राजस्थान में संपूर्ण शराबबंदी और सशक्त लोकायुक्त की मांग को लेकर जयपुर में 15 नवंबर से आमरण अनशन पर बैठी है पूनम छाबड़ा। आमरण अनशन के दौरान ही भाजपा शासन में ससुर गुरुशरण छाबड़ा की मौत हो चुकी है।

यूं तो राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को गांधीवादी माना जाता है,लेकिन गहलोत के शासन काल में ही सामाजिक कार्यकर्ता श्रीमती पूनम अंकुर छाबड़ा 15 नवंबर से जयपुर के शहीद स्मारक पर आमरण अनशन पर बैठी हुई हैं। प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी और सशक्त लोकायुक्त की मांग है। 17 नवंबर को तीन दिन गुजर जाने के बाद भी राज्य सरकार के किसी भी प्रतिनिधि ने पूनम छाबड़ा से संवाद नहीं किया है। इस बीच जयपुर के शहीद स्मारक पर छाबड़ा के प्रति सामाजिक संगठनों का समर्थन बढ़ता ही जा रहा है। गंभीर बात यह है कि पूनम छाबड़ा का ससुर और पूर्व विधायक गुरुशरण छाबड़ा ने भी प्रदेश में संपूर्ण शराबबंदी को लेकर भाजपा शासन में इसी तरह आमरण अनशन किया था, लेकिन तब भी तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कोई सुध नहीं ली और अनशन स्थल पर ही छाबड़ा की मौत हो गई। तब पूरे प्रदेश में हंगामा हुआ, लेकिन फिर भी शराबबंदी को लेकर कोई नीति नहीं बनी। अब एक बार फिर स्वर्गीय छाबड़ा की पुत्रवधु संपूर्ण शराब बंदी और सशक्त लोकायुक्त की मांग को लेकर आमरण अनशन पर है। देखना है कि इस अनशन का क्या हश्र होता है। पूनम छाबड़ा स्वयं भी मानती है कि प्रदेश में एक साथ शराब बंदी नहीं हो सकती है, लेकिन सरकार को कम से कम कोई नीति को बनानी चाहिए। जिसके अंतर्गत धीरे धीरे शराबबंदी की जाए। लेकिन राज्य सरकार शराबबंदी की नीति बनाने को भी तैयार नहीं है। अनशन से पहले कई बार सरकार के अधिकारियों के साथ वार्ता हुई, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। पूनम छाबड़ा का कहना है कि राजस्थान में गली मोहल्लों में शराब की दुकान खोल दी गई है, इससे सामाजिक हालात बहुत खराब हो गए हैं। यह माना कि सरकार को शराब की बिक्री से राजस्व की प्राप्ति होती है, लेकिन शराब के सेवन से स्वास्थ्य पर जो प्रतिकूल असर पड़ता है, उसकी वजह से सरकार को सरकारी अस्पतालों पर करोड़ों रुपया खर्च करना पड़ता है। यदि लोग शराब न पिये तो अस्पतालों में भीड़ भी नहीं होगी। सरकार को चाहिए कि शराब की बिक्री को कम करने के उपाय किए जाए। इसी प्रकार राजस्थान में सशक्त लोकायुक्त की भी जरूरत है। हालांकि सरकार ने लोकायुक्त की नियुक्ति कर रखी है, लेकिन लोकायुक्त के पास अधिकार नहीं है। यदि लोकायुक्त को अधिकार मिलते हैं तो सरकारी दफ्तरों में व्याप्त भ्रष्टाचार पर अंकुश लग सकता है। पूनम छाबड़ा का कहना है कि जब तक राज्य सरकार संपूर्ण शराब बंदी को लेकर कोई नीति घोषित नहीं करती तब तक वे अनशन पर बैठी रहेंगी, भले ही उनकी जान चली जाए। जिस परिवार में कोई पुरुष सदस्य शराब पीता है तो उस परिवार में सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं को उठानी पड़ती है। महिलाओं की परेशानी को वे अच्छी तरह समझती हैं। कोई महिला नहीं चाहती कि उसका पति, भाई, पिता आदि शराब का सेवन करें। मोबाइल नंबर 9828078690 पर पूनम अंकुर छाबड़ा के अनशन के बारे में और अधिक जानकारी ली जा सकती है। S.P.MITTAL BLOGGER (17-11-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9799123137To Contact- 9829071511

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