आखिर सीएम अशोक गहलोत अजमेर स्थित एमडीएस यूनिवर्सिटी की सुध कब लेंगे?
सात माह से कुलपति नहीं होने से विद्यार्थी स्कॉलरशिप से भी वंचित।
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अजमेर स्थित एमडीएस यूनिवर्सिटी के कुलपति का पद पिछले सात माह से रिक्त पड़ा है। ऐसे में सवाल उठता है कि राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत कब सुध लेंगे? इस यूनिवर्सिटी के कुलपति का विवाद सिर्फ सीएम गहलोत ही हल कर सकते हैं। गत भाजपा के शासन में प्रो. आरपी सिंह को यूनिवर्सिटी का कुलपति बनाया गया था, लेकिन अक्टूबर 2018 में हाईकोर्ट ने सिंह के काम काज पर रोक लगा दी। हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर आरोप लगाया गया था कि प्रो. सिंह कुलपति बनने की योग्यता नहीं रखते हैं। कायदे से तभी किसी अन्य यूनिवर्सिटी के कुलपति को अजमेर का अतिरिक्त चार्ज दे देना चाहिए, ताकि सामान्य कामकाज होते रहे। लेकिन भाजपा राज में विधानसभा और अब कांगे्रस राज में लोकसभा चुनाव की वजह से किसी भी मुख्यमंत्री ने एमडीएस यूनिवर्सिटी की सुध नहीं ली। भाजपा के राज में अजमेर के चार भाजपा विधायक मंत्री पद की सुविधा भोग रहे थे, लेकिन किसी ने भी अपने जिले की यूनिवर्सिटी की सुध नहीं ली। दिसम्बर में कांगे्रस का शासन आने पर केकड़ी के विधायक रघु शर्मा ताकतवर मंत्री तो बने, लेकिन यूनिवर्सिटी के बारे में सरकार से कोई निर्णय नहीं करवा सके। जहां तक मौजूदा उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी का सवाल है तो उनका होना न होना बराबर है। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हो जाने के बाद विवादित कुलपति आरपी सिंह को स्वत: ही इस्तीफा दे देना चाहिए था। लेकिन प्रो. सिंह भी अपनी जिद पर अड़े हुए हैं। यदि प्रो. सिंह इस्तीफा दे दें तो हाईकोर्ट वाला विवाद अपने आप खत्म हो जाएगा। जिस प्रकार कांग्रेस-भाजपा की सरकारों को विद्यार्थियों की परेशानी की चिंता नहीं है उसी प्रकार प्रो. सिंह को भी विद्यार्थियों की परेशानी से कोई सरोकार नहीं है। ऐसा नहीं कि सरकार किसी अन्य यूनिवर्सिटी के कुलपति को अजमेर का चार्ज नहीं दे सकती। सरकार ने जोधपुर स्थित आयुर्वेद यूनिवर्सिटी के कुलपति का चार्ज बीकानेर के कुलपति भागीरथ सिंह को दे रखा। उदयपुर स्थित मोहनलाल सुखाडिय़ा यूनिवर्सिटी के कुलपति जेपी शर्मा के पास तो जोधपुर की जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी के साथ साथ महाराणा प्रताप तकनीकी यूनिवर्सिटी के कुलपति का भी चार्ज है। असल में जहां के राजनेता संघर्ष वाले होते हैं, वहां हर समस्या का समाधान हो जाता है। अजमेर का यह दुर्भाग्य है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों के राजनेता असमर्थ रहे। अजमेर के नेताओं में इतना दम ही नहीं है कि वे मुख्यमंत्री से समस्या का समाधान करवावें।
विद्यार्थी परेशान:
एमडीएस यूनिवर्सिटी में कुलपति नहीं होने का खामियाजा विद्यार्थियों को उठाना पड़ रहा है। शोध कार्य के अनेक विद्यार्थियों को स्लॉकरशिप की राशि नहीं मिल रही है। यूजीसी के नियमों के तहत शोध कार्यों के दस्तावेजों में संबंधित यूनिवर्सिटी के कुलपति के हस्ताक्षर होना अनिवार्य है। कुलपति के हस्ताक्षर के बगैर राशि का भुगतान नहीं होगा। इसके अलावा बहुत से निर्णय भी नहीं हो पा रहे हैं। कुलपति के नहीं होने से यूनिवर्सिटी से अजमेर के आसपास के 284 कॉलेज जुड़े हुए हैं। कोई 11 हजार विद्यार्थी इस यूनिवर्सिटी में अध्ययन करते हैं। कुलपति के बगैर कोई डिग्री भी अवार्ड नहीं हो रही है। हजारों विद्यार्थियों की सुनने वाला कोई नहीं है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी बार बार दावा करते हैं कि वे युवाओं को आगे बढ़ाएंगे। लेकिन राजस्थान में कांग्रेस के शासन में युवा कितने दु:खी और परेशान है, इसे एमडीएस यूनिवर्सिटी में आकर देखा जा सकता है।