कांग्रेस सरकार के दबाव में अजमेर प्रशासन ने करवाया मतदान।
भाजपा करेगी चुनाव आयोग से शिकायत।
देवनानी, भागीरथ, सारस्वत और रावत ने केकड़ी से भी जीत का दावा किया।
सबसे कम अजमेर में मतदान हुआ।
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30 अप्रैल को अजमेर संसदीय क्षेत्र से भाजपा के प्रत्याशी भागीरथ चौधरी, पूर्व मंत्री वासुदेव देवनानी, देहात जिला अध्यक्ष बीपी सारस्वत और चुनाव संयोजक सुरेश सिंह रावत ने एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन किया। चारों भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि 29 अप्रैल को अजमेर जिला प्रशासन ने कांग्रेस सरकार के दबाव में मतदान करवाया है। इसलिए कई मतदान केन्द्रों पर गड़बड़ी की शिकायतें आई हैं। विधायक देवनानी ने अपने उत्तर और सुरेश रावत ने अपने पुष्कर विधानसभा क्षेत्रों के मतदान केन्द्रों के बारे में विस्तृत जानकारी दी और यह साबित किया कि प्रशासन ने कांग्रेस सरकार के दबाव में काम किया है। देवनानी ने कहा कि अब वे चुनाव आयोग को अजमेर प्रशासन की शिकायत करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार तो आती जाती रहती है। ऐसे में प्रशासन को निष्पाक्षता बरतनी चाहिए। जनप्रतिनिधियों ने जब मतदान के दौरान चुनाव अधिकारियों को शिकायत की तो अधिकारियों ने कोई कार्यवाही नहीं की। प्रशासन की लापरवाही की वजह से अनेक मतदाता मतदान से वंचित रह गए।
केकड़ी में जीत होगी:
भाजपा नेताओं ने दावा कि अजमेर संसदीय क्षेत्र के केकड़ी विधानसभा क्षेत्र से भी भाजपा की जीत होगी। उन्होंने कहा कि अजमेर ही नहीं बल्कि 29 अपै्रल को हुए 13 संसदीय क्षेत्रों में भी भाजपा के उम्मीदवार जीत दर्ज करवाएंगे। देवनानी का दावा रहा कि 23 मई को परिणाम वाले दिन कांग्रेस सरकार में जोरदार उथल पुथल होगी, क्योंकि जोधपुर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत भी चुनाव हार रहे हैं।
सबसे कम मतदान अजमेर में:
देहात जिला अध्यक्ष सारस्वत ने कहा कि 29 अप्रैल को जिन 13 संसदीय क्षेत्रों में मतदान हुआ उनमें सबसे कम मतदान अजमेर में हुआ है। सभी संसदीय क्षेत्रों में मतदान का प्रतिशत बढ़ा, लेकिन अजमेर में गिर गया। वर्ष 2014 में अजमेर में 68.69 प्रतिशत मतदान हुआ था, जबकि इस बार 67.14 प्रतिशत की मतदान हुआ। यानि 1.55 प्रतिशत मतदान कम रहा। इससे जाहिर होता है कि जिला प्रशासन ने मतदाता जागरुकता का जो अभियान चलाया वह पूरी तरह विफल रहा है। सारस्वत का कहना रहा कि मतदान केन्द्रों पर चुनाव आयोग के निर्देशों के मुताबिक सुविधाएं भी नहीं थी, जिनकी वजह से मतदान का प्रतिशत कम रहा। मतदान कर्मियों का व्यवहार भी मतदाताओं के प्रति अच्छा नहीं देखा गया। प्रशासन को जो इंतजाम करने चाहिए थी, वो नहीं किए गए।