राजस्थान में आसान नहीं है कांगे्रस के लिए विधानसभा चुनाव परिणाम को दोहरा पाना।
अब नतीजों पर नजर।
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6 मई को राजस्थान में लोकसभा की सभी 25 सीटों पर मतदान की प्रक्रिया पूरी हो रही है। 29 अप्रैल को 13 सीटों पर मतदान हो चुका है। भाजपा के चुनाव प्रभारी केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर का दावा है कि 2014 की तरह भाजपा को प्रदेश की सभी 25 सीटों पर जीत मिलेगी। भाजपा ने नागौर सीट पर हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी को समझौते में दी है। वहीं सीएम अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट का कहना है कि हाल के विधानसभा चुनाव में जिस प्रकार भाजपा से सत्ता छीनी उसी प्रकार लोकसभा चुनाव में भी अधिकांश सीटों पर कांग्रेस की जीत होगी। 23 मई को नतीजे आने से पहले तक दोनों पार्टियों के अपने अपने दावे हैं, लेकिन चुनाव के जानकारों का मानना है कि कांग्रेस के लिए विधानसभा चुनाव के परिणाम दोहरा पाना आसान नहीं है। सब जानते है कि प्रदेश के गुर्जर मतदाता विधानसभा चुनाव में बेहद उत्साहित थे। सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के लिए गुर्जरों ने कोई कसर नहीं छोड़ी। लेकिन लोकसभा चुनाव में गुर्जर मतदाताओं में विधानसभा चुनाव जैसा उत्साह नहीं था। 23 मई को परिणाम के बाद गुर्जर बहुल्य मतदान केन्द्रों के मतों का विश्लेषण किया जाएगा तो स्थिति सामने आ जाएगी। विधानसभा के चुनाव में मतदाताओं के सामने भाजपा सरकार की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का चेहरा सामने था। मतदाताओं को भी पता था कि भाजपा को बहुमत मिलने पर राजे ही मुख्यमंत्री बनेगी। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने राजे को मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा कर दी थी, भले ही ऐसी घोषणा के दबाव की राजनीति के चलते की गई है। लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी का चेहरा सामने है। चूंकि प्रचार में भी वसुंधरा राजे का कोई खास योगदान नहीं रहा, इसका सीधा फायदा भाजपा को मिला। लोकसभा चुनाव में मतदाता के सामने कांग्रेस और भाजपा के कार्यों का तुलनात्मक अध्ययन करने का अवसर भी रहा। भले ही राज्य की कांग्रेस सरकार का कार्यकाल तीन माह का ही रहा, लेकिन मतदाताओं की यह समझ में आ गया कि कांग्रेस की सरकार अगले पांच वर्ष किस राह पर चलेगी। सामान्य वर्ग के गरीबों को दस प्रतिशत का आरक्षण का लाभ नहीं मिला तो किसानों को दो लाख रुपए के कर्ज भी माफ नहीं हुए। जिन किसानों ने सहकारी बैंकों से कर्ज लिया, उनके तो माफ हो गए, लेकिन राष्ट्रीयकृत बैंकों के कर्जे आज तक भी माफ नहीं हुए हैं। कर्ज माफी की जो नीति बनाई उससे भी किसान नाराज दिखे। यानि विधानसभा के चुनाव का माहौल बदला हुआ था। भाजपा का चुनाव प्रचार भी आक्रमक रहा। सीएम गहलोत के पुत्र वैभव को जोधपुर में हराने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह ने पूरी ताकत लगा दी। मोदी ने चुनावी सभा की तो शाह ने जोधपुर की सड़कों पर रोड शो। भाजपा की इस ताकत से कांग्रेस के लिए जोधपुर सीट भी खतरे में पड़ गई है। वैसे भी वैभव का मुकाबला केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत से हो रहा है। प्रदेश और देशव्यापी माहौल को देखते हुए भाजपा के अधिकांश उम्मीदवारों ने नरेन्द्र मोदी को दोबारा से प्रधानमंत्री बनवाने के लिए वोट मांगे हैं। यदि कांग्रेस विधानसभा चुनाव के परिणाम नहीं दोहरा पाती है तो 23 मई के बाद कांगे्रस की राजनीति में जोरदार उथल पुथल होगी।