पत्रकारों का दुश्मन बना हुआ है बाड़मेर का जिला एवं पुलिस प्रशासन। पत्रकारों ने एकजुट होकर चुनाव आयोग में शिकायत की।
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आमतौर पर प्रशासन और पत्रकारों के बीच सौहार्द पूर्ण संबंध होते हैं, क्योंकि दोनों ही वर्ग समाज के हित में कार्य करते हैं। अक्लमंद अधिकारी स्वस्थ्य आलोचना को भी स्वीकार करते हैं। लेकिन जो अधिकारी सत्ता के तलुए चाटते हैं, उन्हें अपनी बुराई भी पसंद नहीं होती है। उनका अहंकार रावण से भी ज्यादा होता है। हालांकि यह सभी जानते हैं कि अहंकारी, घमंडी और पराई स्त्री का अपहरण करने वाले रावण को भी एक दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के हाथों मरना पड़ता था। राजस्थान में 7 दिसम्बर को चुनाव होने हैं। सत्ता का ऊंट किस करवट बैठे कहा नहीं जा सकता। चुनाव निष्पक्ष हों, इसलिए सत्तारूढ़ भाजपा के मंत्रियों और सरकारी पदों पर बैठे भाजपा नेताओं के वाहन और अधिकार छीन लिए गए हैं। लेकिन बाड़मेर के पत्रकार अपने ही जिला एवं पुलिस प्रशासन से बेहद परेशान हैं। पत्रकारों का मानना है कि जिला कलेक्टर शिवप्रसाद मदन नकाते और पुलिस अधीक्षक मनीष अग्रवाल के रहते दबाव और तनाव में काम करना पड़ रहा है। लगातार तीन पत्रकारों के खिलाफ की गई कार्यवाही से दहशत का माहौल है। ऐसे माहौल के अंतर्गत ही बाड़मेर प्रेस क्लब की ओर से चुनाव आयोग को एक पत्र प्रेषित किया गया है। इस पत्र में बताया गया कि गत एक नवम्बर को न्यूज 18 टीवी चैनल के संवाददाता प्रेमदान देथा को कलेक्टर नकाते ने अपने कक्ष में बुलाया और धमकी दी। देथा ने राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सैकंड ग्रेड की परीक्षा का हिन्दी का प्रश्न पत्र परीक्षा के दौरान स्पेशल मीडिया पर आ जाने की खबरे चलाई थी। इससे खफा होकर कलेक्टर ने एसपी मनीष अग्रवाल को निर्देश देकर देथा को पुलिस हिरासत में भी भेज दिया। जब देथा को हिरासत में लिया गया, तब भी दुव्र्यवहार किया। हालांकि दो-तीन घंटे बाद देथा को छोड़ दिया, लेकिन जिला एवं पुलिस प्रशासन की बदनीयती तो प्रकट हो ही गई। विगत दिनों इंडिया न्यूज के संवाददाता दुर्गसिंह राजपुरोहित की गिरफ्तारी में भी पुलिस ने जरुरत से ज्यादा जल्दबाजी दिखाई। पुलिस की इस जल्दबाजी पर गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने भी टिप्पणी की थी। जबकि पुलिस को अच्छी तरह पता था कि राजपुरोहित के खिलाफ झूठा मुकदमा हुआ है। फस्र्ट इंडिया के संवाददाता पप्पू कुमार ब्रजवाला के खिलाफ भी झूठा मुकदमा दर्ज किया गया। ब्रजवाला ने भी वर्तमान अधिकारियों की तुलना पिछले योग्य और व्यवहार कुशल अधिकारियों से कर दी थी। ऐसा नहीं कि बाड़मेर के अधिकारी सिर्फ पत्रकार से ही द्वेषता रखते है, बल्कि आमलोगों से भी उनकी नाराजगी रहती है। विगत दिनों सीएम वसुंधरा राजे जब गौरवयात्रा पर बाड़मेर आई तो पुलिस ने यात्रा वाले मार्ग के दुकानदारों, मकान मालिकों आदि को ही पाबंद कर दिया। हिदायत दी गई कि यदि सीएम का विरोध हुआ तो उनके विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बाड़मेर का प्रशासन किस नजरिए से काम कर रहा है। प्रेस क्लब के साथ आईएफडब्ल्यूजे के जिलाध्यक्ष प्रवीण बोथरा ने भी राज्यपाल को एक पत्र लिखकर कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को तत्काल हटाने की मांग की है ताकि बाड़मेर में निष्पक्ष चुनाव हो सके। इस पत्र पर कई पत्रकारों ने हस्ताक्षर किए हैं।