बरसात होने और नहीं होने का खामियाजा भुगता अजमेर के किसानों ने। कहां हैं 33 प्रतिशत का मुआवजा। बीमा कंपनियां भी लापता।
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इन दिनों अजमेर जिले के किसानों की आंखों में आंसू हैं, क्योंकि बरसात होने और नहीं होने दोनों का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ा है। मानसून के मौसम में बरसात की उम्मीद में ही किसानों ने मंूग, ज्वार, उड़द, तिलहन, कपास, मक्का आदि खरीफ की फसल बीज का रोपण 20 से 30 जून के बीच किया गया, लेकिन उम्मीद के अनुरूप जुलाई में बरसात नहीं हुई। किसानों ने भूमिगत जल स्तर के जुगाड़ से 50 प्रतिशत फसल को बचाया गया, लेकिन इसे इन्द्र देवता की बेरहमी ही कहा जाएगा कि सितम्बर में जब फसल पक कर तैयार थी, तब बरसात हो गई, ऐसे में 50 प्रतिशत फसल भी खराब हो गई। सरकार बार-बार यह दावा करती है कि 33 प्रतिशत तक फसल खराब होने पर मुआवजा दिया जाएगा। इसी प्रकार कृषि बीमा का भी ढिंढोरा पीटा जाता है। लेकिन अजमेर कि किसानों के आंसू पोंछने वाला इस समय कोई नहीं है न तो सरकार के और न बीमा कंपनियों के प्रतिनिधि नजर आ रहे हैं। किसानों के प्रतिनिधि और बिजयनगर कृषि उपज मंडी के पूर्व उपाध्यक्ष किशन पापड़िया ने कहा कि किसानों के सामने भूखों मरने की स्थिति है। अजमेर जिले का कोई भी जन प्रतिनिधि किसानों के पास नहीं आ रहा है। पापड़ि़या ने इस मुसीबत के समय अजमेर के पूर्व सांसद स्वर्गीय सांवरलाल जाट को याद किया उन्होंने कहा कि यदि आज जाट जिन्दा होते तो किसानों को राहत दिलवाते। किसानों की इस मुसीबत की जानकारी मोबाइल नम्बर 9828470010 पर पापड़िया से ली जा सकती है।
सीएम से करेंगे वार्ताः
वहीं अजमेर भूमि विकास बैंक के अध्यक्ष चेतन च ौधरी ने कहा कि जिले के किसानों की समस्याओं को लेकर 27 सितम्बर को सीएम वसुंधरा राजे से वार्ता की जाएगी। सीएम राजे इस दिन गौरव यात्रा के तहत नागौर जिले में रहंेगी। च ौधरी ने कहा कि 29 सितम्बर को होने वाली बैंक की बैठक में इस मुद्दे पर विचार किया जाएगा। फिलहाल लोन की वसूली को भी स्थगित किया जा रहा है।