आखिर कांग्रेस कश्मीर में अनुच्छेद 370 को बदलने के पक्ष में क्यों नहीं है?
क्यों पाकिस्तान की हमदर्द बनी हुई है कांग्रेस? राहुल गांधी का ट्वीट दुर्भाग्यपूर्ण।
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6 अगस्त को लोकसभा में अनुच्छेद 370 में बदलाव को लेकर जोरदार बहस हुई। हालांकि 5 अगस्त को राज्यसभा में बदलाव मंजूर हो गया। सवाल उठता है कि जब पूरा देश कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के पक्ष में है, तब कांग्रेस पार्टी इसका विरोध क्यों कर रही है? केन्द्र सरकार ने 370 हटाने का जो बोल्ड फैसला किया है उसके विरोध पाकिस्तान अब यूएन में जा रहा है। पाकिस्तान जो तर्क दे रहा है वो ही तर्क 6 अगस्त को लोकसभा में कांग्रेस की ओर से दिए गए। पाकिस्तान का कहना है कि जब भारत कश्मीर समस्या का समाधान द्विपक्षीय तरीके से करने पर सहमत था तो फिर एक तरफा निर्णय क्यों लिया गया? पाकिस्तान का यह भी कहना है कि भारत सरकार के निर्णय असंवैधानिक हैं। कश्मीर को लेकर पाकिस्तान जो तर्क दे रहा है वो ही तर्क कांग्रेस के सांसदों ने लोकसभा में दिए हैं। कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी से लेकर मनीष तिवारी ने कहा कि कश्मीर समस्या के समाधान के लिए पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने शिमला समझौता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी ने पाकिस्तान के साथ आगरा समझौता किया। अनुच्छेद 370 में प्रस्ताव पास करवाना चाहिए था, लेकिन केन्द्र सरकार हमारे संविधान की हत्या कर 370 को हटा रही है। हालांकि केन्द्रीय गृहमंत्री अमितशाह कह चुके हैं कि मौजूदा समय में विधानसभा भंग है, इसलिए प्रस्ताव को संसद से मंजूर करवाया गया है। हो सकता है कि 370 में बदलाव के लिए किन्हीं स्थान पर संविधान की अलग व्याख्या की गई हो, लेकिन सवाल उठता है कि आखिर कांग्रेस पाकिस्तान के साथ क्यों खड़ी है? पाकिस्तान की वजह से ही कश्मीर में खून खराब हो रहा है। आज कांग्रेस को 370 हटाने पर चिंता हो रही है। कांग्रेस ने ऐसी चिंता तब क्यों नहीं दिखाई, जब चार लाख हिन्दुओं को अलगाववादियों ने पीट पीट कर भगा दिया। कांग्रेस की इन्हीं नीतियों की वह से कांग्रेस के 50 सांसद रह गए हैं। लेकिन अभी भी कांग्रेस अपनी सोच में बदलाव नहीं कर रही है। 370 पर कांग्रेस में बगावत के हालात है। सोनिया गांधी के सलाहकार रहे जनार्दन द्विवेदी, मिलिंद देवड़ा, दीपेन्द्र हुड्डा जैसे नेताओं ने पार्टी लाइन से अलग हट कर विचार रखे हैं। वहीं राज्यसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक भुवनेश्वर कलीता ने तो इस्तीफा ही दे दिया। अभी तो यह भी तय नहीं है कि कांग्रेस का नेतृत्व कौन कर रहा है। एक ओर कांग्रेस जहां अपने बुरे दौर से गुजर रही है, वहीं 370 के बदलाव का विरोध कर आत्मघाती कदम उठा रही है। कांग्रेस को इन सब हालातों पर दोबारा से विचार करना चाहिए।
राहुल का ट्वीट भी दुर्भाग्यपूर्ण:
हालांकि 6 अगस्त को राहुल गांधी लोकसभा में उपस्थित थे, लेकिन अनुच्छेद 370 के प्रस्ताव पर राहुल गांधी ने संसद में नहीं बोला। लेकिन ट्वीट कर इस प्रस्ताव को संविधान का उल्लंघन बताया। राहुल ने कहा कि भाजपा कश्मीरियों पर अत्याचार कर रही है। देश जमीन के हिस्से से नहीं बनता बल्कि लोगों से मिलकर बनता है। यह प्रस्ताव देश को तोडऩे वाला है। सवाल उठता है कि कांग्रेस और राहुल गांधी आखिर इन प्रस्तावों का विरोध क्यों कर रहे हैं? जबकि देश के आम लोग 370 के प्रावधानों के हटने से खुश है।