राहुल गांधी खुद देख लें कि राजस्थान के चिकित्सा महकमे में भ्रष्टाचार के कैसे हालात हैं?

राहुल गांधी खुद देख लें कि राजस्थान के चिकित्सा महकमे में भ्रष्टाचार के कैसे हालात हैं?
सीएम गहलोत बेबस। 2500 भर्तियों में वसूले जा रहे थे डेढ़-डेढ़ लाख रुपए।
मंत्री जी कहते हैं उन्हें जानकारी नहीं। दोषियों पर कार्यवाही होगी।

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22 जून के दैनिक भास्कर में प्रथम पृष्ठ पर आठ कॉलम में राजस्थान के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में फैले भ्रष्टाचार की एक खबर प्रकाशित हुई। यदि इस खबर को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी पढ़ेंगे तो उन्हें पता चलेगा कि प्रदेश के चिकित्सा विभाग के हालात कैसे हैं? राहुल गांधी कहते हैं कि कांगे्रस शासित राज्यों में भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं करेंगे, जबकि राजस्थान में चिकित्सा महकमे में भास्कर ने भ्रष्टाचार के सबूत दिए हैं। क्या अब राहुल गांधी कांग्रेस सरकार के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा से कोई जवाब तलब करेंगे? जहां तक सीएम अशोक गहलोत का सवाल है तो प्रदेश की आतंरिक राजनीति की वजह से वे अपने चिकित्सा मंत्री से जवाब नहीं मांग सकते हैं। रघु शर्मा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और डिप्टी सीएम सचिन पायलट के खेमे के हैं। भास्कर की खबर के अनुसार राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत 2500 कम्युनिटी हैल्थ ऑफिसर के पदों पर भर्ती के लिए 22 जून को परीक्षा होनी थी। एक दिन पहले 21 जून को चिकित्सा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव रोहित कुमार ने रोक लगा दी। आरोप है कि नियुक्ति होने वाले एक अभ्यर्थी से डेढ़ लाख रुपए की रिश्वत वसूली जा रही है। ऐसा नहीं कि यह परीक्षा गुपचुप में ली जा रही थी, इसके लिए बकायदा आवेदन मांगे गए। कोई तीस हजार पात्र अभ्यर्थियों ने आवेदन भी किया। यदि 21 जून को रोक नहीं लगती तो भ्रष्टाचारी सफल हो जाते। गंभीर बात यह है कि प्रदेश चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा का कहना है कि उन्हें 2500 पदों की भर्तियों की जानकारी नहीं है। सवाल उठता है कि जब इतनी बड़ी प्रक्रिया की जानकारी नहीं है तो फिर रघु शर्मा किस बात के चिकित्सा मंत्री हैं। विभाग के अधिकारियों की माने तो एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के तबादले में भी मंत्री का दखल रहता है और रघु शर्मा तो दबंग मंत्रियों में से हैं। उनके महकमे में 2500 पदों पर भर्ती हो रही हो और शर्मा को पता ही नहीं चले, यह बात किसी के गले नहीं उतर रही है।
केन्द्र सरकार की योजना:
असल में कम्युनिटी हैल्थ ऑफिसर की नियुक्ति केन्द्र सरकार की योजना है। इसके अंतर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर कम्पाउंडर से अधिक ज्ञान रखने वाले पात्र व्यक्ति को नियुक्ति दी जाती है। इस कर्मचारी के वेतन का 60 प्रतिशत केन्द्र सरकार देती है, जबकि 40 प्रतिशत राज्य सरकार वहन करती है। जानकारों के अनुसार चिकित्सा विभाग को राज्य के वित्त विभाग से भी अनुमति लेनी थी, लेकिन जब भर्ती की फाइल चिकित्सा विभाग के सचिव तक ही नहीं पहुंची तो फिर वित्त विभाग की अनुमति का सवाल ही नहीं उठता। मालूम हो कि इस समय वित्त विभाग का दायित्व भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास है। सवाल यह भी है कि क्या चिकित्सा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव रोहित कुमार को दर किनार कर 2500 पदों पर भर्ती हो रही थी? भर्तियों की सारी जिम्मेदारी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के एमडी डॉ. समित शर्मा के हाथों में थी। क्या ऐसा संभव है कि डॉ. समित शर्मा जैसा तेज तर्रार आईएएस अपने मंत्री को बताए बगैर इतनी बड़ा काम अकेले दम पर कर रहा हो? इस पूरे प्रकरण में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग की भूमिका की भी पड़ताल होनी चाहिए। राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष रहे डॉ. गर्ग की राजनीति के बारे में सब जानते हैं। डॉ. गर्ग अजीत सिंह चौधरी वाली आरएलडी के विधायक हैं और राजस्थान में कांग्रेस सरकार को समर्थन दे रखा है। 2500 पदों पर भर्ती की जानकारी डॉ. सुभाष गर्ग को भी न हो, यह आश्चर्य वाली बात है।
सख्त कार्यवाही करेंगे-रघु शर्मा:
वहीं पूरे प्रकरण में चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने कहा कि दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही होगी। यदि उन्हें पूर्व में पता होता तो ऐसी गलती होने ही नहीं देता। यदि भाजपा इस मुद्दे को विधानसभा में उठा कर कांग्रेस सरकार पर हमला करेगी तो मैंने भी पूरी तैयारी कर ली है। भाजपा के पांच वर्ष के शासन में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में क्या क्या हुआ इस बारे में विधानसभा में बताया जाएगा। कम्युनिटी हैल्थ ऑफिसर की भर्ती के प्रकरण में देखा जाएगा कि कहीं तार पुराने अफसरों से तो नहीं जुड़े हैं? इस मामले में किसी भी दोषी अधिकारी को बख्शा नहीं जाएगा। मैं स्वयं इस मामले को देख रहा हंू। विपक्ष को आरोप लगाने से पहले अपने गिरेबंा में झांकना चाहिए।
सीबीआई जांच की मांग:
भाजपा के विधायक और पूर्व चिकित्सामंत्री कालीचरण सराफ ने भर्ती घोटाले की सीबीआई से जांच कराने की मांग की है। सराफ ने कहा कि रघु शर्मा की अपने विभाग पर कोई पकड़ नहीं है। जब एनएचएम के एमडी समित शर्मा ने गलती स्वीकार कर ली है तो फिर अब कार्यवाही क्यों नहीं की गई। सराफ ने कहा कि इस घोटाले को विधानसभा में उठाया जाएगा।
एस.पी.मित्तल) (22-06-19)
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