एक वर्ष में रघु शर्मा ने जो मांगा, वो मिला।
इसे कहते हैं ईश्वर की कृपा। केबिनेट मंत्री बनने के बाद अजमेर में राजनीतिक चुनौती।
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ऐसा बहुत कम होता है जब राजनीति में मुंह मांगी सफलता मिल जाए, लेकिन कांग्रेस की राजनीति में रघु शर्मा ऐसा नेता हैं, जिन्हें एक वर्ष में अनेक सफलताएं मिल गई हैं। 24 दिसम्बर को शर्मा ने राजस्थान के केबिनेट मंत्री की शपथ लेकर शायद अपनी अंतिम इच्छा भी पूरी कर ली। केबिनेट मंत्री बनने के लिए ही शर्मा ने सांसद का पद छोड़ा हैं। यूं तो रघु शर्मा ने राजनीति के कई उतार चढ़ाव देखे। तीन बार विधायक और एक बार लोकसभा का चुनाव हारने के बाद रघु शर्मा पहली बार 2008 में अजमेर के केकड़ी से कांग्रेस के विधायक और विधानसभा में मुख्य सचेतक बने। केकड़ी का विकास करवाने में शर्मा ने कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन फिर भी 2013 में शर्मा विधानसभा का चुनाव हार गए। तब यह माना गया कि अब शर्मा के सितारे गर्दिश में हैं लेकिन अजमेर के लोकसभा के उपचुनाव में शर्मा को जबरन उम्मीदवार बनाया और विपरीत परिस्थितियों के बाद भी सांसद बन गए। उपचुनाव में उम्मीदवार बनते समय ही शर्मा ने कह दिया था कि वे विधानसभा का चुनाव ही लड़ेंगे। इसे ईश्वर की कृपा ही कहा जाएगा कि मात्र एक वर्ष की अवधि में रघु शर्मा सांसद और विधायक बन गए। जनवरी 2018 में डाॅ. करण सिंह यादव ने भी अलवर से लोकसभा का उपचुनाव जीता था, लेकिन डाॅ. करण सिंह हाल ही में विधानसभा का चुनाव हार गए। माना रघु शर्मा सांसद, विधायक और केबिनेट मंत्री तक बन गए। ऐसी सफलता किसी राजनीतिज्ञ को कम ही मिलती है।
लेकिन अब चुनौती:
रघु ने मुंह मांगी सफलता तो प्राप्त कर ली है, लेकिन छह माह बाद ही शर्मा की राजनतिक कुशलता की परीक्षा होगी। मई 2019 में लोकसभा के आम चुनाव होंगे। चूंकि अजमेर जिले से रघु एक बार मंत्री हैं, इसलिए उन्हीं पर कांग्रेस उम्मीदवार को जीतवाने की जिम्मेदारी होगी। 11 माह पहले रघु शर्मा भले ही लोकसभा का उपचुनाव जीत गए हो, लेकिन विधानसभा के चुनाव में अजमेर जिले में कांग्रेस को बुरी हार का सामना करना पड़ा है। जिले की 8 सीटों में से मात्र दो पर कांग्रेस को जीत मिली है। ऐसे में रघु के सामने लोकसभा के चुनाव में कड़ी चुनौती होगी। लोकसभा चुनाव को लेकर अजमेर में भाजपाई उत्साहित हैं, क्योंकि उन्हें 8 में से 5 सीटों पर जीत मिली है, जबकि एक सीट पर भाजपा का बागी उम्मीदवार जीता है।
राहुल की नजर में:
रघु शर्मा के लिए यह अच्छी बात है कि वे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की नजर में हैं। रघु को केबिनेट मंत्री बनवाने में राहुल का भी योगदान रहा है। असल में सांसद बनने के बाद रघु शर्मा दिल्ली में राहुल के निकट आ गए। राहुल गांधी की निकटता की वजह से सीएम अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट भी सतर्क हैं। रघु को लगता है कि अपने बूते पर केबिनेट मंत्री बने हैं।