अजमेर में सांसद शर्मा के सामने है सबसे बड़ी चुनावी चुनौती।

अजमेर में सांसद शर्मा के सामने है सबसे बड़ी चुनावी चुनौती।
केकड़ी से हैं उम्मीदवार।
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अजमेर जिले में केकड़ी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार सांसद रघु शर्मा के समर्थक उत्साह से भरे हैं। समर्थकों को विधानसभा का चुनाव बहुत आसान नजर आ रहा है। भाजपा उम्मीदवार राजेन्द्र विनायका की घोषणा के बाद तो समर्थक कुछ ज्यादा ही उत्साहित हैं। विनायका केकड़ी नगर पालिका के पार्षद हैं, जबकि रघु शर्मा अजमेर के सांसद। ऐसी स्थिति होने के बाद भी अजमेर जिले में रघु शर्मा के सामने ही सबसे बड़ी चुनावी चुनौती है। असल में दस माह पहले हुए लोकसभा के चुनाव में रघु शर्मा ने सबसे ज्यादा 34 हजार मतों की बढ़त केकड़ी से ही ली थी, यही बढ़त अब रघु के सामने चुनौती है। सवाल उठता है कि क्या विधानसभा के चुनाव में रघु शर्मा लोकसभा उपचुनाव की बढ़त को कायम रख पाएंगे? चुनाव में किसकी जीत होगी इसका पता तो 11 दिसम्बर को मतगणना वाले दिन ही चलेगा, लेकिन राजनीतिक समीक्षक केकड़ी के चुनाव परिणाम को लोकसभा के परिणाम से तुलना कर रहे हैं। 10 माह पहले 34 हजार की बढ़त को देखते हुए कांग्रेस के बड़े नेता केकड़ी से जीत को पक्का मान कर चल रहे हैं, लेकिन यह भी सही है कि रघु शर्मा ने 2013 का विधानसभा चुनाव केकड़ी से ही 8 हजार मतों से हारा था, तब रघु शर्मा विधानसभा में सरकार के मुख्य सचेतक थे। रघु ने विधायक रहते जो विकास कार्य करवाए, उन्हें देखते हुए सभी को इस नामुमकिन लग रही थी, लेकिन रघु को हार का सामना करना पड़ा। विधानसभा चुनाव के बाद केकड़ी में जो हालात उपजे, उससे एक बार फिर मतदाताओं को रघु की याद आने लगी और मतदाताओं का रुख लोकसभा के चुनाव में सामने आ गया। जो समर्थक उत्साहित हैं उन्हें केकड़ी के मतदाताओं की भावनाओं का ख्याल रखना चाहिए। 2013 और जनवरी 2018 के चुनाव परिणाम रघु शर्मा के सामने हैं। रघु उपचुनाव में 8 विधानसभा क्षेत्रों में मात्र 85 हजार वोटों से जीता था, इन 85 हजार वोटों की जीत में अकेले केकड़ी के 34 हजार वोट थे। इसलिए रघु शर्मा और समर्थकों को मतदाताओं का तो ख्याल करना ही पड़ेगा। रघु के समर्थक इस बात से ही उत्साहित हो सकते हैं कि पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने सीएम पद के लिए जिन 6 नेताओं के नाम गिनाए, उनमें रघु शर्मा का नाम भी शामिल हैं। यानि केकड़ी से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर सीएम पद का दावेदार भी चुनाव लड़ रहा है। रघु को चुनावों का खासा अनुभव है और रणनीति बनाने में उन्हें माहिर माना जाता है। जबकि भाजपा उम्मीदवार पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। हालांकि मौजूदा भाजपा विधायक शत्रुघ्न गौतम की प्रचार में सक्रिय भूमि नहीं है। 19 नवम्बर को नामांकन के समय तो गौतम को देखा गया था, लेकिन अब गौतम कहीं भी नजर नहीं आ रहे हैं। इसे राजनीति का चरित्र ही कहा जाएगा कि 15 दिन पहले तक जिस गौतम की केकड़ी में तूती बोलती थी, वे अब चुनाव के महत्वपूर्ण मौके पर कहीं भी नजर नहीं आ रहे हैं।
एस.पी.मित्तल) (29-11-18)
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