बारावफात के मौके पर अजमेर के सुभाष बाग की हुई दुर्दशा का जिम्मेदार कौन?

बारावफात के मौके पर अजमेर के सुभाष बाग की हुई दुर्दशा का जिम्मेदार कौन?
नगर निगम के पत्र पर जिला एवं पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के इंतजाम क्यों नहीं किए?
===================
केन्द्र सरकार की हृदय योजना के अंतर्गत अजमेर के सुभाष बाग पर कोई 12 करोड़ रुपए की राशि खर्च की गई। पिछले एक पखवाड़े से शहरवासी सुभाष बाग के प्राकृतिक सौंदर्य और हरियाली का आनंद ले रहे थे। सुभाष बाग के रख रखाव के लिए पांच रुपए का टिकिट भी लगा रखा है। फिलहाल नगर निगम ही बाग के रख रखाव का कार्य कर रहा है। ठेके पर देने की प्रक्रिया विचाराधीन है। लेकिन 21 नवम्बर को बारावफात के जुलूस में आए हजारों लोग भी सुभाष बाग में आ गए, फलस्वरूप नगर निगम की सारी व्यवस्थाएं धरी रह गई। हजारों लोगों के एक साथ प्रवेश से हरियाली को तो नुकसान हुआ ही साथ ही जगह जगह कचरा भी बिखर गया। बारावफात के जुलूस में शामिल लोग सुभाष बाग भी आते हैं। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए ही नगर निगम ने पुलिस प्रशासन को पूर्व मंे ही पत्र लिख सुरक्षा प्रबंध करने का आग्रह किया था। निगम के आयुक्त हिमांशु गुप्ता ने स्वीकार किया कि 21 नवम्बर को हजारों लोगों की भीड़ आ जाने से सुभाष बाग के पेड़ पौधों को नुकसान पहुंचा है। सफाई तो निगम ने करवा दी है, जल्द ही क्षतिग्रस्त हरियाली को भी ठीक करवाया जाएगा। भविष्य में ऐसी पुर्नावृत्ति हो इसके लिए उपाय किए जाएंगे। गुप्ता ने माना कि 21 नवम्बर को हालात नियंत्रण से बाहर हो गए थे। वहीं मेयर धर्मेन्द्र गहलोत ने आरोप लगाया कि प्रशासन ने समय पर कार्यवाही नहीं की; यदि का र्यवाही होती तो सुभाष बाग की ऐसी दुर्दशा नहीं होती। जब निगम की ओर से पत्र लिख दिया गया था तो सुरक्षा के इंतजाम क्यों नहीं किए गए? गहलोत ने कहा कि सुभाष बाग के प्राकृतिक सौंदर्य को बनाए रखने की जिम्मेदारी अजमेर के लोगों की भी है। सभी को सहयोग कर सार्वजनिक सम्पत्तियों की रक्षा करनी चाहिए।
प्रशासन के सामने अहम सवालः
21 नवम्बर की घटना से प्रशासन के सामने भी अहम सवाल उठ खड़ा हुआ है। जुलूस से पहले जिला प्रशासन और जुलूस प्रबंधन के प्रतिनिधियों के बीच वार्ता होती है। ऐसी वार्ता इस बार भी हुई थी, लेकिन किसी का भी ध्यान सुभाष बाग की सुरक्षा पर नहीं गया। 21 नवम्बर की घटना से प्रशासन को भी सबक लेना चाहिए। प्रशासन अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकता है। माना कि जिला और पुलिस प्रशासन इन दिनों विधानसभा चुनाव और पुष्कर मेले में भी व्यस्त हैं, लेकिन सार्वजनिक सम्पत्तियों की रक्षा करने का दायित्व प्रशासन का भी है। ताजा घटना से सबक लेकर प्रशासन को ऐसे इंतजाम करने चाहिए ताकि भविष्य में पुर्नावृत्ति न हो।
एस.पी.मित्तल) (22-11-18)
नोट: फोटो मेरी वेबसाइट www.spmittal.in
https://play.google.com/store/apps/details? id=com.spmittal
www.facebook.com/SPMittalblog
Blog:- spmittalblogspot.in
M-09829071511 (सिर्फ संवाद के लिए)
=========
Print Friendly, PDF & Email

You may also like...