इमरान खान पाकिस्तान में अपनी सियासत के लिए हमारे काॅमेडियन नवजोत सिंह सिद्धू का इस्तेमाल कर रहे हैं। हिन्दुओं को फिर से कश्मीर घाटी में बसाने पर इमरान अपना रुख स्पष्ट करें।
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करतारपुर साहिब काॅरिडोर के निर्माण का शिलान्यास समारोह पूरी तरह धार्मिक था, लेकिन पाकिस्तान के पीएम इमरान ने कश्मीर का मुद्दा उठा कर राजनीतिक रंग दे दिया। पाकिस्तान में हुए इस समारोह में पाक सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा भी उपस्थित थे। साफ जाहिर था कि इमरान के साथ पाकिस्तान की फौज भी खड़ी है। इमरान का कहना रहा कि भारत और पाकिस्तान के संबंधों के बीच कश्मीर मुद्दा ही अड़चन है, लेकिन जब फ्रांस और जर्मनी आपस के विवाद को मिटा कर एक हो सकते हैं, तो भारत-पाक क्यों नहीं? इमरान का सवाल जायज है, लेकिन फ्रांस और जर्मनी के बीच वो विवाद नहीं है जो भारत-पाक के बीच है। इमरान खान पाकिस्तान की फौज के दबाव में तब बोल रहे हैं, जब कश्मीर घाटी हिन्दू विहिन हो गई है। पाकिस्तान की मदद से कश्मीर उन आतंकियों के कब्जे में जो कश्मीर को भारत से अलग करना चाहते हैं। यदि हमारे सुरक्षा बल अपना बलिदान देकर ड्यूटी नहीं निभाएं तो पाकिस्तान की फौज कभी भी कश्मीर पर कब्जा कर सकती है। इमरान खान ने दोस्ती की बात तो कर दी, लेकिन यह नहीं बताया कि कश्मीर की समस्या का हल क्या है? पाक की फौज तो कश्मीर की आजादी चाहती है, क्या इमरान में इतनी हिम्मत है कि वह कश्मीर की आजादी का विरोध कर सके। सब जानते हैं कि आतंकवादियों ने घाटी से चार लाख हिन्दुओं को पीट पीट कर भगा दिया। क्या इमरान खान ऐसे हिन्दुओं को वापस कश्मीर घाटी में बसा सकते हैं? यदि इमरान खान हिन्दुओं की वापसी की बात कहेंगे तो एक दिन भी प्रधानमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठ सकेंगे। परमाणु शक्ति देश बता कर भारत को डराने की कोशिश नहीं करें, क्योंकि जंग के अलावा भी विकल्प हैं जो पाकिस्तान को घूटने टेकने पर मजबूर कर देंगे। भारत के पीएम नरेन्द्र मोदी ने दो दिन पहले ही कहा है कि जो पाकिस्तान बम की धमकी देता था, आज उसके हाथ में कटोरा है। यह सही है कि आज पाकिस्तान के चीन और अमरीका के सामने भीख मांग रहा है। इमरान को भारत को धमकाने के बजाए अपने देश के आतंरिक हालात सुधारने चाहिए। कट्टरपंथियों की वजह से पाकिस्तान में आतंकवाद चरम पर है। यदि इमरान को पाक फौज का संरक्षण नहीं हो तो वे एक दिन भी जिंदा नहीं रह सकते हैं। पाकिस्तान में कट्टरपंथियों के ऐसे गुट हैं जो पाकिस्तान की फौज से भी लड़ सकते हैं।
काॅमेडियन सिद्धू:
जहां तक भारत के प्रसिद्ध काॅमेडियन नवजोत सिंह सिद्धू का सवाल है तो इमरान खान अपनी सियासत के लिए सिद्धू को इस्तेमाल कर रहे हैं। सिद्धू की इतनी ही गंभीरता है कि वे कांग्रेस की पंजाब सरकार में मंत्री हैं। भारत में सिद्धू की पहचान एक काॅमेडियन की है जो अपने चुटकलों से लोगों का मनोरंजन करते हैं। सिद्धू से पाकिस्तान और इमरान खान की शान में कुछ भी कहलवाया जा सकता है। यह तो लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष भारत है जो सिद्धू जैसे काॅमेडियन पाकिस्तान में जाकर कुछ भी बोल देते हैं। यदि चीन होता तो अब तक सिद्धू की काॅमेडी बंद हो चुकी होती। सिद्धू काॅमेडियन से पाकिस्तान परस्त राजनेता बनने की कोशिश नहीं करें। इस मामले में कांग्रेस को भी गंभीरता दिखानी चाहिए। सिद्धू की हरकतें भारत में कांग्रेस को राजनीतिक नुकसान पहुंचाएंगी। राजस्थान में 7 दिसम्बर को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होना है। भाजपा के नेता सिद्धू के बयानों को मुद्दा बनाएंगे, जिसका खामियाजा कांग्रेस को उठाना पड़ेगा। पाकिस्तान का तो कोई काॅमेडियन भी भारत की प्रशंसा नहीं कर सकता है। असल में पाकिस्तान में सिद्धू जैसे काॅमेडियन भी नहीं है। भारत की आलोचना करने की वजह से ही सिद्धू पाकिस्तान में मशहूर हो गए हैं।