आखिरकार विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने अपने दम पर ही विवाद खत्म करवाया। 

आखिरकार विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने अपने दम पर ही विवाद खत्म करवाया।
पिछले दस दिनों में विधानसभा के फ्लोर पर सरकार का मैनेजमेंट नजर नहीं आया।

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24 जुलाई को राजस्थान विधानसभा में भाजपा विधायकों और अध्यक्ष सीपी जोशी के बीच चला आ रहा विवाद समाप्त हो गया। 24 जुलाई को भाजपा विधायकों ने प्रश्नकाल में नाम पुकारने पर अपना सवाल पूछा। पिछले दस दिनों से भाजपा ने प्रश्न काल का बहिष्कार कर रखा था। अध्यक्ष जोशी ने व्यवस्था दी थी कि प्रश्नकाल में मूल प्रश्नकर्ता ही पूरक सवाल पूछ सकता है। यानि जोशी ने किसी दूसरे विधायक के सवाल पूछने पर रोक लगा दी थी, इसी व्यवस्था के विरोध में भाजपा के विधायकों ने बहिष्कार कर रखा था, लेकिन 24 जुलाई को प्रश्रकाल शुरू होते ही अध्यक्ष जोशी ने कहा कि भाजपा विधायक सवाल पूछे। मैंने जो पूर्व में व्यवस्था दी है उस पर दोबारा से विचार करने के लिए प्रतिपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया से वार्ता करूंगा। जोशी के इस आश्वासन के बाद ही गतिरोध समाप्त हो गया और भाजपा के विधायकों ने भी प्रश्नकाल की कार्यवाही में भाग लिया।  यह सही है कि विधानसभा अध्यक्ष पिछले दस दिनों से इस गतिरोध को समाप्त करवाने के लिए अकेले ही जूझ रहे थे। हालांकि सदन का संचालन सरकार के सहयोग से होता है और इसीलिए संसदीय कार्यमंत्री भी बनाया जाता है। लेकिन यह देखने में आया कि प्रश्नकाल के विवाद में सरकार का फ्लोर मैनेजमेंट कहीं भी नहीं दिखा। संसदीय कार्यमंत्री या अन्य किसी मंत्री ने इस गतिरोध को समाप्त करवाने में भूमि नहीं निभाई। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट तो मूक दर्शक बने रहे। इस मुद्दे पर जितनी बार भी वार्ता हुई वह सीपी जोशी ने अपने स्तर पर की। सरकार को जो भूमिका निभानी चाहिए थी, वह नहीं निभाई गई। सब जानते हैं कि इसी बजट सत्र में संसदीय कार्यतंत्री शांति धारीवाल और चिकितसा मंत्री रघु शर्मा से अध्यक्ष सीपी जोशी का मतभेद हो चुका है। दोनों ही मंत्रियों ने अध्यक्ष पर भेदभाव का आरोप लगाया था। रघु शर्मा ने तो सदन के बाहर मीडिया से संवाद करते हुए अध्यक्ष पर आरोप लगाए। वहीं धारीवाल का कहना रहा कि मंत्रियों को बोलने का अवसर नहीं दिया जा रहा है। हालांकि सीजी जोशी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे हैं और उनमें किसी भी विवाद को निपटाने की क्षमता भी है। लेकिन अच्छा हो कि विधानसभा में अध्यक्ष और सरकार के बीच भी सद्भावना बनी रहे।
एस.पी.मित्तल) (24-07-19)
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