राजस्थान में गुर्जरों को पांच प्रतिशत आरक्षण देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट का दखल से इंकार।
22 अप्रैल को होनी है हाईकोर्ट में सुनवाई।
अब कांग्रेस सरकार तत्काल दिलाए लाभ-भडाना।
===========
राजस्थान की कांगे्रस सरकार ने गुर्जर समुदाय को अलग से पांच प्रतिशत आरक्षण देने का जो फैसला किया है उसमें फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने दखल से इंकार कर दिया है। पांच अप्रैल को हुई सुनवाई में कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें सरकार के फैसले पर रोक लगाने की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट का कहना रहा कि राज्य सरकार के फैसले के विरुद्ध राजस्थान हाईकोर्ट में पहले से ही याचिका दायर हो चुकी है और कोर्ट ने संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर दिए है। भले ही हाईकोर्ट ने सरकार के फैसले पर रोक न लगाई हो, लेकिन फिलहाल यह विचाराधीन है। हाईकोर्ट के निर्णय के बाद सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से अब राज्य सरकार को गुर्जर समुदाय को सरकारी नौकरियों में अलग से पांच प्रतिशत का आरक्षण दिया जा सकता है। भाजपा के ओबीसी मोर्चे के प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश भडाना ने कहा कि कांग्रेस सरकार की नीयत में खोट है, इसलिए अभी तक एक युवक को आरक्षण का लाभ नहीं मिला है। विधानसभा में विधेयक को पास करवाने में भाजपा ने भी सहयोग दिया। भाजपा चाहती है कि गुर्जर समुदाय को आरक्षण का लाभ मिले। सरकार को चाहिए कि जिन प्रतियोगी परीक्षाओं के परिणाम लाम्बित है, उनका परिणाम पांच प्रतिशत आरक्षण देकर निकाला जाए। कांग्रेस सरकार की ढिलाई बताती है कि गुर्जर समुदाय के प्रति गंभीर नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने भी फिलहाल दखल से इंकार कर दिया है और हाईकोर्ट ने भी रोक नहीं लगाई है ऐसे में गुर्जर समुदाय को लाभ मिलना ही चाहिए। 22 अप्रैल को हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई में भी सरकार को अपना पक्ष मजबूती के साथ रखना चाहिए। गुर्जर समुदाय को आरक्षण का लाभ दिलवाने के लिए भाजपा ने भी लम्बा संघर्ष किया है।
रोक लगने की आशंकाः
5 अप्रैल को भले ही सुप्रीम कोर्ट ने दखल से इंकार कर दिया हो, लेकिन हाईकोर्ट से रोक लगने की आशंका अभी भी बनी हुई है। चूंकि पांच प्रतिशत आरक्षण पचास प्रतिशत की सीमा को लांघ कर दिया गया है, इसलिए सरकार के निर्णय पर रोक लगने की आशंका है। सरकार भी शायद हाईकोर्ट के निर्णय का इंतजार कर रही है, इसलिए अभी तक भी किसी भी परिणाम में पांच प्रतिशत वाला आरक्षण शामिल नहीं किया गया है। यदि कोर्ट की रोक लग गई तो पांच प्रतिशत वाला परिणाम फिर बदलना पड़ेगा। पूर्व की सरकारों ने भी ऐसे निर्णय लिए थे, लेकिन तब हाईकोर्ट की रोक लगाई थी। सरकारों को सुप्रीम कोर्ट तक से राहत नहीं मिली।
दस प्रतिशत वाले आरक्षण में फर्क हैः
गुर्जर समुदाय को पांच प्रतिशत और सामान्य वर्ग के गरीबों को दस प्रतिशत आरक्षण देने के मामलों में फर्क है। आर्थिक आधार पर दस प्रतिशत आरक्षण का विधेयक लोकसभा और राज्य सभा में स्वीकृत हुआ है और इसे संविधान की 9वीं अनुसूची में रखा गया है, हालांकि सरकार के इस फैसले को भी कोर्ट में चुनौती दी गई है। जबकि पांच प्रतिशत आरक्षण का निर्णय राज्य सरकार का है।