6 माह से उद्घाटन का इंतजार कर रहा है अजमेर का संस्कृत काॅलेज का भवन।
बगैर उपयोग के 23 हजार रुपए प्रतिमाह के बिजली का बिल चुकाना पड़ रहा है।
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इसे राजनीति का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि कोई सात करोड़ रुपए की लागत से बना अजमेर का संस्कृत काॅलेज का नया भवन पिछले छह माह से उद्घाटन का इंतजार कर रहा है। सार्वजनिक निर्माण विभाग ने काॅलेज शिक्षा को नया भवन स्थानांतरित भी कर दिया है। कायदे से गत भाजपा के शासन में ही भवन का उद्घाटन हो जाना चाहिए था। लेकिन तब की मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे की व्यस्तता की वजह से उद्घाटन नहीं हो सका। बाद में विधानसभा की आचार संहिता लग गई। अब काॅलेज के प्राचार्य विमलचन्द्र झा उच्च अधिकारियों को कई बार आग्रह कर चुके हैं। लेकिन अब मौजूदा सीएम अशोक गहलोत को फुर्सत नहीं मिल रही है। काॅलेज शिक्षा के राज्यमंत्री सुभाष गर्ग का कहना है कि सात करोड़ रुपए की लागत से बनी बिल्डिंग का उद्घाटन तो मुख्यमंत्री ही करेंगे। राजनीति की इस खींचतान का खामियाजा काॅलेज के विद्यार्थियों को उठाना पड़ रहा है। वर्तमान में संस्कृत काॅलेज दरगाह से जुड़े गंज इलाके में संचालित हो रहा है। विद्यार्थियों को आने जाने में भी परेशानी होती है। आसपास गंदगी का साम्राज्य है। इसी भवन में दोपहर बाद एक राजकीय विद्यालय भी संचालित होता है। छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष जितेन्द्र सांखला ने नए भवन को लेकर मंत्रियों को ज्ञापन भी दिए है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। सांखला ने बताया कि प्राचार्य ने पूर्व में जो पत्र लिखे हैं उनको भी सरकार में गंभीरता के साथ नहीं लिया जा रहा है। इतना ही नहीं बिना उपयोग के ही प्रतिमाह 23 हजार रुपए बिजली का बिल जमा करवाना पड़ रहा है। मौजूदा भवन जर्जर अवस्था में है। कभी भी अप्रिय घटना हो सकती है। एक ओर विद्यार्थियों को जर्जर भवन में पढ़ाई करने को मजबूर होना पड़ता है तो दूसरी ओर सात करोड़ की लागत से तैयार भवन बेकार पड़ा है। नया भवन लोहागल रोड पर आधुनिक सुविधाओं के साथ बनाया गया है। अजमेर का संस्कृत काॅलेज संभाग का एकमात्र काॅलेज है। इस संबंध में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 8233181485 पर जितेन्द्र सांखला से ली जा सकती है।