किसानों से 8वें दौर की बातचीत से पहले रिलायंस इंडस्ट्रीज़ ने कहा-कॉरपोरेट फार्मिंग से कोई लेना देना नहीं। खेती के लिए कोई जमीन भी नहीं खरीदी। रिलायंस के इस बयान के बाद विपक्षी दलों के नेता क्या कहेंगे? रिलायंस के मालिक मुकेश अंबानी को भी किसानों ने मुद्दा बना रखा था।

4 जनवरी को किसान यूनियनों और सरकार के मध्य 8वें दौर की वार्ता दिल्ली के विज्ञान भवन में दोपहर एक बजे शुरू हुई। लेकिन इस वार्ता के शुरू होने से पहले रिलायंस इंडस्ट्रीज का एक बड़ा बयान सामने आया। रिलायंस  की ओर से कहा गया कि कॉरपोरेट फार्मिंग से उनका कोई लेना देना नहीं है। रिलायंस ने खेती के लिए कोई जमीन नहीं खरीदी है। रिलायंस किसानों की समस्याओं का समाधान चाहता है। इस बयान के बाद यह साफ हो गया है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज़ किसी भी किसान के साथ खेती का कॉन्ट्रेक्ट नहीं करेगा। अब तक यह आशंका जताई जा रही थी कि रिलायंस कॉन्ट्रेक्ट खेती की आड़ में किसानों की जमीन हड़प जाएगा। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और वामपंथी भी चिल्ला रहे थे कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अडानी अंबानी जैसे मित्रों को फायदा पहुंचाने के लिए नए कृषि कानून बनाए हैं। ऐसे आरोपों के मद्देनज़र ही दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसान भी रिलायंस के खिलाफ जहर उगल रहे थे। पंजाब और हरियाणा में तो मुकेश अंबानी के जियो के टावर ही उखाड़ दिए। सवाल उठता है कि अब जब रिलायंस इंडस्ट्रीज़ ने कॉरपोरेट फार्मिंग करने से इंकार कर दिया है, तब विपक्षी दलों के नेता क्या कहेंगे? क्या अब भी अंबानी का नाम लेकर पीएम मोदी पर हमले किए जाएंगे? विपक्षी दल माने या नहीं लेकिन रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के पीछे हटने से किसानों को ही नुकसान होगा। यदि रिलायंस किसान के साथ कान्ट्रेक्ट करता तो कृषि के क्षेत्र में नई तकनीक भी आती। मुकेश अंबानी के पास रिलायंस फ्रेस और जियो मार्ट के माध्यम से उपभोक्ताओं का भी बड़ा बाजार जुड़ा हुआ है। जिसका सीधा फायदा किसानों को मिलता। मौजूदा समय में किसानों और उपभोक्ताओं के बीच दलालों की जो शृंखला बनी हुई है उससे छुटकारा कारपोरेट फार्मिंग से ही मिल सकता है। जो लोग नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं वे असल में किसानों को ही नुकसान पहुंचा रहे हैं। नए कानूनों को लेकर जो आशंकाएं जताई जा रही थी, वे भी निर्मूल है। सरकार ने हर आशंका का समाधान कर दिया है। अब यदि रिलायंस जैसे कारपोरेट घराने भी कॉन्ट्रेक्ट फार्मिग से पीछे हटेंगे तो देश को भी नुकसान होगा। किसान भी इस सच्चाई को समझे कि कृषि के क्षेत्र में तकनीक की जरुरत हैं और ऐसी महंगी और मशीनी तकनीक कारपोरेट ही उपलब्ध करवा सकते हैं। जब आधुनिक तकनीक से खेती अच्छी होगी तो किसानों को भी फायदा होगा। 
S.P.MITTAL BLOGGER (04-01-2021)
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