तो कांग्रेस ने तरकश का आखिरी तीर भी चला दिया।
प्रियंका गांधी को राष्ट्रीय महासचिव बनाया।
अखिलेश और मायावती को भी चुनौती।
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हाल ही में तीन राज्यों में जीत से उत्साहित कांग्रेस ने 23 जनवरी को अपने तरकश में रखा आखिरी तीर भी चला दिया है। अब प्रियंका गांधी कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव होंगी और लोकसभा चुनाव में पूर्वी यूपी के संसदीय क्षेत्र गोरखपुर, अमेठी, बनारस, कुशीनगर, रायबरेली, देवरिया, बलिया, आदि में सक्रिय भूमिका निभाएंगी। असल में गांधी परिवार में प्रियंका गांधी ही सक्रिय राजनीति से बची हुई थी। प्रियंका को राजनीति में लाने की मांग लम्बे अर्से से हो रही थी, लेकिन प्रियंका ने हर बार इंकार कर दिया। चूंकि कांगे्रस ने हाल ही में राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में जीत दर्ज की है, इसलिए गांधी परिवार की मुखिया श्रीमती सोनिया गांधी को लगता है कि मई में होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा और नरेन्द्र मोदी को हराया जा सकता है। इसके लिए सोनिया गांधी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहतीं हैं। यही वजह रही कि 23 जनवरी को अपनी बेटी प्रियंका गांधी को भी सक्रिय राजनीति में उतार दिया। सोनिया गांधी के पुत्र राहुल गांधी पहले ही कांगे्रस के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। सोनिया गांधी का मानना है कि प्रियंका की सक्रियता से बेटे राहुल गांधी को तो मदद मिलेगी ही साथ ही पूरे देश में कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनेगा। चूंकि केन्द्र में सरकार बनाने के लिए यूपी में जीत जरूरी है, इसलिए प्रियंका को पूर्वी यूपी की जिम्मेदारी दी गई है। प्रियंका को यूपी का प्रभार देकर कांग्रेस ने सपा के अखिलेश यादव और बसपा की सुप्रीमो मायावती को भी चमकाया है। मालूम हो कि दोनों ने आपसी समझौता कर यूपी में कांग्रेस को मात्र दो सीटें दी हैं। लेकिन अब प्रियंका के नेतृत्व में कांगे्रस यूपी में अधिकांश सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। प्रियंका को मैदान में उतार कर सोनिया गांधी ने अखिलेश माया का काम बिगाड़ने का भी कार्य किया है। प्रियंका के सक्रिय राजनीति में आने से देशभर के कांग्रेस के कार्यकर्ता उत्साहित हैं क्योंकि प्रियंका में श्रीमती इंदिरा गांधी की छवि देखी जाती है। लोकसभा के परिणाम बताएंगे कि प्रियंका गांधी की वजह से कांग्रेस को कितना फायदा हुआ। अलबत्ता भाजपा का कहना है कि बेटे राहुल गांधी के फेल हो जाने के बाद सोनिया गांधी ने बेटी प्रियंका को राजनीति में घसीटा है। वहीं राहुल गांधी का कहना है कि कांग्रेस के इस फैसले से भाजपा घबरा गई है। मुझे अपनी बहन की कर्मठता और मेहनत पर गर्व है। इसके साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी महासचिव बना कर पश्चिमी यूपी का प्रभारी बनाया गया है, जबकि केसी वेणुगोपाल को अशोक गहलोत की जगह संगठन महासचिव नियुक्त किया है। गहलोत अब राजस्थान के सीएम बन चुके हैं।