डिप्टी सीएम सचिन पायलट के टोंक में नहीं थम रहा बवाल।
डिप्टी सीएम सचिन पायलट के टोंक में नहीं थम रहा बवाल।
कांग्रेस के विधायक हरीश मीणा ने लगाया सरकार पर विश्वास घात का आरोप।
सात दिन से पड़ा टे्रक्टर चालक का शव।
थानेदार मनीष चारण सहित छह पुलिस कर्मी सस्पेंड।
चिकित्सा विभाग ने माना गोलीकांंड।
सातवें दिन पायलट भी पहुंचे।
राजस्थान के डिप्टी सीएम और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट के टोंक में बवाल थम नहीं रहा है। खाद्य मंत्री रमेश मीणा ने तीन जून को टोंक में पहुंचकर अनशन कारियों और प्रशासन के बीच जो समझौता करवाया था, वह चार जून को समझौता विफल हो गया। कांग्रेस के विधायक और पूर्व डीजीपी हरीश मीणा ने आरोप लगाया कि सरकार ने धोखा देकर उनका आमरण अनशन खत्म करवा दिया। आमरण अनशन खत्म करने से पहले जो वायदे किए गए थे, उन्हें सरकार ने चार जून को पूरा नहीं किया। इसलिए वे फिर से टोंक के नगर फोर्ट चिकित्साल परिसर में आ कर बैठ गए हैं। अब वे तब तक धरना देते रहेंगे जब तक सभी मांगे पूरी नहीं हो जाती। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि मृतक ट्रेक्टर चालक भजनलाल मीणा का शव पिछले सात दिनों से मुर्दाघर में पड़ा हुआ है। मीणा का कहना रहा कि कुछ लोग मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी गुमराह कर रहे हैं। ऐसे लोग नहीं चाहते कि टोंक में शांति कायम हो। मीणा ने कहा कि सरकार को टोंक के लोगों के धैर्य की परीक्षा और नहीं लेनी चाहिए। मीणा ने अपना आरोप फिर दोहराया कि 28 मई को नगर फोर्ट की पुलिस ने ट्रेक्टर चालक भजनलाल मीणा की हत्या की है।
मेडिकल बोर्ड की टीम पर बिगड़ा मामला:
3 जून को जब खाद्य मंत्री रमेश मीणा टोंक आए थे, तब मृतक मीणा के शव का पोस्टमार्टम मेडिकल टीम से करवाने का निर्णय हुआ था, इसके लिए टोंक के मुख्यमंत्री चिकित्सा अधिकारी ने तीन सदस्यीय टीम का गठन भी कर दिया था। इस टीम ने टोंक के पीएमओ डॉ. एसएन वर्मा, सीएचसी देवली के डॉ रविराज सिंह तथा नगर फोर्ट के प्रभारी डॉ. राजीव मीणा को रखा गया। समझौते के मुताबिक यह टीम चार जून को सुबह शव का पोस्टमार्टम करती इससे पहले ही राज्य सरकार ने नए मेडिकल बोर्ड का गठन कर दिया। जयपुर स्थित सवाईमान सिंह अस्पताल के चिकित्सा प्रभारी ने अतिरिक्त मुख्य सचिव चिकित्सा विभाग के आदेश से नई टीम गठित की। इस टीम में जयपुर के डॉ. डीके शर्मा, पीडी मीणा, अमित जैन डॉ. एसएन वर्मा और डॉ रविराज सिंह को रखा गया। लेकिन टोंक में मृतक के परिजन और विधायक हरीश मीणा ने जयपुर की टीम से पोस्ट मार्टम कराने से इंकार कर दिया। साफ कहा गया कि राज्य सरकार ने जो टीम गठित की है उस पर भरोसा नहीं है। इसके बाद एक बार फिर टोंक में तनाव पूर्ण माहौल हो गया। 4 जून की शाम तक मृतक का शव मुर्दाघर में ही रखा हुआ था और सैकड़ों लोग मुर्दाघर के बाद धरने पर बैठे हुए थे।
थानेदार सहित छह कर्मी सस्पेंड:
धरना स्थल पर भाजपा के विधायक गोपीचंद मीणा भी बैठे हुए हैं। मीणा ने 4 जून को टोंक के पुलिस अधीक्षक चूनाराम जाट से सवाल पूछा कि 3 जून को जब थानेदार और दोषी पुलिस कर्मियों को सस्पेंड करने का निर्णय हो गया था, तो अब तक सस्पेंड क्यों नहीं किया गया? मीणा की फटकार के बाद टोंक के नगर फोर्ट के थानेदार मनीष चारण सहित छह पुलिस कर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया। सस्पेंड की कार्यवाही से अब पुलिस महकमे में नाराजगी हो गई है।
चिकित्सा विभाग ने बताया गोलीकांड:
चिकित्सा विभाग ने टोंक के विवाद को गोलीकांड माना है। मेडिकल बोर्ड की टीम के गठन का जो आदेश निकाला गया है उसमें चिकित्सा विभाग की ओर से कहा गया कि गोली कांड में मारे गए लोगों का पोस्टमार्टम होना है। चिकित्सा विभाग का यह कृत्य दर्शाता है कि विभाग में किस तरह लापरवाही हो रही हैं। पुलिस का मानना है कि ट्रेक्टर चालक भजनलाल मीणा 28 मई की रात को अवैध तौर पर बजरी ले जा रहा था, तब ट्रेक्टर को दौड़ाते समय उसकी मौत हो गई। लेकिन वहीं अब चिकित्सा विभाग मानता है कि मीणा की मौत गोलीकांड में हुई है। उल्लेखनीय है कि घटना के बाद 30 मई से विधायक हरीश मीणा धरने पर बैठे गए थे, लेकिन जब धरने का कोई असर नहीं हुआ तो 1 जून से विधायक ने आमरण अनशन शुरू कर दिया था।
पायलट भी पहुंचे:
घटना के सातवें दिन 4 जून को डिप्टी सीएम पायलट भी अपने निर्वाचन क्षेत्र टोंक में पहुंच गए हैं। पायलट अब मृतक के परिजन, कांग्रेस के विधायक हरीश मीणा और प्रशासन के अधिकारियों से बातचीत कर रहे हैं। पायलट का प्रयास है कि किसी भी तरह मृतक भजन लाल मीणा का अंतिम संस्कार करवाया जावे। ताकि टोंक में तनाव खत्म हो सके।
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