तो अजमेर में पलाड़ा दम्पत्ति भी चल सकते हैं डेयरी अध्यक्ष रामचन्द्र च ौधरी की राह पर। चुनाव में होगा भाजपा को नुकसान।
======
अजमेर की जिला प्रमुख रहीं और वर्तमान में मसूदा की भाजपा विधायक श्रीमती सुशील कंवर पलाड़ा का किन्हीं कारण से टिकिट कटता है तो वे और उनके पति भंवर सिंह पलाड़ा डेयरी अध्यक्ष रामचन्द्र च ौधरी की राह पर चल सकते हैं। च ौधरी ने विधानसभा चुनाव के ऐनमौके पर भाजपा का दामन छोड़ कर कांग्रेस की सदस्यता ले ली। जानकारों की माने तो सीएम वसुंधरा राजे के रुखे व्यवहार की वजह से च ौधरी को भाजपा का साथ छोड़ना पड़ा। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता चाहते थे कि सीएम राजे एक बार च ौधरी से मिल लें, लेकिन लाख कोशिश के बाद भी सफलता नहीं मिली। वैसे भी गत पांच वर्षों से च ौधरी भाजपा में उपेक्षित चल रहे थे। हालांकि डेयरी के कार्यक्रमों मंे भाजपा के मंत्रियों एवं विधायकों का स्वागत सत्कार करवाने में च ौधरी ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी। भाजपा के नेता माने या नहीं, लेकिन च ौधरी के साथ छोड़ने से भाजपा को चुनावों में जिले भर में नुकसान होगा। जिले की 600 दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों के माध्यम से च ौधरी का गांव गांव में सम्पर्क है। गत विधानसभा चुनाव से पहले जब च ौधरी ने भाजपा का दामन थामा था, तब जिले में भाजपा को फायदा हुआ था। हालांकि पलाड़ा दम्पत्ति च ौधरी की तरह कांग्रेस में शामिल नहीं होंगे, लेकिन यदि फिर से उम्मीदवारी नहीं मिलती है, तो भाजपा की स्थिति पर मसूदा में ही नहीं, बल्कि जिले की सभी आठों सीटो ंपर असर पड़ेगा। कुछ नासमझ भाजपाई पलाड़ा दम्पत्ति के राजनीतिक महत्व को भी नकार सकते हैं, लेकिन राजनीति के जानकार मानते हैं कि न केवल राजपूत समाज, बल्कि अन्य समाजों में भी पलाड़ा दम्पत्ति का प्रभाव है। विधायक रहते हुए जहां पलाड़ा ने ग्राम पंचायत स्तर पर कैम्प लगाकर समस्याओं का समाधान किया, वहीं धार्मिक क्षेत्र में भी उल्लेखनीय कार्य करवाए। यही वजह है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक के पदाधिकारी पलाड़ा की उम्मीदवारी के पक्ष में है, लेकिन सीएम वसुंधरा राजे से तालमेल नहीं होने की वजह से उम्मीदवारी का मामला पटरी पर नहीं बैठ रहा है। ऐसा नहीं की सीएम राजे से कोई विवाद है। आनंदपाल के प्रकरण में सरकार ने जिन राजपूत नेताओं को सक्रिया किया उनमें पलाड़ा भी शामिल थे, लेकिन अपने स्वभाव के अनुसार पलाड़ा दम्पत्ति अजमेर की किसी एयर स्ट्रीप पर सीएम का स्वागत करने के लिए लाइन में नहीं लगे। पलाड़ा दम्पत्ति के प्रभाव के बारे में सीएम भी अच्छी तरह जानती हैं। अजमेर के अधिकांश भाजपा नेता तथा दावेदार भी चाहते हैं कि पलाड़ा की उम्मीदवारी हो जाए यदि नहीं होती है तो अन्य क्षेत्रों में प्रतिकूल असर पड़ेगा। मसूदा के साथ-साथ अजमेर उत्तर में खतरा उत्पन्न हो सकता है। अजमेर उत्तर से पलाड़ा स्वयं ही उम्मीदवार हो जाए। पलाड़ा के समर्थकों ने उत्तर में वोटों की गणित भी समझ ली है। इस क्षेत्र में राजपूत और रावणा राजपूत वोट निर्णायक स्थिति में है साथ ही मुस्लिम मतदाताओं पर समर्थकों की नजर लगी हुई है। पलाड़ा दम्पत्ति का निवास भी इसी विधानसभा क्षेत्र में है। यदि पलाड़ा निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरते हैं। तो भाजपा उम्मीदवार के लिए मुसीबत खड़ी होगी। हालांकि पलाड़ा की सीधी एप्रोच केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से है। गत बार भी दिल्ली के दखल से ही श्रीमती पलाड़ा को मसूदा से उम्मीदवार बनाया गया। पलाड़ा एक बार फिर दिल्ली से दखल करवा सकते हैं। देखना होगा कि अगले एक-दो दिन में क्या निर्णय होता है?