अजमेर में बाल वाहिनी वाहनों की धरपकड़ में बच्चों की सुरक्षा का ख्याल रखा जाए।
पुलिस से बचने के लिए बच्चों से भरे वाहन इधर-उधर दौड़ते हुए दुर्घटनाग्रस्त हो सकते हैं।
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इन दिनों अजमेर शहर में बाल वाहिनी वाहनों की धरपकड़ का जो अभियान चल रहा है उससे स्कूली बच्चों को खतरा हो गया है। पुलिस का कहना है कि जो ऑटो वेन आदि प्राइवेट वाहन स्कूली बच्चों को ले जाते हैं वे सरकार के बाल वाहिनी नियमों का पालन नहीं करते हैं। वाहन चालकों और पुलिस के बीच जो टकराव हुआ, उसमें 16 जुलाई की रात को पुलिस अधीक्षक कुंवर राष्ट्रदीप सिंह के दखल के बाद समझौता हो गया। 17 जुलाई को चालकों ने अपने वाहन चलाने का निर्णय लिया, लेकिन 17 जुलाई को सुबह कई स्थानों पर पुलिस ने बच्चों से भरे वाहनों के चालान किए। पुलिस की कार्यवाही से बचने के लिए वाहन चालक वाहनों को गलियों में दौड़ते देखे गए। बच्चों से भरे वाहनों को गली कूचों से स्कूल तक ले जाया गया। शहर में 460 से भी ज्यादा ऑटो, वेन आदि वाहन स्कूली बच्चों को लाने ले जाने का कार्य करते हैं। बच्चों से भरे वाहन आदि गलियों में दौड़ेंगे तो दुर्घटना भी हो सकती है। प्राइवेट वाहन सरकार के बाल वाहिनी वाहनों वाले नियम अपनाएं, जिसकी जिम्मेदारी पुलिस की है। पुलिस को उन वाहन चालकों पर कार्यवाही करनी ही चाहिए जो नियमों का पालन नहीं करते हैं। लेकिन अच्छा हो कि बच्चों की सुरक्षा का भी ख्याल रखा जाए। पुलिस चाहे तो संबंधित स्कूलों के बाहर खड़े होकर चालान आदि की कार्यवाही कर सकती है। इससे बच्चों की जान को कोई खतरा नहीं होगा। बच्चों से भरे वाहनों को पकड़ कर कार्यवाही करने से पुलिस को बचना चाहिए। जब सुबह कार्यवाही होती है तो बच्चे भी स्कूल में विलम्ब से पहुंचते हैं, जबकि बच्चों का तो कोई दोष नहीं है। अच्छा हो कि वहन चालक भी नियमों का पालन करें और पुलिस से बचने के लिए वाहनों को गलियों में न दौड़ाएं। पूर्व में वाहनों की जांच पड़ताल के बाद ट्रेफिक पुलिस ने टोकन जारी किए थे। टोकन व्यवस्था को फिर से लागू किया जा सकता है, लेकिन इस व्यवस्था में भ्रष्टाचार को दूर रखना होगा।