किशनगढ़ में भाजपा-कांगे्रस दोनों के बागी डटे।
पुष्कर, मसूदा और अजमेर उत्तर में कांगे्रस तथा ब्यावर में भाजपा का बगावत से सामना।
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22 नवम्बर को विधानसभा चुनाव के लिए नाम वापस लेने का अंतिम दिन था। अजमेर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार हेमंत भाटी के लिए यह राहत की बात रही कि उनके सगे भाई पूर्व मंत्री ललित भाटी ने नाम वापस ले लिया। नाम वापसी के बाद भाटी ने कहा कि मैंने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निर्देश पर नाम वापस लिया है। मैंने बिना शर्त नाम वापस लिया है। मैं अब पूरी ताकत के साथ हेमंत भाटी को जिताने का कार्य करुंगा। मसूदा विधानसभा क्षेत्र में पूर्व संसदीय सचिव ब्रह्मदेव कुमावत के नाम वापस लेने पर कांगे्रस उम्मीदवार राकेश पारीक ने राहत महसूस की है। लेकिन भाजपा उम्मीदवार श्रीमती सुशील कंवर पलाडा के लिए यह संतोष जनक बात है कि अभी भी कांग्रेस के पूर्व विधायक हाजी कय्यूम खान मैदान में है। लाख कोशिश के बाद भी पार्टी के बड़े नेता कय्यूम को मना नहीं सके। हालांकि सचिन पायलट से लेकर अशोक गहलोत तक ने कय्यूम खान से संवाद किया, लेकिन बात नहीं बनी। कय्यूम की उम्मीदवार कांग्रेस के लिए घातक साबित हो सकती है। क्योंकि मसूदा में बड़ी संख्या में मुस्लिम मतदाता हैं। किशनगढ़ विधानसभा क्षेत्र में पूर्व विधायक नाथूराम सिनोदिया और नगर परिषद के पूर्व सभापति सुरेश टांक डटे रहे। टांक भजपा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य हैं। लेकिन लाख कोशिश के बाद भी टांक को मनाया नहीं जा सका। इसी प्रकार सिनोदिया से भी अनेक बड़े नेताओं ने बात की। टांक के समर्थकों का मानना है कि जाट बहुल्य किशनगढ विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवार जाट है, इसलिए टांक की जीत आसान है। भाजपा ने विकास च ौधरी व कांगे्रस ने नंदाराम धाकड़ को उम्मीदवार बनाया है। टांक का कहना है कि वे अब किशनगढ़ की जनता के उ म्मीदवार हैं, इसलिए किसी राजनीतिक दल से उनका कोई सरोकार नहीं है। वे भाजपा से इस्तीफा भी दे रहे हैं।
पुष्कर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की उम्मीदवार श्रीमती नसीम अख्तर के सामने अभी भी तीन मुस्लिम उम्मीदवार हैं। इनमें राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के उम्मीदवार शाहबुद्दीन कुरैशी भी शामिल हैं। पुष्कर में भी मुस्लिम मतदाताओं की संख्या ज्यादा है। इसलिए माना जा रहा है कि मुस्लिम उम्मीदवार कांग्रेस को नुकसान पहुंचाएंगे। अजमेर उत्तर से कांग्रेस के उम्मीदवार महेन्द्र सिंह रलावता की लाख कोशिश के बाद भी पार्षद अमाद चिश्ती का नाम वापस नही ंहो सका है। दरगाह के मुस्लिम बहुल्य क्षेत्र से अमाद चिश्ती पार्षद भी हैं। माना जा रहा है कि अमाद की उम्मीदवार से कांग्रेस को नुकसान होगा। इसी प्रकार ब्यावर में भाजपा शंकर सिंह रावत के सामने बागी उम्मीदवार के तौर पर देवेन्द्र सिंह च ौहान डटे हैं। 19 नवम्र को रावत समुदाय के पांच उम्मीदवारों ने सामूहिक तौर पर नामांकन दाखिल किया था, लेकिन अब चार ने अपना नाम वापस ले लिया और देवेन्द्र सिंह च ौहान की उम्मीदवारी को कायम रखा। रावत समाज की अनेक संस्थाओं का समर्थन च ौहान को है।