तो कांग्रेस के राज में बदल जाता है माॅब लिंचिंग का अर्थ। वही अलवर, वही पुलिस और वे ही गौ तस्कर। अब कहां हैं डर महसूस करने वाले ?
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30 दिसम्बर को राजस्थान के अलवर जिले में किशनगढ़ बास क्षेत्र में कुछ युवकों ने 23 वर्षीय मोहम्मद सगीर को पकड़ा और बुरी तरह पीटा। सगीर के वाहन से बड़ी मात्रा में अधमरी गाएं भी बरामद की गई। पिटाई से लहुलूहान सगीर अब अलवर के सरकारी अस्पताल के आईसीयू वार्ड में भर्ती है। सगीर पर गौ तस्करी का मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। चूंकि राजस्थान में अब कांग्रेस का राज है इसलिए इस घटना को सामान्य बताया जा रहा है। फारूख अब्दुल्ला से लेकर औवेसी को असहिष्णुता नजर नहीं आती और न ही नसीरूद्दीन शाह को डर लग रहा है। जबकि पूर्व में भाजपा के शासन में इसी अलवर जिले में पहलू खां, उमर और रकबर के मामले हुए तो घटनाओं को समुदाय विशेष से जोड़ कर देश में असहिष्णुता का माहौल बता दिया गया। मीडिया के एक वर्ग ने कई दिनों तक आसमान सर पर उठाए रखा। यहां तक आरोप लगाया गया कि भाजपा की सरकार में बैठे लोग हिन्दूवादी संगठनों के कार्यकर्ताओं को संरक्षण दे रहे है, जिससे समुदाय विशेष के लोगों को डराया जा रहा है। सवाल उठता है कि जब राजस्थान के उसी अलवर, उसी पुलिस और वो ही समुदाय के युवक की पिटाई 30 दिसम्बर को हुई तो फिर अब माॅब लिंचिंग की बात क्यो नहीं उठाई जा रही है ? क्या राज बदलने से माॅब लिंचिग का अर्थ बदल गया है। किसी भी नेता को अब राजस्थान के कानून व्यवस्था की स्थिति खराब नजर नहीं आ रही है भाजपा के शासन में चिल्लाने वालों को 30 दिसम्बर की घटना एक सामान्य अपराध नजर आ रहा है। 24 घंटे न्यूज चैनल चलाने वाले भी चुप है।
असल में घटना सामान्य ही है:
असल में 30 दिसम्बर को अलवर के किशनगढ़ बास की घटना सामान्य ही है। अलवर के भिवाड़ी, टपूकड़ा, तिजारा, किशनगढ़ बास, रामगढ़, गोविन्दगढ़, नौगांवा, कटूमर, लक्ष्मणगढ़ आदि इलाके मेव बाहुल्य है और हरियाणा की सीमा से लगे है। गौ तस्करी आम तौर पर होती है। जब कभी पकड़े जाते है तो पिटाई होना सामान्य बात है। छोटे वाहनों में गायों को ठूंस-ठूंस कर भरा जाता है, जिससे गाएं अधमरी हो जाती है। गौ माता की ऐसी स्थिति देखकर हर किसी को गुस्सा आ ही जाता है। कई बार गौ तस्कर देशी कट्टे से गोलियां भी चला देते है जो लोग गौ तस्करी करते है वह शरीफ और सज्जन तो हो नहीं सकते। राज किसी का भी हो राजस्थान में मेवात क्षेत्र में गौ तस्करी सामान्य बात है। फर्क इतना ही है कि भाजपा के राज में पकड़े जाने और पिटाई की घटना होने पर माब लिंचिंग कहलाई जाती है और कांग्रेस के राज में सामान्य अपराध। 30 दिसम्बर की घटना के बाद पुलिस ने सगीर के खिलाफ गौ तस्करी का मुकदमा दर्ज किया है। यही मुकदमा भाजपा के शासन में दर्ज कर लिया जाता तो अब तक पुलिस की कार्यवाही पर ही सवालिया निशान लग जाता। हो सकता है कि पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र सिंह के निलम्बन की मांग भी हो जाती। यह वो ही पुलिस अधीक्षक है, जिन्हें भाजपा के राज में हुई ऐसी ही एक घटना के बाद रातों-रात अजमेर से स्थानांतरित कर अलवर भेजा गया था। अब देखना है कि कांग्रेस के राज में राजेन्द्र सिंह का क्या होता है ? वैसे राजेन्द्र सिंह बोल्ड छवि के पुलिस अधिकारी है।