तो हवा हवाई होगी अजमेर में गरीब नवाज यूनिवर्सिटी।
न जमीन का एमओयू, न रकम का बंदोबस्त। न कोई सरकारी मान्यता।
फिर भी 4 मार्च को शिलान्यास करेंगे केन्द्रीय मंत्री नकवी।
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अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह की आंतरिक व्यवस्था संभालने वाली दरगाह कमेटी के अध्यक्ष अमीन पठान के बयान पर भरोसा किया जाए तो केन्द्रीय अल्पसंख्यक विभाग के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी आगामी चार मार्च को जयपुर रोड स्थित कायड़ विश्राम स्थली पर गरीब नवाज यूनिवर्सिटी के भवन का शिलान्यास करेंगे। यदि अजमेर में गरीब नवाज यूनिवर्सिटी तैयार होती है तो यह युवाओं में खास कर मुस्लिम युवाओं के लिए अच्छी बात होगी। इस यूनिवर्सिटी में 50 प्रतिशत विद्यार्थी मुस्लिम होंगे, लेकिन अफसोसनाक बात यह है कि 22 फरवरी तक न तो जमीन का एमओयू हुआ है और न ही पैसों का बंदोबस्त। इतना ही नहीं यूनिवर्सिटी भवन के निर्माण की अनुमति तक नहीं ली गई है। इसी प्रकार यूनिवर्सिटी के लिए किसी भी शैक्षणिक सरकारी संस्था से मान्यता भी नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि गरीब नवाब यूनिवर्सिटी का सारा काम अभी तक हवा हवाई ही है। यदि हवा में ही शिलान्यास हो जाता है तो लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लग जाएगी। शायद आचार संहिता की वजह से ही केन्द्रीय मंत्री नकवी 4 मार्च को शिलान्यास के लिए आ रहे हैं। दरगाह कमेटी भी नकवी के अल्पसंख्यक मंत्रालय के अधीन की काम करती है, इसलिए अभी तो वो सब कुछ हो जाएगा जो नकवी और दरगाह कमेटी के अध्यक्ष अमीन पठान चाहते हैं। पठान का प्रयास है कि शिलान्यास के मौके पर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे भी उपस्थित रहे। इसके लिए राजे को अलग से न्यौता दिया जा रहा है। असल में राजे की मेहरबानी से ही पठान ने सत्ता का सुख भोगा है। राजे ने सीएम रहते पठान को राजस्थान हज कमेटी का अध्यक्ष बना कर मंत्री का दर्जा दिया और केन्द्र सरकार के अधीन चलने वाली दरगाह कमेटी का अध्याय भी चुनाव दिया।
सोसायटी बनाएगी यूनिवर्सिटीः
असल में यूनिवर्सिटी का संचालन ख्वाजा गरीब नवाज सोसायटी के द्वारा होगा इस सोसायटी के पास अपनी एक इंच भी जमीन नहीं है, इसलिए यह सोसायटी दरगाह कमेटी के साथ 80 बीघा जमीन का एमओयू साइन करेगी। 21 फरवरी तक जमीन का एमओयू साइन नहीं हुआ। क्या केन्द्र सरकार के अधीन काम करने वाली कमेटी अपनी अस्सी बीघा जमीन किसी सोसायटी को दे सकती है? यह सवाल कानूनी दृष्टि से बहुत मायने रखता है। मजे की बात यह है कि बगैर जमीन के ही अमीन पठान ने केन्द्रीय मंत्री नकवी से यूनिवर्सिटी के माॅडल का अनावरण करवा लिया। गंभीर बात यह भी है कि इस यूनिवर्सिटी भवन पर खर्च होने वाली दस करोड़ रुपए की राशि को एकत्रित करने का जिम्मा भी सोसायटी का ही होगा। हालांकि अभी तक कोई धनराशि एकत्रित नहीं की गई है। जहां तक यूजीसी अथवा राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग से कोई मान्यता लेने का सवाल है तो भवन बनने और सुविधाएं होने पर ही मान्यता मिलेगी।
पठान चुप, शकील बोलेः
हवा हवाई यूनिवर्सिटी पर दरगाह कमेटी के अध्यक्ष अमीन पठान तो चुप रहे, लेकिन कमेटी के नाजिम शकील अहमद ने अपनी बात को सलीके से रखा है। शकील ने भी माना कि 80 बीघा भूमि का एमओयू नहीं हुआ है, लेकिन शकील को इसमें कोई दिक्कत नजर नहीं आती। उनका कहना रहा कि ख्वाजा गरीब नवाज सोसायटी के अध्यक्ष भी दरगाह कमेटी के अध्यक्ष अमीन पठान ही है, इसलिए चार मार्च से पहले एमओयू साइन हो जाएगा। अभी एमओयू की शर्ते फाइनल की जा रही हैं। राजस्थान सरकार का इसमें कोई दखल नहीं है क्योंकि कायड़ विश्राम स्थली की जमीन पर दरगाह कमेटी का मालिकाना है। चूंकि गरीब नवाब यूनिवर्सिटी अजमेर में बन रही है, इसलिए ख्वाजा साहब के प्रति अकीदत रखने वाले जमकर आर्थिक सहयोग करेंगे। ख्वाजा साहब को मानने वालों में बड़ी संख्या में हिन्दू भी शामिल हैं। शकील ने कहा कि चार मार्च के शिलान्यास में कोई बाधा नहीं है। सोसायटी को दरगाह कमेटी का पूरा सहयोग मिमलेगा।