हमास और इजरायल युद्ध में तालिबान की चुप्पी पर मुस्लिम जगत में आश्चर्य। तालिबान के कब्जे वाले अफगानिस्तान की क्रिकेट टीम बड़े आराम से वर्ल्ड कप में खेल रही है।

मध्य पूर्व में कट्टरपंथी संगठन हमास और इजरायल के बीच 19 अक्टूबर को युद्ध का 13वां दिन रहा। 18 अक्टूबर को अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने तेल अबीब पहुंच कर इजरायल की हौसला अफजाई की तो 19 अक्टूबर को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक इजरायल दौरे पर रहे। दुनिया की इन दोनों महाशक्तियों ने यह दिखाने का प्रयास किया कि हम इस युद्ध में इजरायल के साथ खड़े हैं। हमास को मुस्लिम जगत से जिस समर्थ की उम्मीद थी वैसा प्रभावी समर्थन अभी तक नहीं मिला है। मुस्लिम जगत में कट्टरपंथी संगठन तालिबान की चुप्पी पर आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है। सब जानते हैं कि डेढ़ वर्ष पहले अमेरिका जैसी महाशक्ति को खदेड़ कर तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया था। तालिबान का अफगानिस्तान पर आज भी मजबूती के साथ कब्जा है। उम्मीद थी कि इजरायल के साथ युद्ध में तालिबान हमास के साथ खड़ा होगा। लेकिन इस मुद्दे पर अभी तक तालिबान के किसी भी प्रतिनिधि का बयान सामने नहीं आया है। इतना ही नहीं अफगानिस्तान की क्रिकेट टीम बड़े आराम से भारत में वर्ल्ड कप के मैच खेल रही है। इंग्लैंड टीम के साथ भी अफगानिस्तान की टीम के मैच हो रहे हैं, जबकि इंग्लैंड के पीएम इजरायल का दौरा कर रहे हैं। कुछ लोग कह सकते हैं कि हमास और तालिबान के बीच वैचारिक मतभेद हैं, लेकिन इन दोनों ही कट्टरपंथी संगठनों का उद्देश्य एक है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या तालिबान अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद संतुष्ट हो गया है? इसमें कोई दो राय नहीं कि कब्जे के शुरुआती दिनों में तो अफगानिस्तान में हिंसक घटनाओं की खबरें आई थी, लेकिन अब ऐसी खबरें नहीं आ रही है, इससे प्रतीत होता है कि अफगानिस्तान पूरी तरह तालिबान के नियंत्रण में है। इसे तालिबान के नेताओं की कूटनीति ही कहा जाएगा कि मानवीय आधार पर भारत से हजारों टन गेहूं प्राप्त कर लिया। अफगानिस्तान और भारत के बीच अच्छे संबंध है, इसीलिए अफगानिस्तान की क्रिकेट टीम को भारत आने वाला वीजा भी दिया गया। इतना ही नहीं आईपीएल के मैच खेलकर अफगानिस्तान के खिलाड़ी मालामाल हो रहे हैं। एक ओर जब गाजा पट्टी में लाखों मुस्लिमों को मुसीबत के दौर से गुजरना पड़ रहा है, तब तालिबान की चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है। तालिबान के लड़ाकों के पास तो वह ताकत है जिससे अमेरिका जैसी महाशक्ति को अफगानिस्तान से भगाया गया। मुस्लिम जगत में भी अभी सिर्फ ईरान ने हमास का खुलासा समर्थन किया है। अलबत्ता अमेरिका का यह प्रयास है कि गाजा पट्टी पर जरूरी राहत सामग्री पहुंचाई जाए ताकि कोई नागरिक भूख व प्यास से न मरे। 18 अक्टूबर को राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस बात के प्रयास किए कि गाजा पट्टी पर मानवीय मूल्यों की रक्षा हो, लेकिन इसके साथ ही हमास के कट्टरपंथियों पर कार्यवाही करने की इजराय को पूरी छूट दी। 

S.P.MITTAL BLOGGER (19-10-2023)

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