सचिन पायलट ने अजमेर में पूर्व विधायक सिनोदिया को कांगे्रस में शामिल क्यों नहीं करवाया?

सचिन पायलट ने अजमेर में पूर्व विधायक सिनोदिया को कांगे्रस में शामिल क्यों नहीं करवाया? रिजु झुनझुनवाला पायलट और रघु के उम्मीदवार।
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9 अप्रैल को कांग्रेस के पूर्व विधायक कय्यूम खान को फिर से पार्टी में शामिल कर लिया गया है। गत विधानसभा चुनाव में मसूदा क्षेत्र से आरएलपी उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लडऩे की वजह से कय्यूम को कांग्रेस से निष्कासित कर दिया गया था। संगठन में जो जुर्म कय्यूम ने किया वो ही पूर्व विधायक नाथुराम सिनोदिया ने भी किया था। सिनोदिया ने भी बागी उम्मीदवार के तौर पर विधानसभा का चुनाव लड़ा था। सब जानते हैं कि कांग्रेस संगठन में प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट के निर्देश के बगैर कुछ नहीं होता। पायलट के निर्देश पर ही 9 अप्रैल को कांग्रेस उम्मीदवार रिजु झुनझुनवाला के नामांकन के मौके पर कय्यूम को फिर से कांग्रेस में शामिल कर लिया गया। लेकिन सिनोदिया को नहीं? जबकि सिनोदिया ने 22 हजार से भी ज्यादा मत प्राप्त किए थे। कय्यूम को मात्र पांच हजार वोट ही मिल पाए। सिनोदिया को कांगेस में तब शामिल नहीं किया जा रहा है, जब भाजपा ने जाट समुदाय के भागीरथ सिंह चौधरी को उम्मीदवार बनाया है। किशनगढ़ ही नहीं जिले भर के जाट समुदाय में सिनोदिया की खासी पकड़ हैं। सिनोदिया दो बार विधायक रह चुके हैं। सूत्रों की माने तो सिनोदिया को सीएम अशोक गहलोत खेमे का माना जाता है। इसलिए सिनोदिया की एंट्री पर रोक लगी गई हुई है। किशनगढ़ में खास समर्थक माने जाने वाले राजेन्द्र गुप्ता नहीं चाहते कि सिनोदिया को कांग्रेस में शामिल किया जाए। गुप्ता स्वयं भी किशनगढ़ से विधायक पद के दावेदार हैं। इस बार भी गुप्ता ने टिकिट के लिए पूरा जोर लगाया था। लेकिन जातीय समीकरणों के चलते पायलट गुप्ता को किशनगढ़ से उम्मीदवार नहीं बनवा सके। 9 अप्रैल को नामांकन के मौके पर डेयरी अध्यक्ष रामचन्द्र चौधरी की गैर मौजूदगी भी राजनीतिक हलको में चर्चा का विषय बनी रही। चौधरी और सिनोदिया दोनों को ही जाट समुदाय का प्रमुख नेता माना जाता है। चौधरी भी गत 25 वर्षों से अजमेर डेयरी के अध्यक्ष बने हुए हैं। एक ओर सिनोदिया जैसे जमीनी नेता को कांग्रेस में शामिल नहीं करवाया जा रहा है तो दूसरी ओर डेयरी अध्यक्ष जैसे नेता की उपेक्षा की जा रही है। चौधरी भी पिछले दिनों ही कांग्रेस में शामिल हुए हैं। पायलट के निर्देश पर चौधरी को कांगे्रस में तो शामिल कर लिया गया, लेकिन अब संगठन में उनकी कोई पूछ नहीं हो रही है।
पायलट और रघु के उम्मीदवार :
कांग्रेस उम्मीदवार रिजु झुनझुनवाला के नामांकन के मौके पर आयोजित चुनावी सभा में प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने कहा कि झुनझुनवाला को अजमेर से जीतवाने की जिम्मेदारी पायलट और मैंने ली है। हम दोनों ही अजमेर के सांसद रह चुके हैं। रघु ने कहा कि अब वे अजमेर के मतदाताओं के सामने एक बार फिर हाथ जोडेंग़े और रिजु के लिए वोट मांगेंगे। उन्होंने कहा कि हाईकमान के सामने पायलट ने रिजु के नाम का प्रस्ताव किया था। अब जब पायलट ने उम्मीदवार बनवाया है तो हम सबकी जिम्मेदारी है कि रिजु को जीतवाएं। रघु ने जिस अंदाज में अपनी बात कही उससे साफ जाहिर था कि प्रदेश अध्यक्ष के स्तर पर रिजु के नाम की सहमति हो गई थी। सवाल उठता है कि तो फिर अजमेर में उम्मीदवार के चयन को लेकर राय शुमारी का नाटक क्यों किया गया। चुनाव लडऩे के इच्छुक कांगे्रसियों ने जयपुर और दिल्ली के कई बार धक्के खाए। अपने बायोडाटा कांग्रेस के सभी नेताओं को दिए। प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे ने भी मोबाइल पर ऑनलाइन रायशुमारी की। यानि यह सारी कार्यवाही दिखावा थी। स्वाभाविक है कि जिस व्यक्ति के नाम का प्रस्ताव पायलट कर रहे है उस व्यक्ति का नाम कौन काट सकता है।  रिजु झुनझुनवाला की सास और पूर्व मंत्री बीना काक का कहना है कि रिजु तो भीलवाड़ा से चुनाव लडऩा चाहते थे, लेकिन पायलट और रघु शर्मा ने अजमेर में उम्मीदवार बनवा दिया। हाईकमान के सामने पायलट और रघु ने जिस तरह से रिजु की तरफदारी की है उससे अब चुनाव में पायलट और रघु की प्रतिष्ठा ही दाव पर लगी हुई है।
एस.पी.मित्तल) (10-04-19)
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