तो फिर अजमेर में कैसे रुकेंगे अवैध निर्माण?
यह तो दबाव की राजनीति है।
मेयर के प्रकरण में 4 अप्रैल को हाईकोर्ट में सुनवाई।
======
अजमेर नगर निगम प्रशासन ने अवैध निर्माणकर्ताओं के खिलाफ जो मुहिम चलाई है, उसमें अब दबाव की राजनीति हो रही है। दो अप्रैल को कुछ लोगों ने बैठक कर यह दर्शाने की कोशिश की है कि यदि निगम प्रशासन की कार्यवाही को नहीं रोका गया तो लोकसभा चुनाव में कांग्रेस हार जाएगी। इसके लिए कांग्रेस के शहर अध्यक्ष विजय जैन से भी मुलाकात की गई। जबकि विजय जैन ने ही भाजपा के कब्जे वाले नगर निगम में हो रहे भ्रष्टाचार को लेकर शिकायतें की हैं। यह जांच का विषय है कि दो अप्रैल की बैठक में कौन से व्यापारी उपस्थित थे और ऐसे व्यापारियों का उन अवैध निर्माणों से क्या संबंध है जो शहर का सौंदर्य बिगाड़ रहे हैं। क्या उपस्थित कथित व्यापारी ही अवैध निर्माण कर रहे हैं। आमतौर पर आरोप लगता है कि निगम प्रशासन अवैध निर्माणकर्ताओं के खिलाफ कार्यवाही नहीं करता है, लेकिन अब जब कार्यवाही की जा रही है तो कुछ लोग अवैध निर्माणों की हिमायत में आकर खड़े हो गए हैं। क्या शहर के आम नागरिक नहीं चाहते कि अवैध निर्माणों पर रोक लगे। सब जानते हैं कि इन दिनों शहर एक समूह सक्रिय हैं जो आवासीय मानचित्रों पर व्यावसायिक निर्माण करवा रहा है। जिस आवसीय भूखंड की कीमत करोड़ रुपए है उसकी कीमत डेढ़ करोड़ रुपए तक दी जाती है। लेकिन आवासीय मानचित्र पर तीन-चार दुकानें बना कर चार-पांच करोड़ रुपए तक कमाए जा रहे हैं। चूंकि सबकी मिली भगत है, इसलिए निर्माण के समय कोई कार्यवाही नहीं होती। निगम की युवा आयुक्त चिन्मयी गोपाल ने 31 मार्च को तपती धूम में अवैध निर्माणों का मौके पर जाकर जायजा लिया और 31 निर्माणकर्ताओं को नोटिस जारी किए। इसमें कोई दो राय नहीं कि आईएएस गोपाल ने निगम के काकस को तोड़ते हुए अवैध निर्माणकर्ताओं के खिलाफ कार्यवाही की है। गोपाल को शाबाशी मिलनी चाहिए, उल्टे उन्हें डराया जा रहा है। सवाल उठता है कि जो लोग अवैध निर्माण कर रहे हैं उनके विरुद्ध कार्यवाही क्यों न हो? जो लोग भ्रष्टाचार मिटाने की दुहाई देते हैं वे ही आज भ्रष्टाचारियों के साथ खड़े हैं। अवैध निर्माण करने वालों के खिलाफ निगम आयुक्त ने जो कार्यवाही शुरू की है उसमें शहर के जागरुक नागरिकों को आयुक्त के साथ खड़ा होना चाहिए। यह मौका कांग्रेस और भाजपा के नेताओं को ईमानदारी दिखाने का भी है। आयुक्त गोपाल को भी चाहिए कि वे दबाव में न आए और अवैध निर्माणकर्ताओं के खिलाफ सख्त कार्यवाही करें। जो दो चार लोग ज्यादा चिल्ल-पौं कर रहे हैं, उनका संबंधित निर्माणों से सीधा संबंध नहीं हैं, वे तो उस समूह में शामिल हैं जो बगैर पूंजी लगाए करोड़ों रुपया कमा रहे हैं। ऐसे लोग आवासीय भूखंड मालिक और क्रेता के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे हैं। अब यदि वैशाली नगर, क्रिश्चियनगंज, माकड़वाली रोड, बीकानेर मिष्ठान भंडार के सामने और आसपास आवासीय भूखंडों पर दुकानें नहीं बनी तो करोड़ों रुपए का मुनाफा नहीं होगा।
मेयर प्रकरण में चार को सुनवाईः
13 व्यावसायिक नक्शों की स्वीकृति के प्रकरण में राज्य सरकार ने अजमेर नगर निगम के भाजपाई मेयर धर्मेन्द्र गहलोत, उपायुक्त गजेन्द्र सिंह रलावता आदि को दोषी माना है। इसको लेकर मेयर को नगर पालिका अधिनियम की धारा 39 में नोटिस दिया गया है। चूंकि इस धारा में गहलोत का निलंबन भी हो सकता है। इसलिए सरकार के नोटिस को गहलोत ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है। चार अप्रैल को न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा की अदालत में मेयर प्रकरण में सुनवाई होगी।