मुस्लिम जज के बगैर मंदिर विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई कैसे हो सकती है?
by
Sp mittal
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October 29, 2018
मुस्लिम जज के बगैर मंदिर विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई कैसे हो सकती है? सीजेआई गोगोई ने कहा जनवरी 2019 में उपयुक्त बैंच करेगी सुनवाई।
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29 अक्टूबर को अयोध्या में राम मंदिर के भूमि विवाद को लेकर सुनवाई होनी थी, लेकिन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि अब इस मामले में जनवरी 2019 में उपयुक्त बैंच के समक्ष सुनवाई होगी। पक्षकारों के वकीलों ने जल्द सुनवाई और अन्य तर्क भी रखे, लेकिन जस्टिस गोगोई ने किसी की भी नहीं सुनी और स्पष्ट कहा कि जनवरी में सुनवाई के समय ही अपना पक्ष रखें। 29 अक्टूबर को जिस तरह सुनवाई टली, उससे प्रतीत होता है कि नई बैंच में किसी मुस्लिम जज को भी रखा जाएगा। वर्तमान में जस्टिस अब्दुल नजीर सुप्रीम कोर्ट में अकेले मुस्लिम जज हैं। हालांकि गोगोई के चीफ जस्टिस बनने के बाद नई बैंच का गठन भी जस्टिस गोगोई ने ही किया था। 29 अक्टूबर को जस्टिस गोगोई के साथ जस्टिस संजय किशन काॅल और जस्टिस केएम जोसेफ भी थे। लेकिन जस्टिस गोगोई का कहना रहा कि इस मामले की सुनवाई उपयुक्त बैंच में होनी चाहिए। जनवरी में जो बैंच बनेगी, उसका गठन भी चीफ जस्टिस के नाते जस्टिस गोगोई ही करेंगे। समझा जा रहा है कि नई बैंच में जस्टिस अब्दुल नजीर भी शामिल हो सकते हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट में बैंच के गठन के समय जज का धर्म नहीं देखा जाता, लेकिन तीन तलाक के मामले में जो बैंच बनी उसमें एक जज मुस्लिम रहा। इसी प्रकार पूर्व म्ें यूपी हाईकोर्ट ने मंदिर विवाद पर जो निर्णय दिया, उसमें भी एक जज मुस्लिम थे। 29 अक्टूबर को चीफ जस्टिस गोगोई ने एप्रोपिएट बैंच शब्द का जो उपयोग किया उसके न्यायिक क्षेत्र में अनेक मायने निकाले जा रहे हैं।
गेंद सरकार के पाले मंेः
27 अक्टूबर को यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि मंदिर निर्माण पर कोर्ट को जल्द फैसला देना चाहिए। वहीं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह ने कहा कि अदालतें ऐसा फैसला न दें जो व्यवहारिक न हो। इससे पहले दशहरे के वार्षिक समारोह में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि सरकार कानून बनाकर अयोध्या में भगवान राम के मंदिर का निर्माण करें। यही वजह थी कि देश भर में 29 अक्टूबर की सुनवाई का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई अगले वर्ष तक के लिए टल गई। एक तरह से मंदिर निर्माण की गेंद अब सरकार के पाले में आ गई है। अभी तो यह भी तय नहीं है कि जनवरी में सुनवाई किस दिन होगी तथा सुनवाई नियमित होगी भी या नहीं। दिसम्बर में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणाम आ जाएंगे तथा अगले वर्ष मई में लोकसभा के चुनाव होने हैं। मौजूदा मोदी सरकार को संसद का शीतकालीन और बजट सत्र करना है। इन दो सत्रों में मंदिर निर्माण पर कानून बनाया जा सकता है। वैसे भी सुप्रीम कोर्ट में मंदिर मस्जिद का विवाद नहीं है। कोर्ट में भूमि के मालिकाना हक का विवाद है। सरकार चाहे तो भूमि का अधिग्रहण कर मंदिर का निर्माण करवा सकती है, लेकिन इसके लिए संसद में कानून बनाना पड़ेगा।