कांग्रेस विपक्ष को एकजुट करने चली थी, लेकिन खुद ही खंड खंड हो गई। राहुल गांधी को अपने घमंड पूर्ण व्यवहार में बदलाव लाना होगा।

सब जानते हैं कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस की पहल पर विपक्षी दलों का इंडी एलायंस बनाया गया था। इसमें राहुल गांधी की महत्वपूर्ण भूमिका थी। राहुल का प्रयास था कि भाजपा के खिलाफ विपक्ष का एक संयुक्त उम्मीदवार खड़ा किया जाए। कांग्रेस विपक्ष को एकजुट करने के बजाए खुद खंड खंड हो गई है। ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल आदि नेताओं ने अपने अपने प्रभाव वाले राज्यों में अकेले दम पर चुनाव लड़ने और बिहार में नीतीश कुमार द्वारा फिर से भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने से इंडी एलायंस का भट्टा बैठ गया। अब कांग्रेस खुद खंड खंड हो रही है। एक माह पहले महाराष्ट्र से मिलिंद देवड़ा ने कांग्रेस छोड़ने का जो सिलसिला शुरू किया, वह लगातार जारी है। महाराष्ट्र के पूर्व सीएम अशोक चव्हाण के भाजपा में शामिल होने के बाद अब मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम और गांधी परिवार के सबसे वफादार कमलनाथ भी भाजपा में शामिल हो रहे हैं। राजनीति में रुचि रखने वालों को पता है कि राहुल गांधी की दादी श्रीमती इंदिरा गांधी जब प्रधानमंत्री थी, तब उन्होंने कमलनाथ को अपना तीसरा बेटा (राजीव और संजय के बाद) बताया था। कमलनाथ अपने बेटे सांसद मुकुल नाथ और करीब 15 कांग्रेस विधायकों को भी भाजपा में ले जा रहे हैं। मध्यप्रदेश वाली भगदड़ राजस्थान में भी मची हुई है। पूर्व मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीय, लालचंद कटारा, रिछपाल मिर्धा सहित कई विधायकों के भाजपा में शामिल होने की चर्चा है। इतना ही नहीं कांग्रेस के समर्थन से चलने वाली झारखंड की सरकार भी खतरे में आ गई है। झारखंड के दस कांग्रेसी विधायकों ने मंत्री नहीं बनाए जाने पर नाराजगी जताई है। अब झारखंड की चंपई सरकार कभी भी गिर सकती है। कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले हिमाचल में भी कांग्रेस सरकार को जोरदार झटका लगेगा। 
व्यवहार में बदलाव की जरुरत:
जो नेता कांग्रेस छोड़ रहे हैं, उन सभी की शिकायत है कि कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व (सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी) सीधे मुंह बात नहीं करता है। कांग्रेस में भले ही मल्लिकार्जुन खडग़े को राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया हो, लेकनि सारे फैसले गांधी परिवार ही करता है। इसमें राहुल गांधी की खास भूमिका होती है। अव्वल तो कांग्रेस के दिग्गज नेता राहुल गांधी मिल नहीं सकते। यदि कोई नेता मुलाकात करने में सफल हो जाता है तो उसे मायूस ही होना पड़ता है। राहुल गांधी जो घमंड पूर्ण व्यवहार करते हैं उससे कांग्रेस के नेता स्वयं को अपमानित करते हैं, उससे कांग्रेस के नेता स्वयं को अपमानित महसूस करते हैं। राहुल गांधी अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा में बार बार कह रहे हैं कि मैं नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोल रहा हंू। लेकिन राहुल गांधी अपनी पार्टी में मोहब्बत नहीं दिखा रहे हैं। इसीलिए कमलनाथ जैसे नेता भी कांग्रेस छोड़ रहे हैं। अच्छा हो कि राहुल गांधी भारत जोड़ो न्याय यात्रा को बंद कर अपनी पार्टी के नेताओं के साथ मोहब्बत दिखाए। राहुल गांधी ने अपने घमंड पूर्ण व्यवहार में बदलाव नहीं किया तो आने वाले दिनों में कांग्रेस में वो ही नेता रह जाएंगे जो अभी किसी न किसी पद पर बैठे हुए हैं। मौजूदा समय में लोकसभा में कांग्रेस के मात्र 52 सदस्य हैं, लेकिन यदि कांग्रेस इसी तरह खंड खंड होती रही तो इस बार कांग्रेस को तीस सीटें भी नहीं मिलेंगी। 

S.P.MITTAL BLOGGER (18-02-2024)

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