औचक निरीक्षण में मनरेगा में बड़ा फर्जीवाड़ा पकड़ा। 

औचक निरीक्षण में मनरेगा में बड़ा फर्जीवाड़ा पकड़ा।
645 के स्थान पर 216 श्रमिक ही मिले।
अजमेर की सिलोरा पंचातय समिति के बीडीओ को भी नोटिस। 

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अजमेर जिले में मनरेगा के कार्यों में कितना भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़ा हो रहा है इसका अंदाजा जिला परिषद के अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी मुरारीलाल वर्मा के औचक निरीक्षण से लगाया जा सकता है। गत दिनों जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गजेन्द्र सिंह राठौड़ को शिकायत मिली थी, कि सिलोरा पंचायत समिति क्षेत्र में चल रहे मनरेगा के कार्यों में भारी भ्रष्टाचार हो रहा है। जिला परिषद ने जितने श्रमिक स्वीकृत किए हैं उतने काम नहीं करते हैं, लेकिन रोजाना का वेतन उठा लिया जाता है। इस शिकायत के मद्देनजर ही राठौड़ ने अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी वर्मा के नेतृत्व में तीन सदस्यीय जांच दल का गठन किया। इसमें मनरेगा के एक्सईएन कबीर अख्तर, एईएन कौशल किशोर समारिया को शामिल किया। जांच दल ने 16 जुलाई को सिलोरा पंचायत समिति की थल ग्राम पंचायत के कार्यों का औचक निरीक्षण किया। गांव में चार कार्य मनरेगा के तहत स्वीकृत किए गए थे। इन सभी कार्यों  पर 645 श्रमिकों की स्वीकृति जारी की गई, लेकिन जांच के दौरान मातृ 216 श्रमिक ही पाए गए। महत्वपूर्ण बात ये रही कि दस दिन कार्यशुरू हो जाने के बाद भी सभी मस्टरोल खाली पड़े थे। साफ जाहिर था कि मस्टरोल में श्रमिकों की फर्जी एंट्री की जा  रही थी। मस्टरोल पर मेट के हस्ताक्षर तक नहीं थे। इतना ही नहीं पंचायत समिति, ग्राम पंचयत आदि के किसी भी अधिकारी और कर्मचारी ने दस दिनों की अवधि में मौके पर आकर जांच पड़ताल भी नहीं की। यानि 645 श्रमिकों वाले कार्यों में जमकर भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़ा हो रहा था। जांच दल ने औचक निरीक्षण में पाया कि कार्यों की गुणवत्ता पर भी ध्यान नहीं दिया गया। जांच दल ने पाया कि एक ही कार्य स्थल पर दो कार्य स्वीकृत किए गए। इस संबंध में लापरवाही बरतने के आरोप में सिलोरा के विकास अधिकारी रामस्वरूप जाट, पंचायत समिति के एईएन अमित, ग्राम पंचायत थल के ग्राम विकास अधिकारी रामवीर मीणा, ग्राम पंचायत कासीर की विकास अधिकारी पायल चौधरी आदि को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। जांच दल ने अपनी रिपोर्ट मुख्य कार्यकारी अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत कर दी है। वहीं इस मामले में सरपंच उगमाराम जाट का कहना है कि 16 जुलाई को सुबह ही जांच दल मौके पर आ गया। हो सकता है कि तब महिला श्रमिक कार्यस्थल पर न आई हों।
एस.पी.मित्तल) (17-07-19)
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