अजमेर को बहुत याद आएंगे मुंशी राधेश्याम अग्रवाल

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20 फरवरी को अजमेर के पुष्कर रोड स्थित श्मशान स्थल पर मुंशी राधेश्याम अग्रवाल का अंतिम संस्कार कर दिया गया। श्मशान स्थल पर जितने भी लोग उपस्थित थे, वे सब मुंशी जी से जुड़े किस्से सुना रहे थे। स्वर्गीय अग्रवाल नाम के मुंशी थे। यूं देखा जाए तो अग्रवाल के सामने अच्छे-अच्छे वकीलों की वकालत फीकी थी। बेहद ही गरीबी से अपना जीवन शुरू करने वाले अग्रवाल जिंदा रहने तक करोड़ों के आसामी थे। शहर के बड़े भूमि सौदे स्वर्गीय अग्रवाल की लिखा-पढ़त से ही होते रहे। आज मुंशी राधेश्याम के दफ्तर में भले ही बड़े-बड़े कम्प्यूटर, लेपटॉप, इंटरनेट आदि की सुविधा हो, लेकिन एक समय था जब वे कलेक्ट्रेट परिसर में टूटी टेबल-कुर्सी पर बैठकर डीड राइटिंग का काम अपने खटारा टाइप मशीन पर करते थे। इसीलिए उनके नाम से पहले मुंशी शब्द लगा, लेकिन लखपति से करोड़पति बनने के बाद भी अग्रवाल ने अपने नाम से पहले मुंशी शब्द लगाए रखा। उनका मानना था कि मुंशी शब्द के रहने से मुझे हमेशा अपना संघर्षपूर्ण जीवन याद रहेगा। यूं तो मुंशी राधेश्याम धार्मिक आयोजनों और सामाजिक समारोह में दिल खोलकर चंदा देते थे, लेकिन अजमेर के अग्रवाल समाज की अग्रवाल स्कूल की सम्पत्तियों को बचाने में मुंशी जी ने बहुत मेहनत की। मेडिकल कॉलेज से सटी अग्रवाल स्कूल की भूमि पर अंग्रेजी माध्यम की अग्रसेन पब्लिक स्कूल का आज जो स्वरूप है, उसके पीछे अग्रवाल की मुंशीगिरी ही है। हो सकता है कि अग्रवाल ने बड़े कारोबारियों से कुछ ज्यादा मेहनताना वसूला हो, लेकिन सब जानते हैं कि पंजीयन विभाग में मुंशी जी का एकछत्र राज रहा। जिस सौदे की फाइल पर मुंशी राधेश्याम की सील लगी हो, उस फाइल पर सब रजिस्ट्रार आंख भींच कर हस्ताक्षर करते थे। सब जानते हैं कि सब रजिस्ट्रार दफ्तरों में किस प्रणाली से काम होता है। उस प्रणाली के अग्रवाल वाकई मुंशी थे। चुनाव के समय भी बड़े-बड़े दिग्गज मुंशी जी की दहलीज पर माथा टेकते थे। रोज सुबह उठकर आनासागर के किनारे बारादरी पर टहलना और कबूतरों को दाना डालना, मुंशी जी के लिए अनिवार्य हो गया था। प्रतिमाह कोई 25-30 हजार रुपए का दाना मुंशी जी डलवाते थे। यह मुंशी राधेश्याम के लिए अच्छी बात रही कि उनका पुत्र लोकेश अग्रवाल भी सद्व्यवहार और मिलन सारिता के गुण सीख गया। मुंशी जी पिछले कुछ वर्षों से बीमार रहने लगे थे, ऐसे में लोकेश ने ही अपने पिता का कामकाज संभाला।
(एस.पी.मित्तल) (20-02-17)
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