अजमेर में कांग्रेस-भाजपा के नेता अब लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार बनने की फिराक में। दोनों ही दल उत्साहित।
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माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता मार्च तक लग जाएगी यानि अब चुनाव में मुश्किल से तीन माह शेष है। मतदान मई में संभावित है। राजस्थान में हाल ही में कांग्रेस की सरकार बनी है, इसलिए लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस में भी उत्साह है। हालांकि गत चुनावों में प्रदेश की सभी 25 सीटों पर कांग्रेस की हार हुई थी। चुनाव की सरगर्मिंयों के मद्देनजर ही अजमेर में भी कांग्रेस और भाजपा में हलचल शुरू हो गई है। इसी वर्ष जनवरी में हुए लोकसभा के उपचुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी, लेकिन हाल के विधानसभा चुनाव में जिले की 8 सीटों में से 6 पर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है। चूंकि प्रदेश में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बन गई है इसलिए कांग्रेस के नेता भी सशक्त दावेदारी जता रहे है। कांग्रेस में सबसे मजबूत दावेदारी अजमेर डेयरी के अध्यक्ष रामचन्द्र च ौधरी की मानी जा रही है। च ौधरी ने विधानसभा चुनाव के पहले ही घर वापसी की है। जानकार सूत्रों के अनुसार घर वापसी के समय प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट ने कांग्रेस की सरकार बनने पर सम्मान देने की बात कही थी। च ौधरी चुनाव में पायलट के भरोसे पर खरे भी उतरे है। च ौधरी ने पूरी ताकत लगाकर मसूदा से कांग्रेस के उम्मीदवार राकेश पारीक की जीत भी करवाई। च ौधरी का डेयरी के नेटवर्क की वजह से जिले भर में प्रभाव है। च ौधरी को जाट समुदाय का होने की वजह से भी राजनीतिक लाभ मिलता है। यही वजह है कि च ौधरी गत 25 वर्षों से अजमेर डेयरी के अध्यक्ष बने हुए हंै। इसके साथ ही पूर्व जिला प्रमुख रामस्वरूप च ौधरी भी दावेदारी जता रहे है। च ौधरी ने विधानसभा चुनाव में केकड़ी से दावेदारी जताई थी, लेकिन तब सफलता नहीं मिली। इसी प्रकार पूर्व विधायक डाॅ. श्रीगोपाल बाहेती, पूर्व मंत्री ललित भाटी, कांग्रेस के प्रदेश सचिव और विधानसभा चुनाव में अजमेर उत्तर क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार रहे महेन्द्र सिंह रलावता आदि भी दावेदारी जता रहे है।
भाजपा में लंबी लाइन ः
लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारी के लिए कांग्रेस से ज्यादा भाजपा में लंबी लाइन है। भाजपा के देहात जिलाध्यक्ष प्रो. बी.पी. सारस्वत ने सबसे पहले दावेदारी जता दी है। हालांकि अब तक किसी भी चुनाव में प्रो. सारस्वत ने दावेदारी नहीं जताई थी, लेकिन लोकसभा चुनाव में दावेदारी जताने में सारस्वत कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। सारस्वत को पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का समर्थक माना जाता है। सारस्वत ने राजे से लेकर दिल्ली तक के नेताओं को अपनी भावनाओं से अवगत करा दिया है। अजमेर जिले की 8 में से 5 सीटों पर भाजपा की जीत से भी सारस्वत उत्साहित है। सारस्वत का कहना है कि राजस्थान में भले ही कांग्रेस की सरकार बन गई हो, लेकिन लोकसभा चुनाव में तो भाजपा की ही जीत होगी। सारस्वत के साथ-साथ भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक व पूर्व जिला प्रमुख श्रीमती सुशील कंवर पलाड़ा के पति भंवर सिंह पलाड़ा भी दावेदारी जता रहे है। पलाड़ा का जिले भर में खासकर राजपूत समाज में प्रभाव होने का दावा किया जा रहा है। हालांकि विपरित हालातों की वजह से श्रीमती पलाड़ा इस बार मसूदा से विधानसभा का चुनाव मात्र तीन हजार मतों से हार गई, लेकिन मसूदा जैसे विधानसभा क्षेत्र में मिले रिकार्ड मतों से पलाड़ा उत्साहित है। पूर्व जिला प्रमुख पुखराज पहाड़िया तो दिल्ली तक दौड़ लगा चुके है। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम माथुर से पहाड़िया की सीधी एप्रोच है। हालांकि माथुर को लोकसभा चुनाव में गुजरात का प्रभारी बना दिया गया है, लेकिन पहाड़िया को उम्मीद है कि नाम आगे बढ़ाने में माथुर मदद करेंगे। किशनगढ़ के पूर्व विधायक भागीरथ च ौधरी को भी लोकसभा चुनाव का मजबूत दावेदर माना जा रहा है। विधानसभा चुनाव में च ौधरी का टिकट काटा गया था, लेकिन फिर भी किशनगढ़ से भाजपा को सफलता नहीं मिल सकी। अजमेर विकास प्राधिकारण के अध्यक्ष रहे शिवशंकर हेड़ा भी दावेदार बताए जा रहे है। हेड़ा को पूर्व सीएम राजे का समर्थक माना जाता है। पूर्व जिला प्रमुख श्रीमती सरिता गैना भी दावेदार है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डाॅ. दीपक भाकर ने उपचुनाव में भी दावेदारी जताई थी। डाॅ. भाकर की पृष्ठभूमि राजनीति की रही है और वे टीवी चैनलों पर मजबूती के साथ भाजपा का पक्ष रखते है। विधानसभा चुनाव में नसीराबाद से भाजपा उम्मीदवार रामस्वरूप लांबा को जीत दिलवाने में सक्रिय भूमिका निभाने वाले वैश्य समाज के दमदार नेता सुभाष काबरा भी अपनी दावेदारी जता रहे है। काबरा को जिले के कई भाजपा विधायकों का भी समर्थन बताया जा रहा है।