मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अजमेर में भी प्रशासन शहरों-गांवों के संग के शिविरों का जायजा लेना चाहिए। कलेक्टर के आदेश के बावजूद भी एडीए और नगर निगम के अधिकारी पट्टे जारी नहीं कर रहे। शुल्क भी अलग अलग। भूमि के खसरे की सही जानकारी नहीं होने से सफल नहीं हो रहे शिविर।

इसमें कोई दो राय नहीं कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत चाहते हैं कि प्रशासन शहरों-गांवों के संग अभियान में अधिक से अधिक लोगों को राहत मिले। भूखंड के नियमन में आने वाली बाधाओं को भी हटाया गया है। सीएम गहलोत की मंशा के अनुरूप ही पिछले दिनों जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित ने एक आदेश जारी किया। इस आदेश में धारा 177 का उल्लेख करते हुए कलेक्टरने कहा कि खातेदारी की कृषि भूमि पर बने मकानों का नियमन कर दिया जाए। कलेक्टर का यह आदेश अजमेर विकास प्राधिकरण और नगर निगम दोनों पर लागू होता है। लेकिन इसके बावजूद भी प्रशासन शहरों के संग अभियान के शिविरों में पट्टे जारी नहीं हो रहे हैं। असल में नगर निगम के 80 वार्डों में परकोटे के बाहर ऐसे अनेक वार्ड है, जिनकी भूमि पर एडीए ने अपनी योजना घोषित कर रखी है। योजना क्षेत्र की भूमि पर नियमन की रोक स्वयं सरकार ने लगा रखी है, लेकिन जिन खसरों की भूमि अवाप्त नहीं हुई है, उनके पट्टे भी जारी नहीं हो रहे हैं। राजस्व रिकॉर्ड में भूमि के खबरों का निर्धारण भी नहीं हो रहा है। यह पता ही नहीं चल रहा है कि संबंधित कॉलोनियों में पट्टे कौन जारी करेगा? परेशान लोग एडीए और नगर निगम के चक्कर लगा रहे हैं। गंभीर बात तो यह है कि नगर निगम और एडीए के शिविर भी अलग अलग लग रहे हैं। परेशान लोग एडीए के शिविर में जाते हैं तो उन्हें निगम के शिविर में जाने के लिए कहा जाता है। निगम के शिविरों में लोगों को एडीए के शिविर में भगा दिया जाता है। लोकप्रिय पार्षद ज्ञान सारस्वत का कहना है कि प्रशासन को कम से कम एक निकाय तो तय करना ही चाहिए। अपने वार्ड संख्या 4 मोती विहार कॉलोनी का उदाहरण देते हुए सारस्वत ने कहा कि सइ कॉलोनी पर दोनों ही निकायों का दावा है, लेकिन मकानों के पट्टे जारी नहीं हो रहे हैं। लोगों के पास 1992 से पहले के सभी दस्तावेज मौजूद हैं। लेकिन फिर भी नियमन नहीं हो रहा है। पार्षद सारस्वत ने कहा कि प्रशासन को पहले खसरों को चिन्हित करना चाहिए। सामाजिक कार्यकर्ता सुभाष काबरा ने बताया कि शहरी सीमा से लगी अजयसर, माकड़वाली, हाथीखेड़ा आदि ग्राम पंचायतें आबादी भूमि पर बने मकानों के तो पट्टे जारी कर रही है, लेकिन कृषि भूमि पर बने मकानों के पट्टे जारी नहीं हो रहे हैं। इस विसंगति को भी दूर किया जाना चाहिए। चूंकि खसरों को लेकर निगम और एडीए में विवाद है, इसका खामियाजा भी गरीबों को उठाना पड़ रहा है। निगम 501 रुपए में पट्टा दे रहा है तो एडीए का शुल्क 200 रुपए प्रति वर्ग गज पड रहा है। सवाल उठता है कि एक ही क्षेत्र में नियमन के शुल्क अलग अलग क्यों हैं? काबरा ने बताया कि खातेदारी की भूमि पर 100 वर्ष पुराने मकानों के भी पट्टे जारी नहीं हो रहे हैं। जोनल प्लान पीटी सर्वे नहीं होने से सरकार की मंशा के अनुरूप लोगों को राहत नहीं मिल रही है। सामूहिक रूप से लोगों की बात प्रशासन तक पहुंचाने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। मोबाइल नम्बर 9828071696 पर सुभाष काबरा से संपर्क कर अभियान से जुड़ा जा सकता है। पट्टे जारी करने को लेकर जो विसंगतियां हैं उन्हें देखने और समझने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को स्वयं अजमेर आना चाहिए। इन दिनों गहलोत लगातार जिलों का दौरा कर शिविरों का जायजा ले रहे हैं। 17 नवंबर को सीएम गहलोत कोटा जिले में थे, तो 18 नवंबर को गहलोत ने दौसा के शिविरों का जायजा लिया।पट्टे मिलने का दावा:वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और अजमेर उत्तर विधानसभा से कांग्रेस के प्रत्याशी रहे महेंद्र सिंह रलावता ने कहा कि सरकार की मंशा के अनुरूप अजमेर में भी पात्र व्यक्तियों को पट्टे जारी हो रहे हैं। वे स्वयं सक्रिय हैं और लोगों की मदद कर रहे हैं। कई स्थानों को आबादी क्षेत्र घोषित करवाया गया है, ताकि जरुरतमंद लोगों को पट्टे जारी हो सके। यदि किसी व्यक्ति को कोई परेशानी है तो वह मोबाइल नंबर 9521422073 पर उनसे संपर्क कर सकता है। रलावता ने माना कि हाईकोर्ट ने जोनल प्लान को लेकर जो आदेश दिया है उसकी वजह से कुछ स्थानों पर पट्टे जारी नहीं हो रहे हैँ। लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत चाहते हैं कि अधिक से अधिक लोगों को राहत मिले। S.P.MITTAL BLOGGER (18-11-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9799123137To Contact- 9829071511

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