राजस्थान में अब उच्च शिक्षा महकमें में भ्रष्टाचार की सुंगध।
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Sp mittal
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July 2, 2019
राजस्थान में अब उच्च शिक्षा महकमें में भ्रष्टाचार की सुंगध।
प्राइवेट यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में बीएससी ऑनर्स (कृषि) में प्रवेश के लिए सरकार दूसरी बार लेगी एन्ट्रेंस टेस्ट (जेट)। बाहर के विद्यार्थी भी पात्र होंगे।
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राजस्थान के चिकित्सा विभाग में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत हेल्थ वर्कर के 2500 पदों की भर्ती में भ्रष्टाचार की खबरों पर अभी लगाम भी नहीं लगी थी कि उच्च शिक्षा महकमे में भ्रष्टाचार की सुगंध आने लगी है। विभाग ने जो फैसला लिया है उसकी चर्चा राजनीतिक गलियारों में हो रही है। गंभीर बात तो यह है कि जो एन्टें्रस टेस्ट लिया जा चुका है, उसे दूसरी बार फिर लिया जाएगा। प्राप्त जानकारी के अनुसार उच्च शिक्षा के संयुक्त सचिव डॉ. राजेन्द्र जोशी ने विभाग के मंत्री की सहमति से 12 जून 2019 को एक आादेश जारी किया है। इस आदेश में माना गया कि यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में बीएससी ऑनर्स (कृषि) विषय में प्रवेश के लिए जेट (एन्ट्रेंस टेस्ट) की परीक्षा आयोजित की जाकर परिणाम भी घोषित कर दिया गया है। परिणाम मेरिट के आधार पर विद्यार्थियों को सरकारी और प्राइवेट शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश भी दे दिया गया है। लेकिन प्रदेश के अनेक प्राइवेट यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में इस विषय में सीटें खाली रह गई हैं। ऐसे संस्थानों का कहना रहा कि यदि सीटें खाली रहीं तो उन्हें भारी आर्थिक नुकसान होगा। संस्थानों की इसी मजबूरी का जमकर फायदा उठाया गया और जब सरकार ने ऐसा आदेश निकाल दिया है जिसमें दूसरी बार जेट के आयोजन के साथ-साथ राजस्थान के बाहर के राज्यों के विद्यार्थियों को भी प्रवेश दिया जाएगा। इसी आदेश में शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए भी दिशा निर्देश जारी कर दिए गए हैं। अगले सत्र में तो पहली बार ही बाहर के विद्यार्थियों को प्रवेश के लिए पात्र मान लिया गया है, लेकिन 50 प्रतिशत सीटें राजस्थान के विद्यार्थियों से भरना अनिवार्य है। सवाल उठता है कि प्राइवेट संस्थानों पर सरकार अपना दखल क्यों चाहती हैं? पहली बार के जेट में ही सभी सीटों को क्यों नहीं भरवाया गया? सरकार को दूसरी बार जेट की परीक्षा क्यों करवानी पड़ रही है? सरकार के इस फैसले में पारदर्शिता की बेहद कमी है। सवाल यह भी है कि क्या इतने बड़े फैसले से पहले मुख्यमंत्री स्तर पर कोई अनुमति ली गई? आने वाले दिनों में इन सब सवालों के जवाब सरकार को देने होंगे। जहां अफसरशाही का सवाल है तो सरकारों का इशारा समझ कर ही आदेश जारी करती है। कोई अफसर अपने स्तर पर आदेश जारी नहीं करता है।