आखिर ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल को किधर ले जाना चाहती है?

आखिर ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल को किधर ले जाना चाहती है?
निष्पक्ष चुनाव के लिए आयोग की सख्ती भी धरी रह गई। 
फोनी तूफान में भी पीएम का फोन रिसीव नहीं करतीं। बैठक भी नहीं करने दी।
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6 मई को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फोनी तूफान से प्रभावित उड़ीसा का हवाई दौरा किया। उड़ीसा के सीएम नवीन पटनायक भी साथ थे। मोदी ने सीएम पटनायक की प्रशंसा भी की। एक हजार करोड़ रुपए की सहायता की घोषणा भी की। चूंकि फोन तूफान से पश्चिम बंगाल में भी नुकसान हुआ है, इसलिए प्रधानमंत्री पश्चिम बंगाल का दौरा भी करना चाहते थे, इसके लिए मोदी ने ममता बनर्जी को फोन भी किया, लेकिन ममता ने फोन रिसीव नहीं किया। यदि प्रधानमंत्री पश्चिम बंगाल का दौरा करते तो तूफान पीडि़तों की मदद ही होती। असल में ममता ने यह दर्शाने की कोशिश की कि वे अपने राज्य के लिए केन्द्र पर निर्भर नहीं है। ममता पहले भी केन्द्र की कई योजनाओं को बंगाल में लागू करने से इंकार कर चुकी हैं। ममता एक ओर केन्द्र के दिशा निर्देशों की अवेहलना करती हैं तो दूसरी उनकी टीएमसी के समर्थक लोकसभा चुनाव में गुंडागर्दी करने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। 6 मई को ही बैरकपुर में भाजपा प्रत्याशी की जमकर पिटाई की गई। प्रत्याशी फर्जी वोटिंग पर शिकायत कर रहा था। बंगाल की स्थिति को देखते हुए चुनाव आयोग ने सख्त कदम उठाए। एक चरण में चार पांच सीटों पर ही मतदान करवाया, ताकि लोग बिना भय के मतदान कर सके। 6 मई को पांचवें चरण में तो बंगाल पुलिस को मतदान केन्द्र के बाहर ही रखा। केन्द्र के अंदर केन्द्रीय सुरक्षा बलों के जवानों की तैनाती की गई, लेकिन इसके बाद भी टीएमसी के कार्यकर्ताओं ने जमकर गुंडागर्दी की। असल में ममता बनर्जी ने सत्ता के लालच में बंगाल में ऐसे लोगों को संगठित कर दिया है जो देश की एकता और अखंडता नहीं चाहते। फिलहाल ऐसे लोगों ने ममता बनर्जी की टीएमसी का राजनीतिक मखौटा लगा रखा है। आने वाले दिनों में बंगाल में भी कश्मीर जैसी आवाज उठने लगेंगी। ममता के शासन में ऐसे तत्व लगातार अपनी स्थिति को मजबूत कर रहे हैं। जब केन्द्रीय सुरक्षा बलों की उपस्थिति में यह हाल है तो आने वाले दिनों में हालातों का अंदाजा लगाया जा सकता है। चूंकि ममता बनर्जी केन्द्र सरकार की परवाह नहीं करती, इसलिए एक खास विचारधारा के वोट आसानी से मिल जाते हैं। इस तरीके से ममता भले ही चुनाव जीत लें, लेकिन बंगाल के हालात बहुत बिगड़ जाएंगे। ममता अब इतनी मजबूत हो गई कि कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ता भी डरते हैं।
पीएम का ममता पर हमला:
6 मई को उड़ीसा में तूफान प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के बाद पीएम मोदी ने पश्चिम बंगाल के तामलुक में एक चुनावी सभा को संबोधित किया। मोदी ने कहा कि पश्चिम बंगाल में प्रभावित क्षेत्रों की जानकारी लेने के लिए उन्होंने दो बार सीएम ममता बनर्जी को फोन किया, लेकिन दोनों बार ममता ने कोई जवाब नहीं दिया। मैं चाहता था कि बंगाल में अधिकारियों की बैठक लेकर स्थिति का जायजा लू, लेकिन मुझे बैठक की भी इजाजता नहीं दी गई। बंगाल में ममता दीदी का अपना काम करने का तरीका है। उन्हें बंगाल के लोगों के हितों के बजाए स्वयं के हित की चिंता रहती है। मोदी ने कहा कि जब पाकिस्तान में बैठे अजहर मसूद को आतंकी घोषित किया गया तब पूरे देश में प्रशंसा हुई, लेकिन ममता दीदी ने एक बार भी केन्द्र सरकार के प्रयासों की प्रशंसा नहीं की। शायद ममता दीदी को अपने वोट बैंक की चिंता थी। दीदी को लगा होगा कि यदि अजहर मसूद की निंदा की गई तो बंगाल में उनके वोट बैंक पर असर पड़ जाएगा। बंगाल में जयश्रीराम का नारा लगाने वालों को जेल भेज दिया जाता है। अब तो हालत इतने खराब है कि सनातन संस्कृति के अनुरूप जो लोग मंदिरों में पूजा पाठ व्रत आदि करते हैं उन्हें भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
एस.पी.मित्तल) (06-05-19)
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