सीमा क्षेत्र के दौरे से लौटते ही सीएम गहलोत का पीएम मोदी पर हमला।
रवीश कुमार को बताया निर्भीक पत्रकार। अब बेटे वैभव को नहीं रोकुंगा लोकसभा का चुनाव लड़ने से। सरकारी अस्पतालों में अब नहीं चलेगी धांधली।
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राजस्थान की कोई एक हजार किलोमीटर की सीमा पाकिस्तान से लगी हुई है। जब भी भारत-पाकिस्तान के बीच विवाद होता है तो राजस्थान की सीमा पर भी तनाव हो जाता है। 14 फरवरी को पुलवामा हमले के बाद 26 फरवरी को भारत की ओर से पाकिस्तान पर जो एयर स्ट्राइक की गई उससे राजस्थान की सीमा पर भी तनाव हो गया। ऐसे माहौल में ही सीमा पर तैनात सेना और सुरक्षा बलों के जवानों की हौंसला अफजाई के लिए राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने छह व सात मार्च को बाड़मेर, जैसलमेर आदि सीमा क्षेत्रों का दौरा किया। आठ मार्च को गहलोत ने जोधपुर में एक प्रेस काॅन्फ्रेंस की। इस काॅन्फ्रेंस का मकसद सीमा क्षेत्र के दौरे की जानकारी देना था, लेकिन गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हमला करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। गहलोत ने माना कि सीमा पर अब पाकिस्तान के अधिकारियों के साथ साप्ताहिक बैठक नहीं हो रही है और न ही संयुक्त पेट्रोलिंग हुई है। पाकिस्तान की तरफ सैन्य गतिविधिया बढ़ गई है। लेकिन हमारे सैनिकों का हौंसला बुलंद है और वे पाकिस्तान की किसी भी चुनौती का मुंह तोड़ जवाब देंगे। लेकिन इसके साथ ही गहलोत ने 26 फरवरी की एयर स्ट्राइक को कटघरे में खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा कि लोग जब मृतकों के सबूत मांग रहे हैं तो इसमें बुराई क्या है? 26 फरवरी को सरकार ने न्यूज चैनलों में प्रसारित करवाया कि 350 आतंकी मारे गए हैं। इस खबर पर हमने भी खुशी जाहिर की। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी कहा कि हम सरकार के साथ हैं। लेकिन बाद में विदेशी मीडिया ने मोदी सरकार के दावों की पोल खोल दी। अब जब मौतों के सबूत मांगे जा रहे है तो सरकार को एतराज हो रहा है। मीडिया भी दबाव में है। अभिव्यक्ति की आजादी पर रोक लगाई जा रही है। रवीश कुमार जैसे कुछ पत्रकार ही निर्भीकता दिखा रहे है। तीस वर्ष में नरेन्द्र मोदी को पूर्ण बहुमत मिला था। चुनाव में बहुत वायदे किए। लेकिन ऐसे वायदे जुमले साबित हुए। अपनी विफलताओं को छुपाने के लिए एयर स्ट्राइक का सहारा लेकर चुनाव जीतने का प्रयास किया जा रहा है। नरेन्द्र मोदी अमित शाह की जोड़ी को लगता है कि इससे चुनाव में जीत हासिल कर ली जाएगी, लेकिन जनता सब समझती है। मोदी ने प्रधानमंत्री पद की गरिमा को गिराया है।
वैभव को हरी झंडी:
प्रेस काॅन्फं्रेंस में एक सवाल के जवाब में सीएम गहलोत ने कहा कि अब वे अपने बेटे वैभव गहलोत को चुनाव लड़ने से नहीं रोकेंगे। प्रदेश की किसी भी सीट से वैभव को चुनाव लड़ने के लिए हरी झंडी दे रहा हंू। पार्टी हाईकमान को तय करना है कि वैभव किस संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़े। मैं गत पन्द्रह सालों से वैभव को चुनाव लड़ने से रोक रहा हंू। हालांकि वैभव एनएसयूआई यूथ कांग्रेस और अब कांग्रेस में लगातार सक्रिय है। राजनीतिक सक्रियता के बाद भी मैंने वैभव को मेरे सरकारी कामकाज में दखल नहीं देने दिया। जोधपुर में भी गहलोत को अलग रखा। वैभव ने इन सब को सहन किया। लेकिन अब मैं वैभव को चुनाव लड़ने से नहीं रोकुंगा। मैं चाहता हंू कि वैभव को एक अच्छे कार्यकर्ता के तौर पर टिकिट मिले। हर चुनाव में वैभव की सक्रियता रहती है। चुनाव में जो उम्मीदवार प्रचार के लिए बुलाता है वैभव जाते हैं। वैभव की उम्मीदवारी पर गहलोत ने यह बात तब कही है, जब कांग्रेस में लोकसभा चुनाव के उम्मीदवारों का मामला अंतिम चरण में हैं। उम्मीदवारों के चयन में गहलोत की राय ही महत्वपूर्ण होगी। वैभव गहलोत वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री हैं। पिछले दिनों ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट ने कहा था कि उनके परिवार का कोई भी सदस्य लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ेगा। क्योंकि पार्टी ने उन्हें डिप्टी सीएम बनाकर बहुत कुछ दे दिया है। तब यह माना गया कि पायलट का बयान वैभव गहलोत की उम्मीदवारी को रोकने के लिए है। लेकिन अब सीएम गहलोत ने स्पष्ट कर दिया है कि वैभव गहलोत लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार होंगे। जोधपुर संसदीय क्षेत्र के साथ साथ जालौर और सिरोही से भी वैभव की उम्मीदवारी मानी जा रही है।
नहीं चलेगी धांधली:
सीएम गहलोत ने कहा कि अब प्रदेश के सरकारी अस्पतालों और मेडिकल काॅलेजों में धांधली नहीं चलेगी। मुझे जानकारी मिली कि नए अस्पताल और मेडिकल काॅलेज के लिए मान्यता लेने के लिए डाॅक्टरों और चिकित्सा कर्मियों की नियुक्ति कर दी जाती है। लेकिन जब एमसीआई की टीम जांच कर लौट जाती है तब डाॅक्टरों और चिकित्सा कर्मियों के स्थानांतरण कर दिए जाते हैं। कोई प्राइवेट संस्थान ऐसा करे तो चल जाएगा, लेकिन सरकार में ऐसा हो तो यह बहुत बुरी बात है। मैंने स्पष्ट निर्देश दिए है कि सरकार के दिशा निर्देशों के अनुरूप ही मेडिकल काॅलेज और अस्पतालों में चिकित्सा कर्मियों की नियुक्ति हो।