सरकार ने कहा अजमेर के मेयर की याचिका प्री-मैच्योर।
नहीं मिला स्टे। अब 8 मई को सुनवाई।
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12 अप्रैल को जयपुर स्थित हाईकोर्ट में न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा की अदालत में अजमेर के मेयर धर्मेन्द्र गहलोत की याचिका पर सुनवाई हुई। सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल मेहता ने अंतरिम जवाब प्रस्तुत करते हुए कहा कि सरकार ने मेयर को जो नोटिस दिया है उस पर जांच जारी है। सरकार ने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है। जांच प्रक्रिया के दौरान ही याचिका प्र्रस्तुत कर दी गई है जो प्री-मैच्यौर (अपरिपक्व) की श्रेणी में आती है। ऐसे याचिका खारिज किए जाने योग्य है। मेयर ने याचिका में जांच अधिकारी तथा अजमेर के तत्कालीन सिटी मजिस्ट्रेट अशोक नाथ योगी को भी पक्षकार बनाया है, लेकिन योगी को अभी तक भी सम्मन तामिल नहीं हुए। मेहता के कथन के बाद न्यायाधीश शर्मा ने आगामी सुनवाई के लिए 8 मई तारीख निर्धारित की। उल्लेखनीय है कि 13 व्यावसायिक नक्शों को नियम विरुद्ध मानते हुए स्वायत्त शासन विभाग ने नगर पालिका अधिनियम की धारा 39 में मेयर को नोटिस दिया। इस नोटिस में मेयर को भी दोषी माना गया है। चूंकि इसी धारा में निलंबन भी हो सकता है, इसलिए मेयर ने हाईकोर्ट में याचिका प्र्रस्तुत कर धारा 39 की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की। हालांकि मेयर ने नोटिस का जवाब दे दिया है, लेकिन फिलहाल न तो सरकार ने निलंबन किया है और न ही कोर्ट ने स्टे दिया है। इस बच इसी प्रकरण में मुख्य आरोपी निगम के उपायुक्त गजेन्द्र सिंह रलावता सहित चार इंजीनियरों को चार्जशीट थमा दी है।