केन्द्र और राज्य के संयुक्त प्रयास नहीं हुए तो जयपुर के महात्मा गांधी, संतोकबा दुर्लभजी, भगवान महावीर कैंसर व नारायण तथा अजमेर के मित्तल अस्पताल में ऑक्सीजन का संकट हो जाएगा। 29 अप्रैल को थोड़ी राहत दिलवाने में अजमेर से जुड़े आईएएस, मुख्य सचेतक महेश जोशी और पत्रकार इंदू शेखर पंचोली की सकारात्मक भूमिका रही।

इसे मानव का कर्म और ईश्वर की कृपा ही कहा जाएगा कि 29 अप्रैल की रात को राजस्थान में पांच प्रमुख निजी अस्पतालों में भर्ती मरीज सुरक्षित रह गए। यदि समय रहते ऑक्सीजन का विवाद नहीं सुलझा तो 30 अप्रैल को बड़ा हादसा हो सकता था। हादसा भी ऐसा जिसकी कल्पना करना भी मुश्किल हैं। जयपुर के महात्मा गांधी, संतोकबा दुर्लभजी भगवान महावीर कैंसर व नारायण अस्पताल तथा अजमेर के मित्तल अस्पताल में कोरोना काल में करीब दो हजार मरीज भर्ती है। इन पांचों निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन की सप्लाई लिक्विड नॉर्थ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के द्वारा की जाती है। कंपनी से अस्पतालों का वार्षिक अनुबंध हो रखा है। इन पांचों अस्पतालों को प्रतिदिन 351 मीट्रिक टन ऑक्सीजन सप्लाई हो रही थी, लेकिन केन्द्र सरकार ने 29 अप्रैल को दिन में ऑक्सीजन सप्लाई पर रोक लगा दी। केन्द्र सरकार के अधिकारियों का कहना रहा कि उनकी अनुमति के बगैर ऑक्सीजन नहीं दी जा सकती। ऑक्सीजन की सप्लाई बंद हो जाने से पांचों अस्पतालों पर संकट आ गया। गंभीर स्थिति को देखते हुए पूरे प्रकरण में प्रदेश के मुख्य सचेतक महेश जोशी से लेकर दिल्ली में बैठे आईएएस पीयूष मोरडिया, डॉ. धीरज भटनागर के साथ वरिष्ठ पत्रकार इंदु शेखर पंचोली तक को सक्रिय किया गया। इधर राजस्थान के मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने भी रात को ही पत्र लिखकर ऑक्सीजन सप्लाई को जारी रखने का आग्रह किया। देर रात तक को प्रयास हुए उससे अब इन पांचों अस्पतालों के लिए 15 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की अनुमति दे दी गई है। इससे इन अस्पतालों को थोड़ी राहत मिल गई है और भर्ती मरीजों पर से भी संकट टल गया है। लेकिन अभी भी केन्द्र और राज्य सरकार को संयुक्त प्रयास करने होंगे। सरकार अस्पताल में पहले ही ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे हैं, जब यदि निजी अस्पतालों के सामने भी संकट हो जाएगा तो हालात और बिगड़ेंगे। दो हजार मरीजों की भर्ती से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कोरोना काल में ये निजी अस्पताल इतनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। सरकार के ताजा निर्देशों के अनुसार अब तो वो ही मरीज भर्ती होंगे, जिनका ऑक्सीजन लेवल 90 से कम है। जिन मरीजों को ऑक्सीजन लेवल 90 से कम होता है उन्हें ऑक्सीजन की जरुरत होती है। यानि अब उन्हीं मरीजों को अस्पताल में भर्ती किया जा रहा है, जिन्हें ऑक्सीजन की जरूरत है। ऐसी स्थिति में ऑक्सीजन की मांग और बढ़ गई है। राज्य सरकार को चाहिए कि निजी अस्पतालों की मांग को देखते हुए केन्द्र से ऑक्सीजन का कोटा बढ़वाए। जो अस्पताल अपने स्तर पर ऑक्सीजन प्राप्त कर रहे हैं उनकी सप्लाई भी नहीं रुकनी चाहिए। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जब एक मई से चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना लागू कर लाखों लोगों का इलाज प्राइवेट अस्पतालों में करवाना चाहते हैं, तब राज्य सरकार का यह दायित्व है कि निजी अस्पतालों में भी ऑक्सीजन की सप्लाई बनी रहे। S.P.MITTAL BLOGGER (30-04-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9602016852To Contact- 98290

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