राम मंदिर पर अध्यादेश अभी नहीं-सीएम योगी।
तो औवेसी की चुनौती स्वीकार करने के मूड में नहीं है भाजपा।
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29 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में जिस प्रकार सुनवाई टली, उससे केन्द्र सरकार पर अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश लाने और संसद में कानून बनाने का दबाव बढ़ गया है। ऑल इंडिया मज्लिस ए इतेहदुल मुसलिमीन अध्यक्ष व सांसद असाद्दीन औवेसी ने भाजपा को खुली चुनौती दी थी कि 56 इंच का सीना है तो अध्यादेश लाकर दिखाएं। इसी प्रकार अनेक मुस्लिम नेताओं ने भी अध्यादेश का विरोध किया था। 30 अक्टूबर को एक टीवी न्यूज चैनल से संवाद करते हुए यूपी के सीएम योगी आदित्य नाथ ने कहा कि अध्यादेश लाने पर अभी कोई विचार नहीं हो रहा है। 27 अक्टूबर को योगी का कहना था कि मंदिर निर्माण के मामले में सुप्रीम कोर्ट को जल्द फैसला देना चाहिए, लेकिन 30 अक्टूबर को योगी का कहना रहा कि समय पर मिला न्याय उत्तम होता है, लेकिन समय पर न्याय नहीं मिलना अन्याय माना जाता है। न्यायपालिका के प्रति लोगों का सम्मान है, लेकिन जब न्याय मिलने में देरी होती है तो फिर निराशा होती है। यह विपत्ति का समय है, इसलिए संत समाज को भी धैर्य रखना होगा। जिस तरह योगी का बयान सामने आया है उससे प्रतीत होता है कि मंदिर निर्माण पर सरकार और भाजपा औवेसी की चुनौती को स्वीकार करने के मूड में नहीं है। सरकार अभी जनवरी 2019 में सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई का इंतजार करेगी।
दिल्ली में संत सम्मेलन:
अध्यादेश के लिए केन्द्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए 3 व 4 नवम्बर को दिल्ली में संत समाज का सम्मेलन रखा गया है। सम्मेलन में देशभर के कोई तीन हजार साधु संत भाग लेंगे। इस सम्मेलन में मंदिर निर्माण को लेकर आंदोलन की घोषणा भी की जाएगी। संतों के सम्मेलन को लेकर सरकार भी चिंतित है।