अजमेर में कमाई के लालच में चर्म रोग विभाग के डाॅक्टर जनाना अस्पताल में शिफ्ट नहीं होना चाहते। जब गर्भवती महिलाएं जा सकती हैं तो चर्म रोगी क्यों नहीं?
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अजमेर के सरकारी जवाहर लाल नेहरू अस्पताल में मरीजों की भीड़ को देखते हुए सरकार ने निर्णय लिया है कि चर्म रोग विभाग को जनाना अस्पताल के परिसर में शिफ्ट किया जाए। नेहरू अस्पताल से जनाना अस्पताल की दूरी कोई आठ किलोमीटर की है। पहले जनाना वार्ड भी नेहरू अस्पताल में ही चलता था, लेकिन बाद में जनाना वार्ड के लिए लोहागल क्षेत्र में नया भवन बना दिया गया। असल में चर्म रोग विभाग में जो डाॅक्टर कार्यरत हैं, वे कमई के लालच में 8 किलोमीटर दूर जनाना अस्पताल में जाना नहीं चाहते हैं, इसलिए चर्म रोग विभाग के स्थानांतरण का विरोध कर रहे हैं। सबसे बड़ी समस्या विभाग के नवनियुक्त अध्यक्ष डाॅ. राजकुमार कोठीवाला की है। डाॅ. कोठीवाला का आवास भी नेहरू अस्पताल के परिसर में ही है। डाॅ. कोठीवाला अस्पताल से निकल कर अपने सरकारी आवास में मोटी फीस लेकर मरीजों को देखना शुरू कर देते हैं। अस्पताल में जिन मरीजों को असुविधा होतीे है वे मजबूरी में अस्पताल परिसर के आवास में डाॅ. कोठीवाला के पास आ जाते हैं। डाॅ. कोठीवाला के आवास और नेहरू अस्पताल में कोई भेद नहीं है। ऐसा लगता है कि आवास में भी अस्पताल में ही देख रहे हैं। यही वजह है कि डाॅ. कोठीवाला के आवास पर हमेशा मरीजों की भीड़ लगी रहती है। कमाई और सुविधा को देखते हुए डाॅ. कोठीवाला नेहरू अस्पताल से चर्म रोग विभाग को जनाना अस्पताल में शिफ्ट नहीं करना चाहते हैं। एक तरह से यह सरकार के आदेशों की अवेहलना है। कायदे से उन डाॅक्टरों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही होनी चाहिए जो सरकार के आदेश के खिलाफ कार्य कर रहे हैं। डाॅ. कोठीवाला अजमेर में पिछले 8-10 वर्षों से जमे हुए हैं और अस्पताल में आने वाले मरीजों के साथ उनका व्यवहार भी संतोषजनक नहीं है। यही वजह है कि परेशान मरीजों को घर पर दिखाने के लिए मजबूर होना पड़ता है। जहां तक मरीजों का सवाल है तो जब गर्भवती महिलाएं जनाना अस्पताल जा सकती हैं तो फिर चर्म रोगी क्यों नहीं? गर्भवती महिलाओं को तो कई बार आपात चिकित्सा की जरूरत होती है, फिर भी उन्हें शहर से दूर जनाना अस्पताल जाना ही पड़ता है। जबकि चर्म रोगी को आपात चिकित्सा की आवश्यकता बहुत कम होती है। हां इतना जरूर हे कि चर्म रोग विभाग के शिफ्ट होने से डाॅ. कोठीवाला जैसे डाॅक्टरों को परेशानी होगी, क्योंकि फिर मरीजों को घर पर देखने का समय कम मिलेगा। इससे कमाई भी प्रभावित होगी।