चिकित्सा मंत्री के निर्वाचन क्षेत्र में डॉक्टर की दिलेरी।
नोटिस के बाद भी रोजाना 6 घंटे घर पर मरीजों को देखते हैं।
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राजस्थान के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा का निर्वाचन क्षेत्र केकड़ी (अजमेर) है। केकड़ी के मतदाताओं को कोई परेशानी न हो, इसलिए विभाग के अधिकारियों को खास निर्देश दे रखे हैं। इन निर्देशों के तहत ही 21 अप्रैल को विभाग के विशिष्ट शासन सचिव डॉ समित शर्मा ने केकड़ी के अस्पताल का निरीक्षण किया। अस्पताल में भर्ती मरीजों का कहना रहा कि डॉ झामरलाल मेघवाल अस्पताल के बजाए अपने घर पर बने अस्पताल में मरीजों को देखने में रुचि रखते हैं। घर के अस्पताल में मरीजों को देखने के लालच में सरकारी अस्पताल में भी विलंब से आते हैं। डॉ शर्मा को जब यह पता चला कि डॉ मेघवाल ने घर पर अवैध तौर पर अस्पताल चला रखा है तो केकड़ी के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी गणपतपुरी को आवश्यक कार्यवाही के निर्देश दिए। डॉ पुरी ने 22 अप्रैल को ही डॉ मेघवाल को कारण बताओं नोटिस जारी कर दिया। इस नोटिस में मरीजों के आरोपों का भी उल्लेख किया गया। चूंकि यह नोटिस चिकित्सा विभाग के सबसे बड़े अधिकारी के निर्देश पर जारी हुआ, इसलिए उम्मीद थी कि 10-15 दिन डॉ मेघवाल अपने घर के अस्पताल में मरीजों को नहीं देखेंगे। लेकिन डॉ मेघवाल ने नोटिस की परवाह न करते हुए घोषित कर दिया कि अब वे रोजाना 6 घंटे अपने निजी अस्पताल में ही मरीजों को देखने का कार्य करेंगे। डॉ मेघवाल ने दिलेरी दिखाते हुए अपने अस्पताल के बाहर सूचना चस्पा की और इसी सूचना को सोशल मीडिया पर पोस्ट भी किया। इस सूचना से केकड़ी के मरीजों को जानकारी दी गई कि वे दोपहर को 12 से 2 बजे, शाम को 4 से 5 बजे तथा रात को 7 से 10 बजे तक मरीजों को अपने घर के अस्पताल में देखेंगे। यानि सरकारी अस्पताल के मरीज कुछ भी कहें, लेकिन वे तो रोजाना 6 घंटे घर पर ही मरीजों को देखेंगे। इतना ही नहीं सूचना में इस बात पर दु:ख जताया गया है कि अब वे सीरियस मरीज को टेकल नहीं करेंगे। जाहिर है कि यह सूचना उस नोटिस का जवाब है जो डॉ मेघवाल को दिया गया। मेघवाल की दिलेरी दिखाती है कि उन्हें चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा की भी परवाह नहीं है। सवाल यह भी है कि जब चिकित्सा मंत्री के क्षेत्र में इतनी दिलेरी है तो फिर प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था का अंदाजा लगाया जा सकता है। नोटिस के संबंध में डॉ मेघवाल का कहना है कि वे कोई गलत काम नहीं करते हैं। मैं सेवा की भावना से मरीजों का इलाज करता हंू। नियमों के अंतर्गत ही घर पर मरीजों को देखता हंू। जो डॉक्टर एनपीए की राशि नहीं लेते हैं, वे अपने घर पर मरीजों को देख सकते हैं। केकड़ी के लोगों का कहना है कि डॉ मेघवाल ने अपने घर में ही 8-10 बैड का अस्पताल खोल रखा है। यहां प्राथमिक इलाज के लिए मरीजों को भर्ती भी किया जाता है। चूंकि डॉ मेघवाल का घर पर व्यवहार अच्छा रहता है, इसलिए मरीज घर पर ही इलाज करवाना पसंद करते हैं, भले ही कितनी भी फीस ली जाए या संबंधित दुकान से ही दवाई लाने का दबाव डाला जाए। नोटिस के बाद भी जब इतनी दिलेरी दिखाई जा रही है तो फिर केकड़ी के मरीज तो भगवान भरोसे ही हैं।