अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री बनते ही अजमेर के मदार गेट से मालियों के अतिक्रमण हटाए। बाजार बंद।
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17 दिसम्बर को अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और 18 दिसम्बर को अजमेर के मदार गेट बाजार से बड़े पैमाने पर अस्थाई अतिक्रमण हटा दिए। ट्रेफिक पुलिस की इंस्पेक्टर सुनीता गुर्जर ने सख्ती दिखाते हुए दुकानदारों के अतिक्रमण हटाए ही, साथ ही कस्तूरबा अस्पताल के चबूतरे पर बैठने वाले फूल मालाओं के विक्रेताओं के अतिक्रमण भी हटा दिए। सुनीता गुर्जर की सख्त कार्यवाही से थोड़ी ही देर में मदारगेट बाजार बंद करा दिया गया। असल में मदार गेट पर दुकानदारों के अस्थाई अतिक्रमण को लेकर लगातार शिकायतें प्राप्त हो रही थी। इसी प्रकार फूल मालाओं के विक्रेता चबूतरे पर बैठने के बजाए चबूतरे के आगे सड़क पर अतिक्रमण कर यातायात को बाधित कर रहे थे। शिकायतों के मद्देनजर ही ट्रेफिक पुलिस ने 18 दिसम्बर को सख्ती के साथ अतिक्रमणों को हटा दिया। कुछ दुकानदारों ने विरोध किया तो सुनीता गुर्जर की झड़प भी हो गई। पुलिस के व्यवहार को लेकर कवंडसपुरा और मदारगेट के दुकानदारों ने अपने प्रतिष्ठान बंद कर दिए। शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय जैन, भाजपा की नेत्री भारती श्रीवास्तव आदि ने भी लोगों को समझाया। सभी का यह मानना था कि मदारगेट से अतिक्रमण हटाए जाने से यातायात सुगम हुआ है वहीं दुकानदारों का कहना रहा कि बाजार में ठेले वालों की वजह से यातायात बाधित होता है इस पर पुलिस ने भरोसा दिलाया कि ठेलों को बाजार में आने नहीं दिया जाएगा। मदार गेट के अनेक व्यापारी भी पुलिस की कार्यवाही से संतुष्ट नजर आए। असल में अजमेर शहर में मदार गेट ऐसा व्यस्ततम बाजार है, जहां चैपहिया वाहनों के प्रवेश पर रोक है। पूर्व में यातायात की स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने चैपहिया वाहनों के प्रवेश पर रोक लगाई थी। लेकिन यह रोक तब बेअसर हो गई जब मदार गेट के दुकानदारों ने स्वयं अस्थाई अतिक्रमण कर लिए। फूल मालाओं के विक्रेताओं के अतिक्रमण से तो जाम की स्थिति रहने लगी। यह सही है कि पुलिस की मिली भगत से ही ठेले वाले बाजार में इधर-उधर खड़े हो जाते हैं, इससे भी यातायात प्रभावित होता है।