एनआरसी की जरूरत तो अजमेर में भी है। कई बार पकड़े गए हैं बांग्लादेशी।
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31 अगस्त को जब गृह मंत्रालय ने असम में नेशनल रजिस्ट्रर ऑफ सिटीजंस की लिस्ट जारी की तो दिल्ली में भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सांसद मनोज तिवारी ने भी दिल्ली में भारतीय नागरिकता की पहचान करवाने की मांग की। तिवारी ने कहा कि दिल्ली में भी बड़ी संख्या में बांग्लादेशी एवं अन्य विदेशी नागरिक रह रहे हैं। संभवत: भारत अकेला ऐसा मुल्क होगा, जहां किसी देश का नागरिक धड़ल्ले से रह सकता है। हमारे यहां वोट के खातिर रोहिंग्याओं के समर्थक भी बैठे हैं। मनोज तिवारी की मांग बताती है कि देश की राजधानी में घुसपैठिए मौजूद हैं। जहां तक अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त अजमेर का सवाल है तो अजमेर के दरगाह क्षेत्र से कई बार बंग्लादेश के नागरिकों को पकड़ा गया है। माना जाता है कि दरगाह क्षेत्र के आवासीय इलाकों में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी औरतें और पुरुष श्रमिक के तौर पर काम करते हैं। कई बार ऐसे श्रमिकों को पकड़ कर पुलिस सीमा पार भेजती भी है। अजमेर से कई कुख्यात अपराधी और ड्रग तस्कर भी पकड़े गए हैं। पुलिस प्रशासन अभियान चला कर ऐसे लोगों की धरपकड़ करता है, लेकिन वोट की राजनीति के चलते कई विदेशियों ने मतदाता पहचान पत्र, पेन कार्ड और आधार कार्ड तक बनवा लिए हैं। सस्ती दर पर गेंहू आदि सामग्री लेने के लिए भले ही मात्र गरीबों के पास बीपीएल कार्ड न हो, लेकिन बाहर से आए लोग ऐसे कार्ड हासिल करने में सफल हो गए। जहां तक प्राइवेट अस्पतालों में मुफ्त इलाज के लिए भामाशाह स्वास्थ्य कार्ड भी बनवा लिया है। कई विदेशी नागरिक तो धड़ल्ले से वृद्धावस्था पेंशन तक ले रहे हैं। राजनीतिक संरक्षण की वजह से अजमेर की पहाडिय़ों पर ऐसे लोगों ने पक्के मकान भी बना लिए हैं। गंभीर बात तो यह है कि इन अवैध मकानों में बिजली, पानी, सड़क आदि की सुविधा भी उपलब्ध करवा दी गई है। यानि भारतीय नागरिकता के लिए जो दस्तावेज चाहिए वो सब विदेशी नागरिकों ने हासिल कर लिए हैं। भाजपा जब विपक्ष में होती है तो अजमेर में बांग्लादेशी नागरिकों का मुद्दा उठाती है, लेकिन जब सत्ता में होती है तो भाजपा के नेता चुप हो जाते हैं। सवाल उठता है कि सत्ता में रहते हुए भाजपा नेता विदेशी नागरिकों का मामला क्यों नहीं उठाते हैं? जहां तक कांग्रेस का सवाल है तो कांग्रेस के नेता तो पहले ही एनआरसी जैसे कामों के खिलाफ हैं।