अजमेर के दो पेट्रोल पम्प पर तेल निकासी के यूनिट खतरनाक स्थिति में।
सड़क के किनारे होने से कभी भी हो सकती है दुर्घटना।
=========
आमतौर पर पेट्रोल पम्प पर सुरक्षा का खास ध्यान रखा जाता है, जो पम्प सड़क के किनारे होते हैं, उन पर तो सुरक्षा के और नियम लागू होते हैं। लेकिन अजमेर में आगरा गेट चैराहे से सिटी पावर हाऊस के मार्ग के बीच में जो दो पेट्रोल पम्प है, उनमें सुरक्षा के उपायों की अनदेखी की जा रही है। ऐसा प्रतीत होता है कि दो तेल कंपनियों के बीच बिक्री को लेकर होड़ मची हुई है। स्वास्तिक मोटर वाला पेट्रोल पम्प हिन्दुस्तान पेट्रोलियम तथा वर्मा एंड कंपनी वाला पम्प इंडियन आॅयल कंपनी द्वारा संचालित किया जा रहा है। कोई भी कंपनी तेल की बिक्री को कम नहीं करना चाहती चूंकि अब एक्सप्लोसिव लाइसेंस लेने के लिए जिला प्रशासन से कोई एनओसी नहीं लेनी होती है, इसलिए तेल कंपनियां अपनी मनमर्जी से तेल निकासी के यूनिट लगा देती है। इन दोनों पेट्रोल पम्पों पर पहले से ही कई यूनिट लगे हुए हैं, लेकिन बिक्री बढ़ाने के लिए दोनों कंपनियों ने सड़क से मुश्किल से तीस फिट की दूरी पर यूनिट स्थापित कर दिए हैं। सड़क किनारे यातायात गुजरता रहता है और दूसरी ओर पेट्रोल और डीजल वाहनों में भरता रहता है। ऐसा प्रतीत होता है कि पेट्रोल पम्प सड़क पर संचालित होते हैं। इंडियन आॅयल के सेल्स आॅफिसर अजय सिंह और एचपी के आशीष ने दावा किया कि उनके पम्पों पर तेल निकासी के यूनिट पम्प परिसर में ही लगे हुए हैं। किसी भी पम्प पर तेल निकासी के यूनिट लगाने का अधिकार कंपनी के पास होता है। हमें एक एक यूनिट के लिए प्रशासन से अनुमति लेने की कोई आवश्यकता नहीं है। हो सकता है कि तेल कंपनियांे ने अपने हित में नियम बनवा लिए हो, लेकिन जिला प्रशासन का यह दायित्व है कि वह ऐसा कोई काम नहीं होने दे जिसकी वजह से दुर्घटना की आशंका हो। प्रशासन का कोई भी अधिकारी यदि इन पम्पों का निरीक्षण करेगा तो पता चल जाएगा कि मौके पर हालात बेहद खतरनाक है, जब पेट्रोल और डीजल को अत्यंत ज्वलनशील पदार्थ माना जाता है, तब सुरक्षा का ध्यान ज्यादा रखना चाहिए। नियमों के मुताबिक प्रत्येक यूनिट पर छाया आदि की सुविधा भी होनी चाहिए, लेकिन सड़क किनारे लगे यूनिटों पर ऐसी कोई सुविधा नहीं है। ग्राहकों को भी धूप में ही खड़ा होना पड़ता है, अब जब भीषण गर्मी पड़ रही है, तब दुर्घटना की आशंका ज्याद है। जहां तक पम्प मालिकों का सवाल है तो वे कोई जिम्मेदारी लेना नहीं चाहते, मालिकों का कहना है कि हम तो कंपनी के निर्देशों पर ही काम करते हैं।