तो अजमेर से चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा हो सकते हैं कांग्रेस के उम्मीदवार।
रघु के बयान से तो ऐसी ही लगा।
========
17 मार्च को दिल्ली में राजस्थान के उम्मीदवारों को लेकर 15 जीआरजी में विचार विमर्श हुआ। प्रदेश के कई नेताओं से उम्मीदवार के बारे में राय ली गई। राय देने वालों में प्रदेश के चिकित्सा मंत्री और लोकसभा चुनाव में बनी कांग्रेस की प्रचार कमेटी के अध्यक्ष रघु शर्मा भी शामिल थे। अपनी राय देने के बाद बाहर आए रघु शर्मा ने मीडिया से कहा कि इस बार जीताऊ को ली उम्मीदवार बनाया जाएगा। नेताओं की राय के साथ-साथ हाईकमान ने भी सर्वे करवाया है। हाईकमान को पता है कि किस दावेदार की स्थिति कैसी है। हाईकमान जिसको भी कहेगा, उसे चुनाव लड़ना पड़ेगा। चाहे कोई मंत्री हो या विधायक। कोई भी मंत्री लोकसभा का चुनाव लड़ने से इंकार नहीं कर सकता है। जब हमने सभी 25 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है तो फिर मंत्री पद कोई मायने नहीं रखता है। रघु ने जिस अंदाज में अपनी बात कही उससे प्रतीत होता है कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार के अनेक मंत्री लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाए जा सकते हैं, इसमें स्वयं रघु शर्मा भी शामिल हैं। शर्मा इस समय अजमेर संसदीय क्षेत्र के केकड़ी विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। अब जब रघु स्वयं कह रहे हैं कि मंत्रियों को भी चुनाव लड़ना पड़ सकता है तो फिर स्वयं भी इंकार नहीं कर सकते। अजमेर संसदीय क्षेत्र से रघु का नाम भी चल रहा है। रघु को अजमेर में जीताऊ उम्मीदवार माना जा रहा है। हो सकता है कि हाईकमान के सर्वे में भी रघु का नाम ही उभर कर सामने आया हो। एक साल पहले हुए लोकसभा के उपचुनाव में भी रघु ने जीत हासिल की थी। अब तो प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है, इसलिए रघु की स्थिति को मजबूत माना जा रहा है। यह बात अलग है कि लोकसभा उपचुनाव में केकड़ी से जो बढ़त रही, उसे रघु विधानसभा में बरकरार नहीं रख पाए। 34 हजार मतों की बढ़त 19 हजार पर ही सिमट गई। जानकारों की माने तो 17 मार्च को दिल्ली में सीएम अशोक गहलोत, डिप्टी सीएम सचिन पायलट और प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे ने रघु को उम्मीदवारी के संकेत भी दिए हैं। अपनी राय देने के बाद बाहर आए रघु के हाव भाव से भी प्रतीत हो रहा था कि वे खुश नहीं है। हालांकि लोकसभा चुनाव हारने पर भी रघु का मंत्री पद बरकरार रहेगा, लेकिन राजनीति दृष्टि से यह हार रघु को नुकसानदेय साबित होगी। अभी तो रघु शर्मा चुनावी राजनीति में अजेय बने हुए हैं, लेकिन यदि जीतते है। तो उन्हें सिर्फ सांसद बन कर ही रहना पड़ेगा। सांसद के मुकाबले में केबिनेट मंत्री का पद ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। जानकारों की माने तो अपनी उम्मीदवारी को भांपते हुए ही रघु शर्मा कपड़ा कारोबारी रिजू झुंझुनूवाला का नाम अजमेर से चलवाया। रिजू पूर्व मंत्री बीना काक के दामाद हैं और बीना काक से रघु की पुरानी पहचान है। कांग्रेस की राजनीति में बीना काक का भी प्रभाव है। रघु ने ही रिजू की दावेदारी अजमेर से करवाई। वैसे रिजू भीलवाड़ा से दावेदारी जता रहे हैं। 17 मार्च को रिजू भी दिल्ली में रहे। सूत्रों के अनुसार 17 मार्च को गहलोत, पायलट और पांडे ने जो एक दो नाम की सूची बनाई, उस पर अब राहुल गांधी के समक्ष विचार होगा। 17 मार्च को दिल्ली में स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक नहीं थी।