2 अप्रैल की घटना को लेकर डीएसपी सहित 9 पुलिस कर्मियों के विरुद्ध जांच के आदेश।
2 अप्रैल की घटना को लेकर डीएसपी सहित 9 पुलिस कर्मियों के विरुद्ध जांच के आदेश। कांग्रेस के पूर्व विधायक जयपाल ने किया है इस्तगासा।
8 अक्टूबर को अजमेर की एससी/एसटी कोर्ट की न्यायाधीश बृजमाधुरी शर्मा ने कांग्रेस के पूर्व विधायक डॉक्टर राजकुमार जयपाल के इस्तगासे पर डीएसपी दुर्ग सिंह, सीआई हरपाल सिंह, एसआई अयूब खान सहित सात पुलिस कर्मियों के विरुद्ध जांच के आदेश दिए हैं। चूंकि यह मामला एससीएसटी एक्ट से जुड़ा है इसलिए जांच अजमेर के पुलिस अधीक्षक की निगरानी मंे होगी। जांच रिपोर्ट 16 दिसम्बर तक प्रस्तुत करनी है।
इस्तगासे में डॉ. जयपाल ने आरोप लगाया कि गत 2 अप्रैल 2018 को जब वे अपने सिविल लाइन स्थित आवास पर 62वां जन्म दिन मना रहे थे, तब डीएसपी दुर्ग सिंह, सीआई हरपाल सिंह, एसआई अयूब खान आदि पुलिस कर्मी जबरन मेरे घर में घुसे और मेरे मेहमान पूर्व मेयर कमल बाकोलिया, एडवोकेट जीतेन्द्र खेतावत, पूर्व पार्षद विजय नागौरा आदि के साथ मारपीट की तथा जन्म दिन का भोजन बिखेर दिया। पुलिस ने धारा 151/107 में गिरफ्तार भी किया। डॉ. जयपाल ने अदालत में अपनी पत्नी रंजू जयपाल, कांग्रेस के नेता कुलदीप कपूर, फखरे मोइन आदि के बयान भी दर्ज करवाए। सभी ने कहा कि डॉ. जयपाल का दो अप्रैल के भारत बंद से कोई सरोकार नहीं था। पुलिस ने न केवल मारपीट बल्कि जातिसूचक शब्दों के साथ संबोधित भी किया।
पुलिस का तर्कः
इस संबंध में पुलिस का कहना रहा कि दो अप्रैल को भारत बंद के अंतर्गत अजमेर बंद की सारी गतिविधियां डॉ. जयपाल के सिविल लाइन स्थित निवास से ही संचालित हो रही थी, बंद के दौरान कलेक्ट्रट और एसपी कार्यालय पर पथराव भी हुआ, हिंसक वारदात को नियंत्रित करने के लिए ही डॉ. जयपाल के आवास पर कार्यवाही की गई। उल्लेखनीय है कि एससीएसटी वर्गों के आहवान पर दो अप्रैल को देशव्यापी बंद किया गया था। बंद को कांग्रेस ने भी समर्थन दिया था। बंद के दौरान हुई तोड़फोड़ से आम लोगों को भारी परेशानी हुई थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में दो अप्रैल को देशव्यापी बंद घोषित किया गया था। तब दुर्ग सिंह अजमेर उत्तर क्षेत्र के वृत्ताधिकार, तथा हरपाल सिंह अलवर गेट के थानाधिकारी के पद पर तैनात थे। दुर्ग सिंह इस समय राजसमंद में तैनात हैं।