अजमेर के टिकिटों में सचिन पायलट की ही चली। कुछ समर्थक मायूस भी।
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अजमेर जिले में कांग्रेस के टिकिट बंटवारे में प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट की एक तरफा चली है। कांग्रेस ने 15 नवम्बर की रात को जो 152 उम्मीदवार की घोषणा की है उसमें अजमेर की 8 में 7 सीटों पर उम्मीदवार का ऐलान कर दिया है। उम्मीद है कि किशनगढ़ में भी 17 नवम्बर तक घोषणा हो जाएगी। उम्मीद के मुताबिक अजमेर उत्तर से महेन्द्र सिंह रलावता और दक्षिण से हेमंत भाटी उम्मीदवार बनाए गए हैं। उत्तर में दीपक हासानी मायूस हो सकते हैं, लेकिन दक्षिण में डाॅ. राजकुमार जयपाल और पूर्व मेयर कमल बाकोलिया को पायलट का समर्थक नहीं माना जा सकता। यह सही है कि लोकसभा के उपचुनाव में पायलट ने उत्तर क्षेत्र के सिंधी मतदाताओं की भावनाओं का ख्याल रखने की बात कही थी, इसलिए दीपक हासानी दौड़ में आगे चल रहे थे, लेकिन पायलट ने हासानी के बजाए रलावता पर भरोसा जताया। रलावता को उम्मीद है कि सर्वसमाज के सहयोग की वजह से उत्तर की सीट भाजपा से छीन ली जाएगी। हेमंत भाटी अपनी उम्मीदवारी पर शुरू से ही आश्वस्त थे, क्योंकि उनके मुकाबले में कांग्रेस का कोई नेता खड़ा ही नहीं हो पाया।
मसूदा में राकेश पारीकः
अजमेर में पायलट की एक तरफा चली है, इसका उदाहरण मसूदा से राकेश पारीक की उम्मीदवारी है जिन्हें मसूदा से उम्मीदवार बना दिया गया। असल में पारीक को अजमेर में किसी भी तरह एडजस्ट करना था, इसलिए मसूदा क्षेत्र दिया गया। पायलट ने ही पारीक को सेवादल का प्रदेशाध्यक्ष नियुक्त किया था। पारीक पूरी तरह पायलट के भरोसे ही थे। मसूदा से पारीक को उम्मीदवार बनाने से देहात कांग्रेस के अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह राठौड़ को मायूस होना पड़ा है। हाजी कय्यूम खान पायलट के खेमे के नहीं माने जाते, लेकिन कांग्रेस के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष अहमद पटेल के जरिए प्रयास कर रहे थे। पायलट ने कयूम के मुकाबले में पारीक को तवज्जों दी है।
रघु की मर्जी चलीः
केकड़ी से उम्मीदवार होने में सांसद रघु शर्मा की स्वयं की मर्जी चली है। हालांकि पायलट की सिफारिश पर ही रघु को लोकसभा के उपचुनाव में अजमेर से उम्मीदवार बनाया गया था। रघु ने स्वयं का टिकिट लेकर जिले की 7 सीटों पर मौन धारण कर लिया। हालांकि उपचुनाव के समय रघु ने भी कई नेताओं को विधानसभा चुनाव में सहयोग करने का भरोसा दिलाया था, लेकिन रघु की सारी ताकत खुद के टिकिट के लिए लगी रही।
ब्यावर में पारस जैनः
जिस प्रकार भाजपा ने अजमेर में वैश्य समाज की उपेक्षा की है, उसी प्रकार कांग्रेस ने रावत समुदाय की अनदेखी की है। रावत बहुल्य माने जाने वाले ब्यावर से वैश्य समुदाय के पारस जैन को उम्मीदवार बनाया है। पारस जैन भी पायलट खेमे के ही हैं। कांग्रेस को उम्मीद है कि ब्यावर शहर के मतदाता पारस के पक्ष में लामबंद होंगे। पूर्व में भी ब्यावर से दोनों पार्टियों के गैर रावत उम्मीदवार जीत दर्ज करवाते आ रहे हैं। भाजपा ने शंकर सिंह रावत को लगातार दूसरी बार उम्मीदवार बनाया है, लेकिन माना जाता है कि रावत के व्यवहार से ब्यावर शहर के भाजपाई भी खुश नहीं हैं।
महेन्द्र के मुकाबले में रामनारायण गुर्जर को तरजीहः
पायलट ने नसीराबाद से पूर्व विधायक महेन्द्र सिंह गुर्जर के मुकाबले मौजूदा विधायक रामनारायण गुर्जर को तरजीह दी है। पायलट को भी पता है कि नसीराबाद के उपचुनाव में रामनारायण ने जीत दर्ज कर उनके राजनीतिक प्रभाव को बढ़ाया था। उपचुनाव के समय ही पायलट प्रदेशाध्यक्ष बने थे। भले रामनारायण गुर्जर ने मात्र 386 मतों से जीत दर्ज की, लेकिन पायलट के लिए यह जीत पूरे प्रदेश में महत्व रखती थी। यही वजह है कि पायलट ने आम चुाव में भी रामनारायण गुर्जर को ही उम्मीदवार बनाया है। हालांकि महेन्द्र गुर्जर भी पायलट खेमे के ही हैं।
पुष्कर में नसीम की लाॅटरी खुलीः
चूंकि पायलट ने मसूदा में हाजी कयूम खान को रोक कर राकेश पारीक को टिकिट की गाड़ी में बैठा दिया, इसलिए पायलट को पुष्कर से मुस्लिम उम्मीदवार के तौर पर श्रीमती नसीम अख्तर को उतारना पड़ा। नसीम महिला, मुस्लिम और युवा तीनों श्रेणियों में फिट बैठ रही थीं, इसलिए उम्मीदवारी आसान हो गई। नसीम ने पिछला चुनाव भी पुष्कर से लड़ा था, तब वे 41 हजार मतों से भाजपा के सुरेश सिंह रावत से हारी थीं। एक बार फिर रावत और नसीम के बीच मुकाबला है। डाॅ श्रीगोपाल बाहेती को मायूस होना पड़ा।
किशनगढ़ में इंतजारः
किशनगढ़ विधानसभा क्षेत्र में अभी कांग्रेस ने उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। घोषित 7 उम्मीदवारों में से एक भी जाट समुदाय का नहीं है, इसलिए माना जा रहा है कि पूर्व विधायक नाथुराम सिनोदिया को उम्मीदवार बनाया जाएगा। यदि सिनोदिया उम्मीदवार होते हैं तो किशनगढ़ एक मात्र क्षेत्र होगा, जहां पायलट की मंशा के विरुद्ध टिकिट दिया जाएगा। किशनगढ़ में पायलट की पहली पसंद राजेन्द्र गुप्ता है।