हैं। मैं हमेशा शालीनता के साथ व्यवहार करता हंू। जहां तक सुरक्षाकर्मियों द्वारा मंच से ढकेलने का सवाल है तो यह गलत फहमी में हुआ। बाद में सीएम ने ही सुरक्षाकर्मियों को डांटा और मुझे मंच पर बैठाया।
मंत्री अरुण चतुर्वेदी की व्यवस्था फेलः
जानकारों की माने तो सीएम को पहले से ही आशंका थी कि बानसूर में विवाद होगा, इसलिए सामाजिक न्याय मंत्री अरुण चतुर्वेदी को खासतौर से बानसूर भेजा गया, लेकिन चतुर्वेदी ने जो व्यवस्था की तो सीएम के सामने फेल हो गई। चतुर्वेदी, शेखावत और डाॅ. शर्मा के बीच तालमेल बैठाने में विफल रहे। चतुर्वेदी की व्यवस्था पर भी सीएम ने नाराजगी प्रकट की है। अलवर बानसूर में जहां रोहिताश्व अपने दम पर राजनीति करते हैं, वहीं शेखावत के परिवार का अपना दबदबा है। शेखावत के एक भाई आरएएस हैं तो दूसरे एडीजे। एक भाई अजमेर के किशनगढ में मार्बल का कारोबार करता हैं। इस किशनगढ़ वाली भूमि को भी विवादित बताया जा रहा है। इसको लेकर देवी सिंह शेखावत को पूर्व में नोटिस भी दिए गए थे।
एस.पी.मित्तल) (24-09-18)
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