मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश पर आखिर सरकार ने हाईकोर्ट में गलती स्वीकारी।
मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश पर आखिर सरकार ने हाईकोर्ट में गलती स्वीकारी।
अब स्टूडेंट को भुगतना होगा खामियाजा। काउंसलिंग पर रोक जारी।
22 अगस्त को होगी सुनवाई।
19 अगस्त को राजस्थान हाईकोर्ट की जयुपर पीठ में सरकारी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश की प्रक्रिया को लेकर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से गलती को स्वीकार कर लिया गया। यह माना गया कि द्वितीय चरण में जो ऑनलाइन काउंसलिंग की प्रक्रिया अपनाई गई वह दोषपूर्ण थी। इसी वजह से 705 सीट खाली रह गई। सरकार ने सुनवाई कर रहे जस्टिस आलोक शर्मा को बताया कि ताजा हालातों में मार्गदर्शन मांगने और काउंसलिंग की तिथि को बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) को पत्र लिखा गया है। एमसीआई की गवर्निंग कमेटी की बैठक 21 अगस्त को होनी है। जस्टिस शर्मा ने सरकार के रूख को देखते हुए मामले की सुनवई के लिए 22 अगस्त की तारीख निर्धारित की और काउंसलिंग के रोक के आदेश को बनाए रखा। राज्य सरकार ने मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए जिस प्रक्रिया को निर्धारित किया उसमें ऑल इंडिया रेंक के तहत पहले चरण में कॉलेज ले चुके विद्यार्थियों ने भी आवेदन कर दिए। यही वजह रही कि द्वितीय चरण की ऑन लाइन काउंसलिंग के बाद 705 सीटें खाली रह गई। इन सीटों पर भर्ती के लिए ही 17 और 18 अगस्त को फिर से ऑनलाइन काउंसलिंग की जा रही थी, लेकिन तभी हाईकोर्ट ने रोक लगा दी। इस मामले में राज्य सरकार की नीयत पर तब अंगुली उठी जब राज्य काउंसलिंग बोर्ड के चेयरमैन डॉ. सुधीर भंडारी ने कहा कि हमने वो ही किया जो सरकार ने कहा। बोर्ड काउंसलिंग के पक्ष में नहीं था। जस्टिस शर्मा की अदालत में 19 अगस्त को कोई ढाई घंटे तक इस मुद्दे पर बहस हुई। इस बीच न्यायालय में वो स्टूडेंट भी पहुंच गए, जिन्हें द्वितीय चरण की काउंसलिंग में जयपुर का एसएमएस और अजमेर का जेएलएन मेडिकल कॉलेज अलोट हो गया था। ऐसे स्टूडेंटों का कहना रहा कि उन्होंने सरकार की निर्धारित प्रक्रिया के अनुरूप आवेदन किया है। कोर्ट से कहा गया कि फैसला देते वक्त उनके हितों का भी ध्यान रखा जाए। वहीं पीडि़त स्टूडेंट के वकीलों का कहना रहा कि सरकार की दोषपूर्ण प्रक्रिया से अधिक अंक प्राप्त करने वाले स्टूडेंट को पेमेंट सीट मिल रही है, जबकि कम अंक वाले स्टूडेंट जयपुर के एसएमएस और अजमेर के जेएलएन जैसे प्रतिष्ठित कॉलेजों में प्रवेश पा रहे है। सरकार ने भले ही इस मामले में अपनी गलती को स्वीकार कर लिया हो, लेकिन इसका खामियाजा प्रदेश के विद्यार्थियों को उठाना पड़ेगा। यह पहला अवसर है जब काउंसलिंग के बाद मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश की 705 सीटें रिक्त रह गई। इससे सरकार की नीयत पर शक हो रहा है। असल में इन दिनों चिकित्सा एवं स्वास्थ महकमें में लगाकार गड़बडिय़ां उजागर हो रही है। सरकार के दखल की वजह से ही राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत ढाई हजार हेल्थ वर्कर के पद पर भर्ती नहीं हो सकी। लगातार गड़बडिय़ां उजागार होने से कांग्रेस सरकार की छवि पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।
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